मोदी सरकारः डां0 निशंक ने ली कैबनेट मंत्री की शपथ, पढिए डां0 निशंक का पूरा सफरनामा।

फोटो परिचयः कैबनेट मंत्री की शपथ लेते डां0 रमेश पोखरियाल निशंक।
फोटो परिचयः कैबनेट मंत्री की शपथ लेते डां0 रमेश पोखरियाल निशंक। 

राजेश नेगी
उत्तराखण्ड़ के पूर्व मुख्यमंत्री ओर हरिद्वार से लगातार दो बार सांसद डां0 रमेश पोखरियाल निशंक ने मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में कैबनेट मंत्री की शपथ ली, मात्र पांच संसदीय सीटों वाले छोटे से राज्य उत्तराखण्ड़ से कैबनेट मंत्री का पद डा0 निशंक को मिलना उत्तराखण्ड़ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, डां0 रमेश पोखरियाल निशंक पहले उत्तर प्रदेश में ओर फिर उत्तराखण्ड में कैबनेट मंत्री व उत्तराखण्ड़ के मुख्यमंत्री भी रह चुके है, निशंक उत्तराखण्ड़ के भारी भरकम नेता माना जाता है, ऐसे में उनके मंत्रीमंण्डल में शामिल होते ही उनका कैबनेट मंत्री बनने के ही कयास लगाये जा रहे थे, और अब निशंक ने कैबनेट मंत्री की शपथ ले ली है जिससे पूरे प्रदेश में फैले उनके समर्थकों ओर बीजेपी कार्यकताओं में खुशी का माहौल है। 
सफरनामा डां0 रमेश पोखरियाल निशंकः 
शैक्षिक व व्यक्तिगत जीवन - डां0 रमेश पोखरियाल निशंक का जन्म पिनानी ग्राम, पौड़ी गढ़वाल में परमानन्द पोखरियाल और विश्वम्भरी देवी के घर में हुआ था। रमेश पोखरियाल निशंक का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल से हुआ। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से कला स्नातकोत्तर, पीएचडी (ऑनर), डी लिट् (ऑनर) की डिग्री प्राप्त की।छात्र जीवन के दौरान, उन्होंने अकादमिक और अतिरिक्त गतिविधियों (पाठ्यक्रम के अतिरिक्त) दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया हैं।
राजनैतिक जीवनः 
रमेश पोखरियाल निशंक भारतीय जनता पार्टी से जुडे कद्दावर राजनीतिज्ञ हैं। १९९१ में वे प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद १९९३ और १९९६ में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। १९९७ में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। वह 16 वीं लोकसभा में संसद के एक सदस्य है, तथा 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। वर्ष 2014 में वे हरिद्वार से सांसद चुने गये और इस बार फिर वो हरिद्वार से दोबारा सांसद चुने गये हैं। इस समय मोदी सरकार की कैबनेट में उन्हे कैबनेट मंत्री के तौर पर जगह मिली है, क्या है डा0 निशंक का पूरा राजनितिक सफरनामा पढिए- 
  • वर्ष 1991 से वर्ष 2012 तक पाँच बार उ0प्र0 एंव उत्तराखण्ड की विधानसभा में विधायक।
  • वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधान सभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित तत्पश्चात लगातार तीन बार विधायक।
  • वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में श्री कल्याण सिंह मंत्रीमण्डल में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री तत्पश्चात वर्ष 1999 में श्री रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त एवं धर्मस्व मंत्री।
  • वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री।
  • वर्ष 2007 में उत्तराखण्ड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री।
  • वर्ष 2009 में उत्तराखण्ड प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री।
  • वर्ष 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित
  • वर्ष 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित।
  • वर्तमान में लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति के सभापति।
  • मुख्यमंत्री कार्यकाल 

मुख्यमंत्री कार्यकाल 
2009 से 2011 तक उत्तराखंड के पाँचवे मुख्यमन्त्री रहें। डॉ निशंक ने मुख्य्मंत्रीकाल में राजनैतिक कौशल, ज्ञान और ध्वनि समन्वय कौशल की सहायता से उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार और उधम सिंह नगर को शामिल करने जैसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों को सुलझाया। अंतरराष्ट्रीय फोरम में हिमालयी संस्कृति को लाने के लिए अनगिनत सफल प्रयास किए गए।राज्य से संचालित करने के लिए लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बिक्री कर 4ः से 1ः कम किया। राज्य के सभी आवश्यक वस्तुओं और वस्तुओं के लिए 364 डिपो खोले और इस तरह से 61.75 करोड़ से 128 करोड़ रुपये के राजस्व में वृद्धि हुई। कुल कर संग्रहण में  575 करोड़ रुपये से 1100 करोड़  की बढ़ोतरी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से पहाड़ी क्षेत्रों में  रहने वाले लोगों की जीवन शैली और जीवन शैली के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं को प्रारंभ किया। गंगा नदी की स्वछता तथा उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरुआत की।  
साहित्यिक जीवनः 
  • डाॅ0 निशंक बचपन से ही कविता और कहानियां लिखते रहे। हालांकि उनका पहला कविता संग्रह वर्ष 1983 में ‘समर्पण’ प्रकाशित हुआ। अब तक आपके 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 2 पर्यटन ग्रन्थ, 6 बाल साहित्य, 2 व्यक्तित्व विकास सहित कुल 4 दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं आज भी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उनका लेखन जारी है।
  • डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ मौलिक रूप से साहित्यिक विधा के व्यक्ति हैं। अब तक हिन्दी साहित्य की तमाम विधाओं (कविता, उपन्यास, खण्ड काव्य, लघु कहानी, यात्रा साहित्य आदि) में प्रकाशित उनकी कृतियों ने उन्हें हिन्दी साहित्य में सम्मानजनक स्थान दिलाया है। राष्ट्रवाद की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है। यही कारण है कि उनका नाम राष्ट्रकवियों की श्रेणी में शामिल है।
  • यह डाॅ0 ‘निशंक’ के साहित्य की प्रासंगिकता और मौलिकता है कि अब तक उनके साहित्य को विश्व की कई भाषाओं (जर्मन, अंग्रेजी, फ्रैंच, तेलुगु, मलयालम, मराठी आदि) में अनूदित किया जा चुका है। इसके अलावा उनके साहित्य को मद्रास, चेन्नई तथा हैंबर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उनके साहित्य पर अब तक कई शिक्षाविद् (डाॅ0 श्यामधर तिवारी, डाॅ0 विनय डबराल, डाॅ0 नगेन्द्र, डाॅ0 सविता मोहन, डाॅ0 नन्द किशोर और डाॅ0 सुधाकर तिवारी) शोध कार्य तथा पी.एचडी. रिपोर्ट लिख चुके हैं।
  • अब भी डाॅ0 ‘निशंक’ के साहित्य पर कई राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों (गढ़वाल विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश, रोहेलखण्ड विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, हैंबर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी, लखनऊ विश्वविद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय) में शोध कार्य जारी है।

अब तक डाॅ0 ‘निशंक’ की प्रकाशित कृतियां निम्न हैः-
प्रमुख कृतियाँ
कहानी संग्रह
1. रोशनी की एक किरण (1986)
2. बस एक ही इच्छा (1989)
3. क्या नहीं हो सकता (1993)
4. भीड़ साक्षी है (1993)
5. एक और कहानी (2002)
इसके अतिरिक्त भी उनके अन्य कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है - 
उपन्यास संग्रह
1. मेजर निराला (1997)
2. पहाड़ से ऊंचा (2000)
3. बीरा (2008)
4. निशान्त (2008)
इसके अतिरिक्त भी उनके अन्य उपन्यास संग्रह प्रकाशित हो चुके है- 
मुख्य लेख
1. हिमालय का महाकुम्भः नन्दा देवी राजजात (पावन पारम्परिक यात्रा), 2009
2. स्पर्श गंगारू उत्तराखण्ड की पवित्र नदियां
3. आओ सीखें कहानियों से (बाल कहानियां- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
4. सफलता के अचूक मंत्र (व्यक्तित्व विकास- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
5. कर्म पर विश्वास करें, भाग्य पर नहीं (व्यक्तित्व विकास), 2011
विभिन्न भाषाओं में अनूदित कृतियाँ
1. खड़े हुए प्रश्न      (कहानी संग्रह)       (तमिल)
2. ऐ वतन तेरे लिए  (कविता संग्रह)    (तमिल)
3. ऐ वतन तेरे लिए  (कविता संग्रह)    (तेलुगु)
4. भीड़ साक्षी है      (कहानी संग्रह)      (अंग्रेजी)
5. बस एक ही इच्छा (कहानी संग्रह)     (जर्मन)
इसके अतिरिक्त भी उनकी कविता, उपन्यास , कहानी  आदि का कई भाषाओ मई अनुवादन हो चूका है -
पुरस्कार और सम्मान
  • माॅरिशस गणतंत्र द्वारा देश के सर्वोच्च माॅरिशस सम्मान से सम्मानित ग्लोबल आर्गेनाईजेशन आॅफ इण्डियन आॅरिजन (गोपियो) द्वारा असाधारण उपलब्धि सम्मान।
  • देश विदेश की अनेक साहित्यक एंव सामाजिक संस्थाओं द्वारा राष्ट्र गौरव, भारत गौरव, प्राईड आॅफ उत्तराखण्ड एवं यूथ आॅकन अवार्ड 
  • भारत सरकार द्वारा ‘‘हिमालय का महाकुम्भ- नंदा राज जात’’ पुस्तक पर वर्ष 2008-09 का राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो द्वारा साहित्य के क्षेत्र में डी.लिट. की मानद उपाधि।
  • ग्राफिक इरा, डीम्ड विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड द्वारा साहित्य के क्षेत्र में डी.लिट. की मानद उपाधि।
  • पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा साहित्य गौरव सम्मान।
  • सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता पद्मश्री रामानन्द सागर एवं मुंबई की विभिन्न साहित्य संस्थाओं द्वारा साहित्यचेता सम्मान।
  • असाधारण एवं उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु श्रीलंका, हाॅलैंड, नौर्वे, जर्मनी और माॅस्को में सम्मानित।
  • भारत गौरव सम्मान।
  • हिन्दी गौरव सम्मान।
  • साहित्य भूषण सम्मान।
  • साहित्य मनीषि सम्मान।
  • हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (उ0प्र0) द्वारा विद्या वाचस्पति की उपाधि।
  • नालंदा विद्यापीठ, बिहार द्वारा साहित्य वाचस्पति की उपाधि।
  • साहित्य तथा राजनीति  में उत्कृष्ट योगदान हेतु डाॅ0 निशंक को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 300 से अधिक संस्थाओं एवं संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇