वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ साणेश्वर मंदिर में महायज्ञ शुरु

garhwal
वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ साणेश्वर मंदिर में महायज्ञ शुरु 
राजेश नेगी/रूद्रप्रयाग। 
जय साणेश्व के जयघोष से गूंज उठा सिल्ला क्षेत्र, सैकड़ों की संख्या में भक्त उमड़े 
अगस्त्यमुनि। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सिल्ला गांव में साणेश्वर महाराज मंदिर में लक्ष महायज्ञ शुरु हो गया। इस दौरान भक्तों के जय साणेश्वर महाराज के जयकारों से सिल्ला क्षेत्र गुंजायमान हो गया। करीब आधा घंटे तक साणेश्वर महाराज ने ढोल-दमाऊं की थाप पर अद्भुत नृत्य किया। महायज्ञ में शामिल होने के लिए सैकड़ों भक्तजन साणेश्वर महाराज मंदिर में पहुंचे। शनिवार को सुबह चार बजे से ही आचार्य ब्राह्मणों ने साणेश्वर महाराज की विशेष पूजाएं संपन्न की। सुबह आठ बजे साणेश्वर महाराज का हल्दी हाथ और मंगल स्नान हुआ। सुबह साढ़े दस बजे साणेश्वर महाराज ने अपने कुल पुरोहितों से विदा लेकर अपने सैकड़ों भक्तों के साथ मंदिर के लिए प्रस्थान किया। मंदिर में पहुंचते ही साणेश्वर महाराज ने साणेश्वर महादेव और अगस्त्य मुनि महाराज की आज्ञा लेकर पूर्वाह्न ग्यारह बजे से यज्ञ का शुभारंभ करवाया। महादेव कुंड का कुंडगज (कुंड खोलना) महात्मा राजभज के हाथों से किया गया। 
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जिसके बाद कुणजेठी गांव के मुख्य आचार्य स्वतंत्रानंद पंत के साथ ही बैंजी, फलई, सिल्ला के ब्राह्मण अपने-अपने स्थानों में विराजमान हुए। महायज्ञ में शांतिव्यवस्था के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई है। जिलाधिकारी मंगेश घिंडियाल के निर्देश पर एलएंडटी की ओर से पेयजल और लोक निर्माण विभाग की ओर से सड़क पार्किंग और सड़क सुधारीकरण की व्यवस्था की गई है। महायज्ञ समिति के अध्यक्ष रणजीत सिंह नेगी ने बताया कि वैदिक परंपरा के अनुसार साणेश्वर मंदिर में महायज्ञ का शुभारंभ हो गया है। इस मौके पर साणेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष वीरपाल सिंह रावत, ग्राम प्रधान राजेश्वरी थपलियाल, राजेंद्र पुरोहित, सावन नेगी, महावीर रावत, वीर सिंह नेगी, अमित पंवार, सूरज पंवार, दिग्पाल पंवार के साथ ही सैकड़ों भक्त मौजूद थे। 

कब क्या हुआ---
प्रात चार बजे-साणेश्वर महाराज की विशेष पूजाएं शुरु 
प्रात आठ बजे-साणेश्वर महाराज का हल्दी हाथ और मंगल स्नान हुआ। 
सुबह नौ बजे-साणेश्वर की डोली का श्रृंगार और आरती पूजा संपन्न हुई। 
सुबह साढ़े दस बजे-साणेश्वर की डोली का मंदिर के लिए प्रस्थान। 
सुबह १० बजकर ४५ मिनट- साणेश्वर महाराज की डोली का अपने मंदिर में प्रवेश, अगस्त्य मुनि और भोलेनाथ से मांगी महायज्ञ की आज्ञा। 
पूर्वाह्न ग्यारह बजे- महादेव कुंड का यज्ञ शुरु। 
पूर्वाह्न सवा ग्यारह बजे-आचार्य ब्राह्मण यज्ञ के लिए अपने-अपने स्थानों में हुए विराजमान। 
पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे- महादेव कुंड का यज्ञ शुरु।
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