कर्मचारियों की मिली भगत से राजाजी पार्क में हो रहा अवैध खनन, प्रतिबंधित पार्क क्षेत्र में खुलेआम चल रहा खनन का कार्य, पार्क की हरिद्वार और मोतीचूर रेंज के मिलान का मामला
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| फोटो परिचय-खच्चरों पर प्रतिबंधित पार्क क्षेत्र उपखनिज का चुगान करते हुए लोग। |
महेश पंवार रायवाला।
कहने को तो राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में घुसपैठ करना प्रतिबंधित है। लेकिन पार्क की मोतीचूर और हरिद्वार रेंज के मिलान पर खुलेआम पार्क नियमों की धज्जियां उठायी जा रही है। यहां प्रतिबंधित पार्क क्षेत्र में घुसकर खुलेआम अवैध खनन किया जा रहा है।
नियमों की बात करें तो राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में किसी भी व्यक्ति के घुसने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध हैं। लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की मोतीचूर और हरिद्वार रेंज के मिलान पर खुलेआम पार्क नियमों की धज्जियां उडाई जा रही है। यहां पार्क क्षेत्र में खुलेआम अवैध खनन किया जा रहा है। सैकड़ों खच्चरों के माध्यम से गंगा नदी का सीना चीर कर यहां से उपखनिज चुगान किया जा रहा है। खच्चरों के माध्यम से एक प्लाट मंे रेत एकत्र कर लिया जाता है और इसके बाद इस रेत को ट्रालियों में भरकर उसे मन माफिक दामो पर बेचा जा रहा है। सवाल यह उठता है कि जिस क्षेत्र में अवैध खनन का यह गोरख धंधा संचालित हो रहा है वह गुलदार प्रभावित क्षेत्र है। पार्क क्षेत्र में घुसकर खनन कर रहे किसी युवक को गुलदार अपना निवाला बना ले तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। सूत्र बताते हैं कि एक ट्राली की कीमत बाजार में सात से आठ हजार रूपए मिल जाती हैं। वहीं जब खच्चर के मालिकों से पूछा गया कि उनका प्रतिबंधित पार्क क्षेत्र में घुसने की अनुमति किसने दी है तो उन्होने बताया कि वह वनकर्मियों से पूछकर पार्क क्षेत्र में दाखिल होते है। मतलब साफ है कि अवैध खनन के इस धंधे में पार्क कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। वहीं जब इस बारे में मोतीचूर रेंज और हरिद्वार रेंज अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होने इस तरह की जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। आपको बता दें कि यह वही पार्क का प्रतिबंधित क्षेत्र है जहां से पार्क अधिकारियों की टीम को गुलदार की खाल बरामद हुई थी। वहीं इस संबंध में निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क पीके पात्रों ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए है।
यहां दिन में ही नही रात को भी होता है अवैध खनन
रायवाला। राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे हरिपुरकलां क्षेत्र में इन दिनों अवैध खनन जोरो पर चल रहा है। यहां दो दर्जन से अधिक खच्चर इस कार्य में लगे हुए है। आपको बताते हैं कि किस तरह से चलता है खनन का खेल। पहले तो करीब दो दर्जन खच्चरों के माध्यम से गंगा नदी से रेत निकाला जाता है। नदी से निकलने वाले इस रेत को जंगल किनारे एक खाली प्लाट में एकत्र कर दिया जाता है। जैसे ही रेत ट्राली में भरने लायक हो जाता है तो रेत को ट्राली में भरकर ठेकेदार द्वारा बताए गए ठिकाने पर पहुंचा दिया जाता है। खास बात यह है कि जिस घने जंगल में दिन के उजाले में घुसने मे डर लगता है वहंा यह खच्चर वाले रात के घनघोर अंधेरे में पहुंच जाते है। सूत्र बताते हैं कि एक दिन में करीब तीन से चार ट्राली रेत यहां से निकाला जाता है। इस धंधे में वनकर्मी खच्चर वालों की पूरी मदद करते है। बता शिकायत की हो तो वनकर्मी इमानदारी का परिचय देते हुए पहले ही खनन करने वालों को सर्तक कर देते हैं जिससे कि खनन माफिया समय रहते मौके से फरार हो जाते है।
