हरीश थपलियाल।
घुमंतू पत्रकार पवन धपोला इन दिनों राजस्थान में है जिन्होंने फेसबुक पर महिला इंस्पेक्टर चेतना भाटी के साथ अपनी तस्वीर साझा की है। ये कोई मामूली महिला इंस्पेक्टर नही बल्कि देश भर में प्रसिद्ध स्लोगन "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की लेखक है। इसका श्रेय पाने के लिए राजस्थान पुलिस की ये महिला इंस्पेक्टर पीएम को चिट्ठी लिख चुकी है लेकिन उन्हें इसका कोई संतोषजनक जवाब नही मिल पा रहा है।
महिला इंस्पेक्टर का दावा है कि जिस बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे के साथ केन्द्र की मोदी सरकार देश भर में अभियान चलाकर बेटियो को बढ़ावा देने और उसे शिक्षित करने का मुहिम चला रखा है दरअसल ये नारा उसका है। इस लेडी पुलिस अफसर का कहना है कि केन्द्र ने उसका ये नारा चुरा लिया है एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, राजस्थान पुलिस में तैनात इंस्पेक्टर चेतना भाटी ने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई लगाकर इस बात की जानकारी मांगी कि कैसे उन्हें इस बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे के बारे में पता चला।

लेकिन, जब उस आरटीआई का कोई जवाब नहीं मिला उसके बाद भाटी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखते हुए उसकी क्रिएटिविटी को पहचान देने की मांग की है।इतिहास और अंग्रेजी दो अलग-अलग विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट कर चुकी भाटी आज से करीब 23 साल पहले सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी। लेकिन, उसके बाद वो पुलिस में भर्ती हो गई। लेडी इंस्पेक्टर का कहना है, “मैने यह नारा सबसे पहले 1999 में कविता लेखन के दौरान लिखा और उसे पढ़ा था। उसे 2005 के दौरान आयोजित कई कार्यक्रमों में पढ़ा। मैं यह चाहती हूं कि जो नारा इतना लोकप्रिय हो गया है उसका श्रेय उन्हें दिया जाए।”
भाटी का कहना है कि उसका आरटीआई अप्लीकेशन महिलाएं एवं बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग भेज दिया गया। लेकिन दोनों ही इस बात जवाब देने में असमर्थ रहे। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के इस कार्यक्रम- “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से देश के करीब 100 से भी अधिक जिलों में लागू किया गया है जिसमें सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
