शर्मनाकः विजय बहुगुणा की राह पर त्रिवेंन्द्र, मोरी-आराकोट में आपदा! त्रिवेंद्र ने भरी दिल्ली की उड़ान..
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| विजय बहुगुणा की राह पर त्रिवेंन्द्र |
हरीश थपलियाल।
उत्तराखण्ड़ में सीएम पद पर बैठने के बाद नेताओं की संवेदनाऐं न जाने कहाॅ खो जाती है, न ही पूर्व की घटनाओं के बाद के हालातों से कोई सबक लिया जाता है, लगता है कि उत्तराखण्ड़ की सीएम की कुर्सी पर ही कुछ ऐसा दोष है कि अच्छी सोच समझ वाला व्यक्ति भी उस पर बैठने के बाद गलतियों का पुतला बन जाता है। 2013 में केदारनाथ की भीषण आपदा में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आपदा के समय दिल्ली की उडान भरी थी, जिसकी चैतरफा निंदा हुई और उन्हें सीएम की कुर्सी तक से हाथ धोना पड़ा था, लेकिन इससे सबक लेने के बाजाय मोरी-आराकोट आई भीषण आपदा में पीड़ितों के बीच पहुच उनके जख्म भरने के बजाय सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत दिल्ली रवाना हो गये, जिसकी सोशल मीडिया में जमकर आलोचनाएं हो रही हैं।
17 लोगों की मौत! पूरा उत्तराखंड सदमें है.. लोगों को केदारनाथ का मंजर याद आ रहा है और लोग डरे और सहमे हुए हैं। किसी के अपनों के शव सामने पड़े हैं तो किसी के अपनो का कोई अता पता नही, किसी के घर तबाह हो गए। किसी को पूरा परिवार उजड़ गया। किसी का जिगर का टुकड़े को आपदा ने लील लिया। हर तरफ बस रुदन ही रुदन सुनाई पड़ रहा है। लोगों में चीख-पुकार मची है। लोग इतने सहमे हुए हैं कि वो किसी भी वक्त चिल्ला पड़ रहे हैं। हर कोई उनकी मदद को तैयार है। दिल्ली से मदद उत्तराखंड के लिए रवाना होने को है और मुख्यमंत्री दिल्ली की ओर रवाना हो गए। इससे महान और पुण्य का कार्य भला और क्या हो सकता है कि राज्य में 17 लोगों की मौत हो गई। कई लापता हैं और मुख्यमंत्री दिल्ली यात्रा पर हैं। नंबर जो बढ़ाने हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी आपदा पीड़ितों के बीच जाने से ज्यादा जरूरी एम्स में बीमार अरूण जेटली के पास जाना लगा, माना कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत बेहद खराब है। भाजपा के एक सीनियर नेता होने के कारण उनको देखने जाना जरूरी भी है, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या ये यही वक्त था ? जब राज्य में आपदा से हाहाकार और त्राहीमाम मचा हुआ है, आपदा की मार से प्रदेश कराह रहा है। आपदा से राज्य के हजारों से अधिक लोग प्रभावित हैं। ऐसे में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संवेदनहीनता की सारे हदें पार कर दी। मोरी, आराकोट, डगोली, टिकोची, दुचाणु, त्यूनी समेत कई जगहों आपदा ने भारी तबाही मचाई है। लेकिन, मुख्यमंत्री 17 लोगों की मौत भुलाकर दिल्ली रवाना हो गये। सीएम पहले आपदा पीड़ितों के बीच पहुचते और उसके बाद दिल्ली रवाना भी हो सकते थे लेकिन केदारनाथ आपदा के समय बहुगुणा जी के नक्शे कदम पर जो चलना है।
गजब है अततक 17 लोगों की मौत की पुष्टी हो चुकी है। कई लोग अब भी लपता बताए जा रहे हैं। एक अनुमान के तहत मौत का मामला करीब 20 से 25 तक पहुंच सकता है। उन सबकी चिंता छोढ़कर सीएम दिल्ली रवाना हो गए। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली इसीएमओ पर हैं। उनको देखने के लिए भाजपा के कई बड़े नेता हैं। एम्स के बड़े डाॅक्टर हैं। ऐसे में सीएम थोड़ी लेट भी वहाॅ जाते तो क्या फर्क पड़ जाता, लेकिन अगर सीएम आपदा पीड़ितों के बीच इस दुखद समय पर पहुचते तो उन परिवारों का दुख बांटकर लोगों की संवेदनाएं तो मिलती ही। साथ ही कुछ दुवाएं भी मिलती।
