पंचायत चुनावः रूद्रप्रयाग के इस गांव में नही मिल रहे चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी..
रामरतन सिंह पंवार/जखोली।
उत्तराखण्ड़ सरकार द्वारा इस बार पंचायत चुनाव में पंचायत राज एक्ट में शंसोधन कर नए नियम लागू किए हैं, स्थिति यह है कि नए नियमों में महिला आरक्षण को मिलाने के बाद जारी हुई आरक्षण सूची में कई जगहों पर उम्मीवार मिलने ही टेढ़ी खीर साबित हो रहे हैं, ऐेसे में आगे आपत्ति में क्या होगा ये तो बाद का विषय है लेकिन अभी जनप्रतिनिधियों से लेकर आम ग्रामीण असमजस्य में जरूर है। ओर अब गांव से तस्वीर उभरकर भी सामनें आने लगी हैं जो चैकाने वाली है।
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सबसे पहले बात करते हैं जखोली विकासखण्ड़ के ग्राम पंचायत कपणिंया की, ग्राम पंचायत कपणिंया के ग्रामीणों के अनुसार प्रधान के लिए आरक्षण सूची जारी होने के बाद उम्मीदवार नही मिल पा रहा है, दरअसल ग्राम पंचायत कपणिंया मे प्रधान एससी महिला आरक्षित है, गजब की बात यह है कि पूरे गांव में एकमात्र एससी परिवार है, पंचायत चुनाव में लागू नए नियमों के मुताबिक एकमात्र महिला ही पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यता रखती है, ऐसे में निर्विरोध ही विकल्प बचता है, लेकिन वो फिलहाल पंचायत चुनाव लड़ने में वह असमर्थता जता रही है।
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ओबीसी प्रमाण पत्र नही तो आरक्षण कैसा
वही क्षेत्र पंचायत कपणिंया में भी ओबीसी महिला पद आरक्षित है, क्षेत्र पंचायत के दाहिरे मे तीन गांव कपणिंया, बछवाड़ा तथा बरसीर आते है। क्षेत्र पंचायत सदस्य की सीट कपणियां मे महिला अन्य पिछड़े वर्ग के लिए इसलिए आरक्षित की गयी है, ग्राम पंचायत बरसीर के अंतर्गत पौणजोंली नामी तोक मे लगभग 30 परिवार राजपूत सोनार के अंतर्गत आते थे जिनकी बंदोबस्ती नकल मे राजपूत सोनार अंकित है जिस आधार पर 1994 से इन परिवारों के अन्य पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र तहसील द्वारा वर्ष 2013-14 तक निरंतर जारी किये जाते थे लेकिन अब वर्ष 2014 मे ही आयोग द्वारा इन परिवारों के जाति प्रमाण पत्र न बनवाने हेतु तहसील को आदेशित कर दिया गया तथा ओबीसी प्रमाण पत्रों को बनाना बंद कर दिया। तब से न ही ओबीसी प्रमाण पत्र बन रहे हैं और न ही रिन्यूवल हो रहे है, ऐसे में अभी कोई भी प्रमाण-पत्र कैसे रिन्यूवल हो पाएगा और कैसे कोई चुनाव लड़ पायेगा बड़ा सवाल है। हमारी खबरों को फेसबुक पर देखने के लिए हमारे फेसबुक पेज को खोल लाईक करें-->-Like on Facebook
जबकि इससे पूर्व बंदोबस्ती मे अंकित राजपूत सोनार के परिवारों के कई व्यक्ति सरकारी सेवाओं का लाभ ले चुके हैं। कपणिया के निवर्तमान प्रधान व प्रधान संगठन के ब्लाक अध्यक्ष महाबीर सिंह पंवार, सामाजिक पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य त्यूंखर श्रीमती लौंगा देबी कुनियाली के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य दिनेश पंवार आदि का कहना है कि जिस गांव के नाम पर महिला ओबीसी सीट को आरक्षण दिया गया है, उस गांव के परिवारों के 6 साल से अन्य पिछड़ी जाति के प्रमाण बनाने सरकार ने बंद कर दिये हैं, ऐसे में उनके नाम से आरक्षण देना धोखा है। आखिर सरकार जब इन परिवारों को अब ओबीसी मानती ही नही तो आरक्षण किस आधार पर दिया जा रहा है।
