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| मीडिया से बातचीत करती महापौर अनिता ममगाईं। |
’तहबाजारी‘‘ के नाम पर नगर निगम ने खेला ’खेल‘‘ तहबाजारी ठेके का हुआ था विरोध
ऋषिकेश। फुटकर फल एवं सब्जी विक्रेता समिति ने तहबाजारी ठेके में दिए जाने का जमकर विरोध किया था। लेकिन इस पर नगर निगम प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। पूर्व में फुटकर फल एवं सब्जी विक्रेता समिति समिति के अध्यक्ष राजू गुप्ता ने ठेके पर तहबाजारी के विरोध में नगर आयुक्त को ज्ञापन दिया था। कहा था कि ठेकेदार की ओर से लघु व्यापारी ठेली, फड़, रेहड़ी, खोखा लगाने वाले लोगों का उत्पीड़न किया जाएगा। ठेका कर्मी की ओर से लघु व्यापारियों से चार से पांच गुना तहबाजारी की वसूली करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम एक्ट में तहबाजारी नहीं बल्कि फेरी नीति का प्रावधान है। आसपास के नगर निगमों में तहबाजारी लागू नहीं है। नियमानुसार लाइसेंस और परिचयपत्र बनाने के बाद उचित शुल्क व्यापारियों से लिया जाए। इससे भविष्य में लघु व्यापारियों का अतिक्रमण के नाम पर उत्पीड़न न हो सके। तहबाजारी का ठेका देने से नगर निगम क्षेत्र में अतिक्रमण की बाढ़ आ जाएगी। ठेकेदार अपनी आमदनी में वृद्धि करने के लिए नगर भर में अधिक से अधिक खोखा, ठेली, फड़ लगवाने का प्रयास करेगा। लेकिन इन मांगों के बाद भी तहबाजारी का ठेका ठेकेदार को दे दिया गया।
नगर निगम में अधिकारियों की लापरवाही दे रही भ्रष्टाचार को बढ़ावा, तहबाजारी ठेके में नगर निगम को लगाया गया चार लाख का चूना
नगर निगम में अधिकारियों की लापरवाही के कारण भ्रष्टाचार रूकने का नाम नही ले रहा है। हाल ही में हुए तहबाजारी ठेके को लेकर गडबड़ किया गया है। इस भ्रष्टाचार से निगम कोष को सीधे चार लाख का चूना लगा है। दरअसल टेंडर के दौरान कुछ ठेकेदारों ने आपस में पूल कर लिया। लेकिन निगम अफसर भी इस खेल को देखते रहे। नतीजतन सबसे बड़े बोलीदाता ने ऐन मौके पर अपना टेंडर फार्म वापस ले लिया और दूसरे को तहबाजारी का ठेका दे दिया गया। बीते 27 जून को निगम परिसर में तहबाजारी का टेंडर आमंत्रित किया गया था। इस दौरान कुल आठ लोगों ने बंद लिफाफे के जरिए बोली लगाई। इनमें से सबसे बड़ी बोली 22 लाख की थी। दूसरी सबसे बड़ी बोली 18 लाख की। इसी बीच अचानक सबसे बड़े बोलीदाता फर्म की ओर से अपना टेंडर फार्म वापस लेने की सूचना आई। बोली दाता ने खुद न आकर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्ताक्षर से टेंडर वापस लिया। इस पर निगम अफसरों ने भी कोई आपत्ति जाहिर नहीं की। लिहाजा दूसरे सबसे बड़े बोलीदाता को 18 लाख में तहबाजारी का ठेका देना पड़ा। नियमों के मुताबिक एक बार टेंडर फार्म बक्स में पड़ जाने और खुलने के बाद वापस नहीं हो सकते। दूसरा पहलू यह है कि कोई तीसरा व्यक्ति हस्ताक्षर कर टेंडर प्रक्रिया से बाहर नहीं हो सकता है। नियमानुसार यदि बोलीदाता टेंडर प्रक्रिया के दौरान खुद को अलग करता है, तो उसकी सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली जाती है। हैरानी की बात ये है कि पूरी टेंडर प्रक्रिया के दौरान अंदरखाने हेराफेरी का तमाशा चलता रहा और अफसर मूकदर्शक बने रहे। इस बावत नगर आयुक्त चतर सिंह चौहान का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाली फर्म चाहे तो खुद को अलग कर सकती है। यदि ठेकेदार चाहे तो प्रतिनिधि नियुक्त कर उसके हस्ताक्षर से टेंडर फार्म वापस ले सकता है। जमानत राशि जब्त करने के बारे में अभी मंतण्रा हो रही है।
धर्मशालाओं के खुर्द-बुर्द की होगी जांच, तीर्थनगरी की शान धर्मशालाओं ने खो दिया अपना अस्तित्व
धर्मशालाओं की जगह खड़े हो गए है बड़े-बड़े काम्पलेक्सनगरायुक्त की अध्यक्षता में इसके लिए गठित होगी जांच समिति
ऋषिकेश। कभी तीर्थनगरी की शान यहां की धर्मशालाओं ने आज अपना अस्तित्व खो दिया है। धर्मशालाओं की जगह कॉम्पलैक्स खड़े कर दिए हैं। लेकिन शासन-प्रशासन ने कभी इस पर ध्यान नही दिया, जिस कारण नगर में अब नाम मात्र के लिए धर्मशालाएं बच गई है। इनकी भी अब खुर्द-बुर्द करने की तैयारी की जा रही है। नगर की धर्मशालाओं को बचाने के लिए नगर निगम की मेयर नगरायुक्त की अध्यक्षता में इसके लिए समिति का गठन करने जा रही है। हालांकि यह बात अलग है कि यह कमेटी अपना कर्तव्य कितनी ईमानदारी से पूरा कर पाती है। धर्मशालाओं व अन्य मुददों को लेकर महापौर अनिता ममगाईं ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से कहा कि नगर पालिका के दौर में हुए कायरे को निगम से जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है। ये ठीक नहीं है। सही वस्तु स्थिति समाज के सामने रखी जानी चाहिए। उन्होंने नगर की बेहतरी के लिए निगम के स्तर से हो रहे कायरे को रखा। कहा कि नया नगर निगम होने की वजह से मानव संसाधन से लेकर तमाम समस्याएं हैं। धीरे-धीरे इसका समाधान हो रहा है। उन्होंने मीडिया से सहयोग की अपील की। तीर्थनगरी ऋषिकेश के साथ धर्मशालाएं,आश्रम व्यापक पहचान जोड़ती हैं। इनके अस्तित्व के लिए नगर निगम गंभीर है। धर्मशालाओं के तेजी से बदलते हुए स्वरूप के लिए कहा कि नगर आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच कराई जा रही है। कमेटी धर्मशालाओं के पुरातन मौजूदा स्वरूप जांच करेंगे। खुर्दबुर्द वाले मामलों में एक्शन लिया जाएगा। इस मौके नगर आयुक्त चतर सिंह चौहान, सहायक नगर आयुक्त उत्तम सिंह नेगी, टीए निशांत अंसारी मौजूद थे।
