देवभूमि की बिटिया साक्षी चौहान के हौसले को किजिए सलाम! हादसे में गंवा चुकी पैर, फिर भी नेशनल बास्केटबॉल चैम्पीयनशिप जीत कर की मिशाल कायम।
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| फोटो- टिहरी गढ़वाल बगसारी गांव की रहने वाली साक्षी। |
पहाड़ की बेटी साक्षी चौहान के हौसले की दास्तान आपको सुनाऐं उससे पहले आप शायर साहिर लुधियानवी की शायरी की इंन दो पंक्तियों को पढिए-
"हजार बर्क गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं"
शायर साहिर लुधियानवी की शायरी की इंन दो पंक्तियाॅ भी देवभूमि की साक्षी चौहान के लिए नाकाफी सी लगती हैं, मूल रूप से बगसारी गांव टिहरी गढ़वाल की रहने वाली साक्षी ने महज नौ साल की उम्र में हुए बस हादसे की वजह से एक पैर पूरी तरह से खो दिया था, यही साक्षी का नही दूसरा पैर भी बमुश्किल बड़े ऑपरेशन और प्लास्टिक सर्जरी से बचाया जा सका, मगर साक्षी ने अपने अपनी असहनीय पीड़ा अक्षमता का घर बैठकर अपनी किस्मत का रोना कभी नही रोया बल्कि अपनी दिव्यांगता को ही अपनी ताकत के रूप में निखार दिया। हाल में गुमानिवाला ऋषिकेश में विनोद सिंह चौहान और नैना देवी की पुत्री साक्षी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आती है, एक पैर से दिव्यांग है।
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| फाटो- नेशनल बास्केटबॉल चैम्पीयनशिप जीत के बाद अपनी टीम के साथ साक्षी। |
जीत के बाद ऋषिकेश पहुचने पर हुआ साक्षी चौहान का जोरदार स्वागत।
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| फोटो- ऋषिकेश पहुचने पर गढ़वाल महासभा ने किया भव्य स्वागत। |
साक्षी की टीम ने इन टूर्नामेंन्टों में की है जीत हासिल-
6th national Wheelchair basketball
15 team played only
24 jun we won 1st match Against udisha
27 Jun we won 2nd match against Delhi
28 Jun 3rd we won 3rd match against karnataka
29 Jun final match we won against tamilnadu


