साहब! सही मायनों में तो ये हैं पहाड़ में गरीब! पर गजब इनके लिए आपके पास नही एक भी योजना....

साहब! सही मायनों में तो ये हैं पहाड़ में गरीब! पर गजब इनके लिए आपके पास नही एक भी योजना....
फोटो- अपने  कच्चे मकान में बच्चों के साथ खड़ी राखी देवी। 
रामरतन सिंह पंवार/जखोली। 
आजादी के बाद से ही गरीबी को एक अभिशाप मानते हुए सरकारों ने गरीबी मिटाने के लिए युद्धस्तर पर बड़ी-बड़ी योजनाएं चलाई, लेकिन सवाल ये है कि क्या इन योजनाओं का लाभ वास्तव में गरीबों को मिलता है या फिर इनके गरीबी को दिखा योजना तो बनती हैं लेकिन लाभा कोई और ले जाता है और गरीब पैदा भी गरीब होता है जीवन भी गरीबी में जीता है और मरता भी गरीब ही है रूद्रप्रयाग के जखोली की राखी देवी की गरीबी भी कुद ऐसी ही है, लेकिन ताजुब्ब की बात ये है कि या तो हमारे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इनकी गरीबी और लाचारी नही दिखती या फिर वो इस गरीबी को बना रहने देना चाहते है।

प्रखंड जखोली के अंतर्गत ग्राम पंचायत बुढना की रहने वाली राखी देबी‌ पत्नी स्वर्गीय महावीर लाल आवास पाने के लिए जगह-जगह दफ्तरो के चक्कर काटने को मजबूर है आपको बतादेें कि राखी के पति की मृत्यु आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व हो चुकी है जब महावीर लाल की मृत्यु हुई थी तो तब वो अपनी पत्नी व दूध पीते चार छोटे-छोटे बच्चे दो लड़के और दो लड़कियां छोड़ गया था। किसी तरह राखी देबी हिम्मत बांधी और मेहनत मजदूरी करके किसी तरह अपने व अपने नन्हें से बच्चों का पालन-पोषण किया। 

विडियो देखें- क्या कहती हैं राखी देवी 
अत्यधिक गरीबी की मार झेल रही इस महिला के पास आज रहने के लिए कोई पक्का मकान नही है, केवल मकान के नाम पर एक खंडहर जरूर है जो कि किसी भी क्षण टूट सकता है। राखी देबी का कहना है कि मैने कई बार पंचायत प्रतिनिधियों को आवास हेतु गुहार लगाई लेकिन अश्वासन के शिवाय कुछ नही मिला आखिर गरीब की कौन सुनता। यही नहीं राखी देबी ने 3 जुलाई वर्ष 2018 मे राजकीय इंटर मेडिटेट कालेज बुढना मे आयोजित जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग की अध्यक्षता मे संपन्न हुई तहसील दिवस मे आवास हेतु चयनित करने से संबंधित प्रार्थना पत्र भी दिया था जिसमें कि जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग ने राजस्व उपनिरीक्षक बुढना को महिला के मकान की जांच कर रिपोर्ट देने तथा आवास न होने की दशा मे चयनित करने के आदेश दिए। 

तत्पश्चात राजस्व उपनिरीक्षक ने राखी देवी के पास आवासीय मकान न होने व चयन करने से संबंधित अपनी जांच आख्या जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को भेज दी बताया जा रहा है कि ये रिर्पोट दो बार रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन वो रिपोर्ट आज तक कार्यवाही के नाम पर कहीं दफ्तरो मे धूल फांक रही है। पूछे जाने पर कि क्या आपका चयन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी किया गया तो राखी देबी का कहना है आवास के लिए आज कोई चयन नही किया गया है क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र नैथानी का कहना है कि प्रधान ने भी राखी देबी को आवास दिलाने हेतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई अगर पंचायत प्रतिनिधि चहाते तो इस असहाय, गरीब एक मजबूर महिला को शासन प्रशासन से आवास हेतु कोई आर्थिक सहायता दिलवा सकते थे। अभी कुछ दिन पूर्व राखी देबी की एक बेटी की ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत हो गयी। 

जिस कारण से राखी देबी और भी परेशान हो गयी। आज राखी के पास जो भी दो कमरो वाला कच्चा मकान है वो भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है अंदर से सारी लकड़ी टूट चुकी है और कभी भी ये टूट सकता है और एक बड़ा हादसा हो सकता है। महिला का आज तक जांब कार्ड भी नही बनाया गया जिससे वह मनरेगा मे मजदूरी कर सके, राखी के पास नही बिजली की कोई व्यवस्था नही गैस की आज राखी देबी अपने तीन बच्चों के साथ बिना कुछ आजीविका के साधन के जीने को मजबूर है, आखिर राखी को शासन प्रशासन कब रहने के लिए छत देगा महिला के परिवार मे तो कोई भी कमाऊ व्यक्ति भी नही है जो खुद के संसाधनों से अपने लिए मकान बना सके। 

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