उत्तरकाशी में जन औषधि केंद्र मामला ! मेरा नही तो तेरा भी नही ? कोर्ट गया मामला

हरीश थपलियाल।
मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने एक जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की शुरूआत की थी। इसके तहत जन औषधि केेंद्र स्थापित कर मरीजों को काफी सस्ती दर पर जैनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराई जानी थी। लेकिन उत्तरकाशी में जन औषधि केंद्र खुलवाये जाने का मामला न्यायालय में जाने से फिलहाल खटाई में पड़ गया है। बावजूद इसके अभी तक जिला अस्पताल समेत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ओर सामुदायिक केंद्रों में  जन औषधि केेंद्र स्थापित नहीं हो सका ?

मामला न्यायालय में जाने से मरीजों को बाहर से दवाइयां महंगे दाम पर लेनी पड़ रही हैं। दरअसल, बड़ी संख्या में गरीब लोग सरकारी अस्पतालों में पहुंचकर डॉक्टर से स्वास्थ्य परीक्षण तो करा लेता हैं। इन अस्पतालों में कुछ दवाइयां मिल जाती हैं। न मिलने की स्थिति बाहर से दवाइयां खरीदना मजबूरी है। कई बार दवा न खरीद पाने की स्थिति में मरीज की मौत भी हो जाती है। 

इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की शुरूआत की गई थी। औषधि केंद्र न खुलने से जिले की लगभग 3 लाख की आबादी पीएम की महत्वपूर्ण योजना से वंचित हैं। यह हाल तब है जब उत्तरकाशी जिला प्रदेश के सीमांत जिलों में शुमार है। सीएमओ डॉ डीपी जोशी ने बताया कि तथाकथित कुछ लोगों ने जनऔषधि केंद्र खुलवाने के मामले में अड़ंगा लगाया है। पारदर्शिता के साथ जन औषधि केंद्र खुलवाये जा रहे थे, लेकिन जानबूझकर मामले पर याचिका दायर की गईं। ओर अब मामला  न्यायालय में विचाराधीन है। और अब  दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। बताते चलें कि जिला अस्पताल में एक हजार मरीज आते है प्रतिदिन


जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 800 से 1000 मरीज स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आते हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन लगभग 20 मरीज इमरजेंसी में आते हैं। चिकित्सकों द्वारा जांच परीक्षण के बाद अस्पताल में उपलब्ध न होने पर कई दवाइयां बाहर से मरीजों को खरीदनी पड़ती हैं। अगर औषधि केंद्र होता तो इन मरीजों को बाहर से दवा भी नहीं लेनी पड़ती।।।

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