उत्तरकाशी- चाचा ने नाबालिग भतीजी को बनाया हवस का शिकार..

उत्तरकाशी- चाचा ने नाबालिग भतीजी को बनाया हवस का शिकार.. 
हरीश थपलियाल / उत्तरकाशी। 
रोज हमारे सामने ऐसे मामले आ रहे है जिनके बारे में जानकर हमारा दिल दहल जाता है। हाल ही में एक मामला रिश्तों को शर्मसार कर देने वाला सामने आया है। जिसके बारे में जानकर आपका सिर शर्म से नीचे झुक जाएगा।। जानकारी के अनुसार ये मामला उत्तरकाशी जिले से हमारे सामने आया है। जहां सगे चाचा ने अपनी 14 वर्षीय भतीजी को अपना हवस का शिकार बनाया है।। मामला शुक्रवार का बताया जा रहा है, जहां आरोपी पर पॉक्सो, बलात्कार की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया जिसके बाद आरोपी कलयुगी चाचा को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया।।


शर्मसार कर देने वाली घटनाओं ने बता दिया है कि समाज में लोग यौन आतुर रहते हैं। इन घटनाओं में छोटी-छोटी बालिकाओं के साथ बलात्कार किया गया और उनकी जघन्य हत्याएं की गईं, जिनके चलते लगता है कि समाज में महिलाओं के प्रति कोई सम्मान, निष्पक्षता, संतुलन, सहिष्णुता नहीं है।
क्या आप इन घटनाओं से आहत हैं? बिल्कुल नहीं क्योंकि जानकर बताते हैं कि हमारे समाज में महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार चौथा आम अपराध है। जानकर मानते हैं हमारे देश में प्रत्येक 5 मिनट में बलात्कार की एक घटना होती है। समाचारपत्रों में 2, 4, 6, 8 वर्ष की बालिकाओं के साथ बलात्कार के समाचार सुर्खियों में छाए रहते हैं। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, 

उनके जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है और फिर भी हम अपने समाज को सभ्य समाज कहते हैं। हमारे समाज में आज महिलाएं और युवतियां असुरक्षित वातावरण में रह रही हैं जहां पर उन्हें सैक्स की वस्तु या पुरुष की पाशविक यौन प्रवृत्तियों को शांत करने की वस्तु के रूप में देखा जाता है। यौन उत्पीडऩ की शिकार अनेक महिलाएं चुप रहती हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि उन्हें आगे और उत्पीडऩ न सहना पड़े या उन्हें चरित्रहीन घोषित न किया जाए। वहीं कई जानकारी मानते हैं कि पुरुषों का भी उत्पीडऩ होता है। कुछ महिलाएं सुविधाएं लेने के लिए स्वयं को उपलब्ध कराती हैं या पेशेवर असहमति का बदला लेने के लिए कई बार निर्दोष पुरुषों के विरुद्ध भी यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराती हैं। यह भी एक चिंता का विषय है।


फिर इस समस्या का समाधान क्या है ? सिस्टम में बैठे सक्षम लोगों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि महिलाओं के साथ अत्याचार तब तक बढ़ते जाएंगे जब तक मजबूत पुलिस कानून नहीं बनाए जाते, जिसके चलते महिलाओं के विरुद्ध अपराध करने से पूर्व पुरुष सौ बार सोचेगा। ऐसे वातावरण में जहां पर नैतिकता और नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है, समाज में ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं जो नैतिकता की दृष्टि से उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में हमें इस बात पर विचार करना होगा कि महिलाएं कब तक पुरुषों के वेश में जानवरों की यौन इच्छाओं का शिकार बनती रहेंगी। समय आ गया है कि  महिलाओं की स्थिति के बारे में पुनर्विचार करें। क्या वे यह कहती रहेंगी की बलात्कार आखिर कब तक? ऐ मेरे वतन के लोगों ?

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