क्या यही है शहीद का सम्मान! नाम पर हुए इण्टर काॅलेज से गायब शहीद का नाम..
वाचस्पति रयाल।
नरेन्द्र नगर। देवभूमि उत्तराखण्ड़ को सैन्य बाहुल्य राज्य के कारण पूरे देश में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन देवभूमि का शिक्षा महकमा शहीदों के प्रति कितना सम्मान रखता है, इसका जीता जागता उदाहरण अमर शहीद स्व० सोहनलाल सेमवाल राजकीय इण्टर काॅलेज नागदेव पथल्ड टिहरी गढ़वाल में देखने को मिलता है, जहाॅ अबतक विघालय भवन में अमर शहीद का नाम तक नही लिखा गया।
स्वाडी गांव के निवासी अमर शहीद सोहनलाल सेमवाल भारतीय सेना में थे, शहीद सोहनलाल सेमवाल भारत-पाक 1971 की लड़ाई में देश के लिए शहीद हो गए थे, शहीद के सम्मान में लोगों ने इस कॉलेज के नाम को उनके नाम पर रखने की मांग सरकार से की थी, कई वर्षो की मांग के बाद सरकार ने 2018 में विद्यालय का नाम अमर शहीद स्व० सोहनलाल सेमवाल राजकीय इण्टर काॅलेज नागदेव पथल्ड कर दिया। इससे शहीद को नही बल्कि विद्यालय को बड़ा सम्मान प्राप्त हुआ।
विघालय भवन पर विघालय का नाम आज भी वही वर्षो पुराना है, शहीद का नाम जुड़ जाने पर इसे नही बदला गया, ऐसे में अब विद्यालय प्रबन्धन को किस बात का इन्तजार है समझ से बाहर है।
शहीद के नाम पर व्यवस्थाओं का टोटा-
सरकार शिक्षा में सुधार और प्रगति के कितने भी दावे क्यों न कर ले मगर धरातल पर देखें तो हालात बद से बदतर होते नजर आ रहे हैं। सरकार चाहे कोई भी हो वह शिक्षा में प्रगति के ढोल पीटते और अपनी पीठ थप-थपाती नहीं थकती, इतना ही नहीं हर सरकार शिक्षा में सुधार के नाम पर तरह-तरह के प्रयोग करके अंधाधुंध पैसा पानी की तरह बहा देती है। मगर धरातल पर फिर भी वही ’ढाक के तीन पात’। दरअसल वोट की राजनीति के चलते सरकार ने पहाड़ों में बेतरतीब हिसाब से विद्यालय तो जरूर खोले हैं, मगर अक्सर देखने में यह आ रहा है कि उन विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा बरसों से बना हुआ है। ऐसा ही एक विद्यालय है अमर शहीद स्व० सोहनलाल सेमवाल राजकीय इण्टर काॅलेज नागदेव पथल्ड टिहरी गढ़वाल।
चंबा विकासखंड के इस विद्यालय में वर्तमान में 234 छात्र संख्या हैं, इनमें 120 छात्र और 114 छात्राएं हैं, इस विद्यालय में शिक्षकों के 16 पद स्वीकृत हैं। मगर केवल 11 शिक्षक ही कॉलेज में कार्यरत हैं। यहां शिक्षकों का सबसे बड़ा टोटा इंटरमीडिएट कक्षाओं को पढ़ाने के लिए बना हुआ है। कॉलेज में रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र ,नागरिक शास्त्र और संस्कृत जैसे विषयों के अध्यापक काफी लंबे समय से नहीं हैं। जब कि एलटी स्तर पर कॉलेज में भाषा का अध्यापक नहीं है। विद्यालय में 5 शिक्षकों के पद रिक्त चले आ रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस कॉलेज में नजदीक गांव के बच्चे ही अध्ययनरत हों, दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए इस कॉलेज में प्रवेश लेते हैं।
इस कालेज में ग्राम जड़धार गांव, इडवाल गांव, कुमार गांव, चांथरी गांव, मुंडाण गांव, स्वाडी, ग्वाड़, स्यूल, न्यूडाल गांव, तिलवाल गांव, डांग सारी, तथा केमरी गांव सहित कुल 13 गांवों केे बच्चे 5-5 किलोमीटर दूर पैदल चल कर के विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। मगर विडंबना ये है कि इंटर स्तर पर बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। और तो और कॉलेज में लंबे समय से प्रधानाचार्य का पद भी रिक्त चला आ रहा है। शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बिजलवान का कहना है कि उन्होंने कई बार विभाग के अधिकारियों से रिक्त शिक्षकों के पदों पर शिक्षकों की तैनाती की मांग की है, मगर आज तक उनकी बात शिक्षा विभाग जैसे भारी-भरकम महक्कमें में नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो कर रह गयी है।
ऐसे में पता नही कितने और वर्षों तक शहीद के नाम का झंडा बरदार बना यह कॉलेज सरकारी उपेक्षा का दंश झेलता रहेगा। ऐसे में अब उम्मीद ही की जा सकती है कि सरकार और शिक्षा विभाग जल्द शहीद के नाम का ध्वजवाहक बना इस कॉलेज की चरमराती शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लौटायेगा।

