हरीश थपलियाल।
उत्तरकाशी स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। कई दशकों से जीर्णशीर्ण भवन में स्कूली छात्रायें खतरे के साए में पठन-पाठन करने को मजबूर हैं। टीन से बनी स्कूल की छत तेज हवा के झोंके से शोर मचानी शुरू कर देती है। बारिश के दौरान तो स्कूल की छत से पानी टपकने लगता है, जिसे बंद करना मुश्किल हो जाता है। स्कूल भवन कब नीचे गिर जाए, छात्राओं और शिक्षकों को हमेशा यही डर सताता रहता है। ऐसे में सरकार का सरकारी स्कूलों में डिजिटल क्लास का सपना कैसे पूरा होगा।।।
जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर चिन्यालीसौड़ ब्लॉक अंतर्गत राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है। वर्तमान में स्कूल में 219 छात्राएं अध्ययनरत हैं। इस स्कूल में श्यामपुर,चुपल्या, नागणी, के करीब एक दर्जन से अधिक गांव की छात्रायें पढ़ाई करने आते हैं। गजब की बात है कि वर्ष 1960 के आस-पास बने स्कूल का भवन आज भी बदहाल है। स्थिति यह है कि स्कूल भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें, टूटी खिड़कियां, दरवाजे और जर्जर हो चुके टीन शेड की छत छात्राओं और शिक्षकों में दहशत पैदा कर रही है। शिक्षिका मखनी शाह ने बताया कि राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नगर पालिका क्षेत्र में होने के बावजूद भी विद्यालय का भवन जर्जर है। स्कूल मैदानी क्षेत्र में होने के कारण तेज हवाओं से छत उड़ने के डर से छात्र और शिक्षक सहम जाते हैं। स्कूल प्रधानाचार्य कमला राणा ने बताया कि स्कूल भवन की जर्जर स्थिति के बारे में कई बार संबंधित विभाग को अवगत कराया जा चुका है। लेकिन मरम्मत के लिए कुछ नहीं किया जा रहा।।
बता दें कि विद्यालय बेसिक पाठशाला से 1984 में हाईस्कूल उच्चीकृत हुआ था, जिसके बाद वर्ष 2014 में विद्यालय का हाईस्कूल से इंटरमीडिएट के लिए उच्चीकरण तो किया गया, लेकिन सरकार भवन देने में नाकाम साबित हुई। जबकि विद्यालय का पठन-पाठन अव्वल दर्जे का है। स्कूल में अध्यापिकाएं भी स्वीकृत पद के अनुसार पूरी हैं। इस वक्त बालिका इंटर कॉलेज में 21 शिक्षिकाएं हैं। जिनमें प्रवक्ता ओर 12 सहायक अध्यापिकाएं नियुक्त हैं। जो रोजाना अतिरिक्त कक्षाएं भी चला रही हैं, जिसके परिणाम स्वरूप उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में दो छात्राओं ने 88 ओर 82 फीसदी अंको के साथ सरकारी स्कूलों का मान बढ़ाया है।
हालांकि विद्यालय की 6 छात्रायें हाईस्कूल और 3 छात्रायें इंटरमीडिएट अनुत्तीर्ण रहीं। बोर्ड परीक्षा की हाईस्कूल में 23 तो बारहवीं में 22 छात्रायें अध्ययनरत थे। इतने सालों बाद विद्यालय में भवन न होने की तकनीकी खामियां इस बालिका इंटर कॉलेज दुर्गम श्रेणी होना बताया गया है। फाइलों में यह बालिका इंटर कॉलेज दुर्गम में हो या सुगम विद्यालय को अब जरूरत है तो सिर्फ भवन की ? ताकि पठन-पाठन प्रभावित न हो ?


