सामाजिक सरोकारों के नेता हैं, विजयपाल सजवाण।।।।

हरीश थपलियाल।
समूचे देश में कांग्रेस पार्टी बुरे दौर से गुजर रही है,लेकिन उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री विधानसभा से आने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण की लोकप्रियता आज भी बरकरार है।।। इनकी लोकप्रियता से गंगोत्री विधानसभा में कांग्रेस पार्टी का वजूद आज भी जीवित है।।।

उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में पहली बार निर्वाचित हुए विजयपाल सजवाण  विधानसभा पँहुचे।।। दूसरी बार विजय पाल सजवाण 2012 में भी विधानसभा पँहुचे थे, इससे पूर्व सजवाण उत्तरकाशी के नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर भी रहे। छात्र जीवन से ही विजयपाल सजवाण बड़े प्रतिभावान थे। अपने  मित्रों, बीमार बुजुर्गों, पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए वे तब से अब तक संघर्ष रत है। वे उत्तरकाशी महाविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे थे।।। देश ओर प्रदेश में कांग्रेस का भले ही सूपड़ा साफ हुआ हो मगर कांग्रेसी विधायक विजय पाल सजवाण की प्रतिभा आज भी  क्षेत्र के लोगों की जुबां पर रहती है। यही नही दो बार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी वे जनहित के मुद्दों के लिए लड़ते दिखाई दिए, हालांकि वे गंगोत्री विधानसभा से चुनाव हारें हों मगर उनकी कार्यशैली के लोग आज भी कायल हैं।।। क्षेत्र के लोग उन्हें कांग्रेस के नेता नही मानते बल्कि उन्हें जन नेता मानते हैं।।

जन सरोकारों से जुड़े रहने की उनकी खूबी उन्हें लोकप्रिय बना रही है। लोग उनमें  अत्यंत प्रेम और करुणा का भाव नेतृत्व का प्रतिबिम्ब देखते हैं।  इसका अर्थ यह हुआ कि नेता बनने के गुण कुछ अंश तक हर व्यक्ति में छुपे होते हैं। नेताओं के गुणों को पोषित करना चुनौती है।
नेता चाहे राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक कोई भी हो, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी प्रतिबद्धताएं बताने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग होती है। अधिकतर यह किसी के रुचियों अथवा अरुचियों पर निर्भर करती है। तो भी नेता को एक ही मापक यंत्र से सबको मापना होता है। उसे सही समय पर उचित निर्णय लेने के लिए वांछित बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है। समाज में सभी लोग एक जैसे नहीं होते। हर व्यक्ति को संतुष्ट नहीं कर सकते। पर नेता को सबको साथ लेकर चलना एवं समान न्याय करना होता है। इन्हीं खूबियों के बूते पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण की जनता के बीच अच्छी पकड़ है।

खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇