नगर पालिका का सुपर अध्यक्ष बन पालिका चलाने की तैयारी या किसी ने की साजिश! नगर पालिका रूद्रप्रयाग में मचा है हड़कम्प. . . .

नगर पालिका का सुपर अध्यक्ष बन पालिका चलाने की तैयारी या किसी ने की साजिश! नगर पालिका रूद्रप्रयाग में मचा है हड़कम्प. .
 प्रस्ताव
सोशल मीडिया में वाईरल हो रहा प्रस्ताव। 
रामरतन पंवार/रूद्रप्रयाग। । 
नगरपालिका रूद्रप्रयाग आजकल चर्चाओं में है, चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या कोई नगरपालिका में पालिका अध्यक्ष से भी ऊपर नगर पालिका सूपर अध्यक्ष बन पालिका को चलाने की तैयारी कर रहा है? या फिर कोई जानबूझ कर उन्हे बदनाम करने की साजिश रच रहा है? पूरा मामला सोशल मीडिया में तैर रहे पालिका सभाषदों के एक प्रस्ताव को लेकर है जिसमें भाजपा के ही सभासदों द्वारा कांग्रेस के वरिष्ट कांग्रेस नेता व पूर्व राज्यमंत्री देवेन्द्र झिंक्वाण को पालिका की बोर्ड बैठक में बतौर समिति के सदस्य के तौर पर बैठने के लिए अपनी सहमति दी गयी है। अगर ये सत्य है तो आप ही सोचिए कि इससे बड़ा मजाक लोकतत्रं के साथ ओर क्या हो सकता है।


नगरपालिका रूद्रप्रयाग में इस पूरे प्रकरण के बाद हड़कम्प मचा है, सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर कैसे किसी बाहरी व्यक्ति को बिना चुनाव लड़े नगर पालिका बोर्ड की बैठक में सम्मलित किया जा सकता है, और इसके लिए भाजपा के सभासदों को इस तरह के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने की आखिर क्यों जरूरत पड़ी? इसके पीछे सबसे पहला सवाल ये खड़ा होता है कि क्या नगर पालिका अध्यक्ष गीता झिंक्वाण के पति व पूर्व राज्यमंत्री देवेन्द्र झिंक्वाण बिना चुनाव लड़े ही सूपर नगर पालिका अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं? या फिर कहीं ऐसा तो नही कि इसमें वरिष्ट कांग्रेस नेता व पूर्व राज्यमंत्री देवेन्द्र झिंक्वाण को फंसाने व बदनाम करने की साजिश हो रही हो। 


इस प्रस्ताव को पढ़कर देखें तो साफ झलकता है कि नगर पालिका अधिनियम- 1916 की धारा 108 के तहत बाहरी व्यक्ति को बोर्ड बैठक में बतौर सदस्य सम्मलित करने की सहमति कुछ सभासदों द्वारा दी गयी है, बड़ी बात ये है कि जिन 5 सभासदों के हस्ताक्षर हैं उनमें से चार लक्ष्मण कप्ररवाण, अमरादेवी, ऊमा देवी व सुरेन्द्र रावत भाजपा के सभासद है जबकि अंकुर खन्ना निर्दलीय सभासद हैं, जबकि इस प्रस्ताव में न ही नगर पालिका अध्यक्ष गीता झिंक्वाण के हस्ताक्षर हैं और न ही पालिका के अधिशासी अभियन्ता संजय रावत के। ऐसे में इस प्रस्ताव को लेकर हर कोई अपने अपने तरह से व्यांख्या कर रहा है। इस प्रस्ताव में सबसे चौकाने वाली बात ये हैं कि कांग्रेस के पालिका में एकमात्र सभासद संतोष रावत के भी इस पर हस्ताक्षर नही हैं और वो इस प्रस्ताव के खुलकर विरोध में भी हैं व डीएम कार्यालय में इसकी शिकायत कर चुके हैं, वही जिन भाजपा सभासदों के इसमें हस्ताक्षर हैं उनमें से इस पर किसी भी सभासद का को स्टेटमेंट नही आया है। 


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पूरे मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी संजय रावत का कहना है कि इस तरह का कोई प्रस्ताव पालिका की न बोर्ड बैठक में रखा गया और न ही पालिका में कही चर्चा में आया है, इसका पालिका से कोई लेना देना नही है, इस पर जल्द ही पालिका कानूनी कार्यवाही भी कर सकती है। 
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वही पालिका में एकमात्र कांग्रेसी सभासद सन्तोष रावत का कहना है कि - मेरे पास कोई पालिका प्रशासन व बोर्ड से बाहरी व्यक्ति इस प्रस्ताव को लेकर आया, मुझे भी हस्ताक्षर के लिए कहा गया, मुझे बताया गया कि ये पुरानी बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव में चढाया जायेगा। वैसे जिनके नाम को बोर्ड बैठक में सम्मलित करने के लिए ये प्रस्ताव था वो पूर्व में भी बोर्ड की बैठक को असवैधानिक रूप से बैठते आए हैं, मेरे द्वारा विरोध करने पर इनके द्वारा कई जगहों पर गाली गलौच व अभद्रता की गयी, क्योकि यह प्रस्ताव अधिकारिक रूप से बोर्ड मेम्बर होने के नाते मुझ तक नही पहुचा, और यह नियम विरूद्ध भी प्रस्ताव है इसलिए मैने इसका विरोध किया और हस्ताक्षर नही किये। 

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