बिना अनुमति के बना दिया डपिंग जोन, एनजीटी के नियमों को दिखा रहे ठेंगा
कुलदीप राणा आजाद
रूद्रप्रयाग में जिला प्रशासन और नगर पालिका द्वारा बरसाती नाले में डपिंग जोन बनाये जाने से करीब 10 से अधिक परिवारों को खतरा पैदा हो गया है। लोगों द्वारा विरोध करने पर भी नगर पालिका द्वारा लगातार मनमानी की जा रही थी, अब मानसून बरसते ही डपिंग जोन में जबदस्त भूधँसाव व भूस्खलन होने लगा है जिस कारण उसके पास बसे आवासीय भवन खतरे की जद में आ गए हैं।
रूद्रप्रयाग में जिला प्रशासन और नगर पालिका द्वारा एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर आबादी के बीचों-बीचों बरसाती गदेरे में डम्पिंग जोन बनाया गया है जो बारिश आने के बाद अब 10 से अधिक परिवारों के लिए मुशीबत का सबब बना हुआ है। रूद्रप्रयाग गुलाबराय मैदान के पास नगर पालिका द्वारा एक डपिंग जोन बनाया गया है। आज सुबह से हो रही मूशलाधार बारिश के कारण इस मलबे के ढेंर में जबदस्त भू-धँसाव व भूस्खलन होने लगा जिस कारण इसके पास बनी मकाने भी खतरे की जद में आ गई। जबकि इस डम्पिंग जोन के कारण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी तालाब में बदल गया। राजमार्ग के किनारे डम्पिंग जोन में पार्किंग का सपना भले ही नगर पालिका देख रही हो लेकिन यह पार्किंग तो नहीं बन सकी मगर यहां के स्थानीय लोगों के लिए मुशीबत का सबब जरूर बन गई है। स्थानीय लोगों का साफ तौर पर कहना है कि बिना उनकी अनुमति बरसाती गदेरे में आॅलवेदर रोड़ का मलबा डाला जा रहा है। जबकि उनके द्वारा शुरूआत से ही इसका विरोध किया जा रहा था लेकिन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल से लेकर नगरपालिका के अध्यक्ष और विधायकों तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन कई कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आपको याद होगा रूद्रप्रयाग जनपद में वर्ष 2013 में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई अतिवृष्टि ने पूरे पहाड़ में नदी नालों से लेकर बरसाती गदेरों तक को उफान पर लाकर रख दिया था जिस कारण गदेरों के आसपास की आबादी समेत तमाम निर्माण कार्य तास के पत्तों की तरह ढह गए थे। उस महाविनाश के बाद तत्कालीन सरकार ने एक अध्यादेश भी लागू किया था कि नदी नालों और बरसाती गदेरों के दो सौ मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा। बावजूद रूद्रप्रयाग में सरकारी तंत्र ही प्रकृति के मार्ग में अवरोध पैदा कर रहा है। वहीं इस डपिंग जोन से यहां पर बना स्कबर भी बंद हो चुका है जिस कारण इसके ऊपरी क्षेत्र की पहाड़ियों का पानी भी सीधे सड़क पर आ जाता है। सड़क में पानी के तालाब बनने से एक ओर जहाँ उसके नीचले क्षेत्र में बसे परिवारों को बड़ा खतरा है वहीं यहां चलने वाले मुशाफिरों के लिए भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग शुरूआत से ही इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन लोगों का आरोप है कि नगर पालिका द्वारा स्थानीय लोगों को डराया जा रहा है।
वहीं इस मामले में इस वार्ड की पार्षद रूकमणी देवी का कहना है कि नगर पलिका द्वारा बिना वार्ड मेमर से रायमशवरा लेकर कार्य किया। जो कि विल्कुल भी गलत। नगर पालिका के अन्य वार्ड सदस्य भी इस डंम्पिंग जोन को निकट भविष्य के लिए खतरा बता रहे हैं। पार्षदों का कहना है कि बरसाती गदेरे में का मुहाना किसी भी रूप बंद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद को इसे यथा शीघ्र बंद कर देना चाहिए।उधर नगर पालिका के ईओ का कहना है कि लोगों की शिकायत पर इस डंम्पिंग जोन से लोगों को कितना खतरा है इसके लिए एक कमेठी का गठन किया गया है जो जांच कर रही है।
आपको बताते चले कि यहां नगर पालिका परिषद द्वारा अवैध रूप से डम्पिंग जोन बनाया गया है। जिला प्रशासन की शह पर बिना अनुमति के यह डम्पिंग जोन बनाई गई है। जबकि इस डम्पिंग जोन के कारण जहाँ दस से अधिक परिवारों पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं वहीं नगर पालिका द्वारा एनजीटी के नियमों को भी ठेंगा दिखाया जा रहा है। इस मलबे के कारण इस बरसाती गदेरे के आस-पास सैकड़ों पेड़ को नष्ट-भ्रष्ट किया गया। बड़ी बात तो ये हैं कि स्थानीय लोगों द्वारा जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के जनता दरबार में कई बार गुहार भी लगाई लेकिन उसके बाद भी इस गम्भीर स्थिति को ओर जिम्मेदार अधिकारियों ने भी आँखमूदें रखा। अब सवाल यह है यदि इस डम्पिंग जोन से भविष्य में इन परिवारों को कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी है।

