रूद्रप्रयाग महाविद्यालय के छात्रों ने अपनी 6 सूत्रीय मांगो को लेकर खोला मोर्चा, अनिश्चितकालीन धरना किया शुरू..

प्रदेश में उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने को लेकर भले ही लाख दावे होते हों लेकिन उच्च शिक्षा के मंदिर किस तरह से बदहाली में है इसका जीता जागता उदाहरण राजकीय महाविद्यालय रूद्रप्रयाग से बेहतर कहीं देखने को नही मिल सकता, नेताओं अधिकारियों के चक्कर काट-काट व झूठे आश्वासनो से थक हार छात्रों ने अब जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है- 

राजेश नेगी/रूद्रप्रयाग। 

राजकीय महाविद्यालय रूद्रप्रयाग भले ही रूद्रप्रयाग के जिला मुख्यालय में स्थित महाविद्यालय हो, ऐसे में होना ये चाहिए था कि जिला मुख्यालय में स्थित महाविद्यालय होने के कारण यहाॅ सबसे बेहतर सुविधाऐं छात्रो ंको मिलनी चाहिए थी। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो है इसका ठीक उल्टा, जिला मुख्यालय में स्थिति इस महाविद्यालय में सुविधाओं का ऐसा टोटा है कि छात्रों को अब विवश होकर आन्दोलन की राह पकड़नी पड रही है। ऐसा नही है कि छात्रों ने कभी अपनी समस्याओ से शासन-प्रशासन व स्थानीय विधायक को अवगत नही कराया, बल्कि नेताओं और अधिकारियों के कोरे आश्वासनो से अब छात्र उब चुके हैं। 


ऐसे मेें अब छात्रों ने आन्दोलन की राह पकड़ी है, और अपनी 6 सूत्रीय माॅगों को लेकर काॅलेज में ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये हैं। छात्रों का आरोप है कि उनका काॅलेज न ही पढ़ने के लिए कमरे व इमारत है और न ही शौचालय, न ही कोई अन्य सुविधाऐं, महाविद्यालय में वर्षो से एसएम व बीएससी की कक्षाओं को शुरू करने की मांग चल रही है, प्रशासन के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी काॅलेज की माॅगों पर ध्यान नही दिया जा रहा है, ऐसे में उनको आन्दोलन के लिए विवश होना पड़ा है, अगर उनकी मांग नही मानी जाती तो छात्रों का आन्दोलन उग्र होकर सड़कों पर भी उतर सकता है। छात्रसंघ अध्यक्ष आशीष कप्रवाण, विक्रान्त चोधरी, सम्पन्न नेगी, नीरज कप्रवाण, शिवानी बिष्ट, निशा पंवार, लक्ष्मी डिमरी, तमन्ना मेवाल समेत कई छात्र छात्राऐं अनिश्चितकालीन धरने में बैठे हैं। 
आन्दोलनरत छात्रों की 6 सूत्रीय मांग- 
  • महाविद्यालय में एस0ए0 ओर बी0एस0सी0 की कक्षाओं का संचालन शुरू करवाना। 
  • महाविद्यालय में सफाई कर्मचारियो की नियुक्ति। 
  • महाविद्यालय के पास मौजूद जिला पंचायत की भूमि महाविद्यालय के नाम करवाना। 
  • महाविद्यालय की मूलभूत बुनियादी समस्याओं का हल। 
  • महाविद्यालय में स्थाई भवन का निर्माण करवाना। 
  • महाविद्यालय में नियुक्त कर्मचारियों को देहरादून से वापस बुला महाविघालय मेें ही सेवा करवाना। 

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