सफल होता प्रयोग: रूद्रप्रयाग में 142 दिनों में मां एप्प की सहायता से 92 गर्भवती महिलाओं की हुई सफल डिलीवरी..
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| फोटो- मां एप्प से जुड़ी एएनएम के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीएमओ डा0 एस0के0 झा व अन्य। |
कुलदीप राणा "आजाद"
रूद्रप्रयाग। देश व प्रदेश में पहली बार रूद्रप्रयाग जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किये गये चलाये गये माॅ एप्प प्रोजेक्ट सफल होता हुआ नजर आ रहा है, माॅ एप्प प्रोजेक्ट के तहत अधिक जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की उचित देखभाल के लिए शुरू किया गया था, आंकड़ो पर नजर डालें तो मां एप्प के शुभारम्भ से अबतक के 142 दिनों में 92 गर्भवती महिलाओं का सफलता पूर्वक प्रसव करवाया गया है।
रूद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल की सोच और जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 एस0के0 झा के निर्देशन में माॅ एप्प प्रोजेक्ट दिन प्रतिदिन सफलता की सीढ़ी चढ़ रहा है, इसी वर्ष 7 मार्च को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व प्रधानमंत्री मातृ सुरक्षा अभियान के तहत माॅ एप्प प्रोजेक्ट का रूद्रप्रयाग में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुभारम्भ किया गया था, इसके पीछे ये परिकल्पना है कि अगर पहाड़ी जिले रूद्रप्रयाग में ये सफल रहता है तो प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसे लागू किया जा सकता है।
आखिर क्यों जरूरी था मां एप्प प्रोजेक्ट
प्रदेश में पहाड़ी क्षेत्रों में विषम भौगोलिक परिस्थितियों और मौसम के कारण गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर असुरक्षा का भाव किसी से छुपा नही है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए टैक्नाॅलाॅली के सहारे रूद्रप्रयाग जिले में एक नई शुरूआत की गयी थी, स्वास्थ्य विभाग रूद्रप्रयाग जिले में गर्भवती महिलाओं का संस्थागत व सुरक्षित प्रसव करवाने के लिए बीते 7 मार्च को माॅ एप्प प्रोजेक्ट की शुरूआत पायलट प्रोजेक्ट के तहत की थी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व प्रधानमंत्री मातृ सुरक्षा अभियान के तहत प्रदेश में पहली बार रूद्रप्रयाग में मदर एवेकनिंग एप्पलीकेशन का शुभारम्भ किया गया।
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| फोटो- बीते 7 मार्च को विधायक भरत चोधरी, डीएम मंगेश घिल्डियाल व सीएमओ ने किया था मां एप्प का शुभारम्भ। |
माॅ एप्प के जरीए हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को टैक्नोलाॅजी के जरीए प्रसव होने तक निगरानी की जाती है, माॅ एप्प के जरीए एएनएम और आशा कार्यक्रत्रीयों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उनका डाटा एप्प में अपलोड़ करते हैं, और समय समय पर उसे एप्प में ही अपडेट करती रहती हैं, प्रसव से ठीक 15 दिन पहले जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों और महिला को भी माॅ एप्प से महिला की स्वास्थ्य स्थितियों को लेकर मैसेज आने शुरू हो जाते हैं, जिससे समय रहते गर्भवती महिलाओं को उचित व्यवस्थाओं से उपचार मिल जाता है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा हंस फाउन्डेशन के मदद से माॅ एप्प प्रोजेक्ट को चलाने के लिए जिले की सभी एएनएम को स्मार्टर्फान दिये गये हैं, जिसमें की एएनएम और आशा कार्यकत्री अपने क्षेत्र में भ्रमण कर हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं का वजन, रक्तचाप, हेमोगलोबीन की जांच व प्रसव को लेकर अघिक खतरे वाले लक्षणों को माॅ एप्प में दर्ज करेंगी, जिसके बाद लगातार 8 महिनों तक ये सूचनाऐं लगातार गर्भवती महिलाओं की घर में ही जांच के बाद अपडेट की जाती हैं, ये सभी सूचना माॅ एप्प के जरीए माॅ पोर्टल पर अपडेट होती रहेंगी, जिससे हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य की लगातार समीक्षा की जाती है, और गर्भवती महिलाओं को एसएमएस के जरीए भी सूचनाऐं भेजी जाती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 एस0के0 झा का कहना है कि रक्ताल्पता, उच्च रक्तचाप, मुधमेह, पहला बच्चा आपरेशन द्वारा होना, अधिक उम्र में गर्भ धारण करना, छोटे कद की गर्भवती महिला, पेट में जुड़वा बच्चा होना या इसके अतिरिक्त गंभीर बीमारी जैसे टी0बी, एचआईवी0 आदि बीमारी होना हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण होते हैं।

