आखिर परीक्षा में कैसे कर बैठे मुन्ना भाई ! महाविद्यालय प्रशासन पर उठ रहे सवाल।

आखिर परीक्षा में कैसे कर बैठे मुन्ना भाई ! महाविद्यालय प्रशासन पर उठ रहे सवाल।
हरीश थपलियाल,
उत्तरकाशी।।। चिन्यालीसौड़ राजकीय महाविद्यालय में लापरवाही का मामला सामने आया है। मामला ये है कि महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा कड़ी निगरानी के बाद भी बीए की प्राइवेट परीक्षा दे रहे 2 छात्रों की जगह दो मुन्ना भाई पेपर देते पकड़े गए। परीक्षा पहली पाली के 11 से 2:00 बजे दोपहर तक सम्पन्न होनी थी, मुन्ना भाई पर्यावरण विषय की परीक्षा देने आए थे। जिससे चिन्यालीसौड़ महाविद्यालय प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आईं है इस पूरे मामले पर जिम्मेदार अधिकारी भी मौन बैठे हुए हैं,  सूत्रों की माने तो अभिभावक संघ के दबाव में मुन्ना भाई छात्रों को नजरअंदाज किया गया।
बीए की पर्यावरण विषय की परीक्षा हुई थी। इस दौरान महाविद्यालय में दो छात्र फर्जी तरीके से दूसरे छात्र के बदले परीक्षा देते हुए पकड़े गये। एसओ धरासू विनोद थपलियाल ने बताया कि परीक्षा के मूल अभ्यर्थी ओर परीक्षा देने वाले युवकों पर जालसाजी की धारा 420 में मामला पंजीकृत किया गया है आरोपी युवकों में विकास सिंह रावत पुत्र संतान सिंह रावत ग्राम द्वारगढ़ बनचौरा,हरेंद्र सिंह नेगी पुत्र देवेंद्र सिंह ग्राम श्रीकोट धरासू,राजेश चौहान पुत्र श्री विक्रम सिंह चौहान गांव कौड़ा फेडी थाना धरासू एवं आशीष चौहान पुत्र राजपाल सिंह निवासी कौड़ा फेडी थाना धरासू पकड़े  गये है जिसमें से हरेंद्र सिंह नेगी के स्थान पर विकास सिंह रावत परीक्षा दे रहा था जबकि आशीष चौहान के स्थान पर राजेश चौहान परीक्षा दे रहा था।। हालांकि  पकड़े जाने पर आरोपियों ने अपनी गलती स्वीकार की ओर तरह तरह के बहाने बना कर परीक्षा देने की बात कही।। महाविद्यालय प्रशासन पर सबसे बड़ा सवाल इस बात का उठ रहा है कि परीक्षा प्राईवेट हो या रेगुलर स्नातक ओर परास्नातक परीक्षा के दौरान परीक्षा कक्ष में नॉन टीचिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाती है जिनकी अभिभावक संघ के निर्देश पर महाविद्यालय में तैनाती की गईं है। हालांकि अभिभावक संघ की कार्य प्रणाली पर कई बार सवाल उठाये गए मगर महाविद्यालय की मिलीभगत के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नियमानुसार बात की जाए तो अभिभावक संघ के वही पदाधिकारी पात्र होते हैं जिनके छात्र-छात्राएं महाविद्यालय में अध्ययनरत हों। लेकिन यहां मामला कुछ और ही है, सूत्रों से पता चला है कि महाविद्यालय में दवाब के चलते निजी रिश्तेदारों की संविदा में नियुक्ति हुई है। साथ ही महाविद्यालय से जुड़े कई ऐसे मामले हैं जो सार्वजनिक सूचना के ही तय किये गये है। जिसमें में नॉन टीचिंग स्टाफ शामिल है। यही वजह है कि  परीक्षा में अनट्रेंड स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाती है नतीजा ये रहा कि  परीक्षा के दौरान हस्ताक्षर, एडमिट कार्ड समेत परीक्षार्थी के एडमिट कार्ड के फोटो तक मिलान नही किये गए,जिससे अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
हमने महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य का पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका दूरभाष नंबर स्विच ऑफ था।।।
अब इस पूरे मामले पर विद्यालय प्रशासन क्या कार्यवाही करेगा यह देखने वाली बात होगी।

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