केदारनाथ के ऊपर बन रही झील से खतरे की आशंका!
राजेश नेगी/ रूद्रप्रयाग। केदारनाथ में 16 / 17 जून 2013 को चोरावाड़ी झील फटने से हुई तबाही को कौन भूल सकता है, अब एक बार फिर केदारनाथ के ऊपर ग्लेशियरों के बीच एक ओर झील आकार ले रही है, हांलाकि झील से भविष्य में केदारनाथ को खतरा है या नही इस बात का परीक्षण करने सोमवार को वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिक केदारनाथ आ रहे हैं, लेकिन केदारनाथ के ऊपर बन रही झील ने एक बार फिर लोगों के जेहन में 2013 की आपदा की यादें ताजा कर दी हैं। हम आपको एक्सक्लूसिव विडियो दिखा रहे हैं जिसमें आप देख सकते हैं कि केदारनाथ के ऊपर कैसे झील का खतरा फिर मडरा रहा है देखें एक्सक्लूसिव विडियो केदारनाथ के ऊपर कैसे झील का खतरा फिर मडरा रहा है-
राजेश नेगी/ रूद्रप्रयाग। केदारनाथ में 16 / 17 जून 2013 को चोरावाड़ी झील फटने से हुई तबाही को कौन भूल सकता है, अब एक बार फिर केदारनाथ के ऊपर ग्लेशियरों के बीच एक ओर झील आकार ले रही है, हांलाकि झील से भविष्य में केदारनाथ को खतरा है या नही इस बात का परीक्षण करने सोमवार को वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिक केदारनाथ आ रहे हैं, लेकिन केदारनाथ के ऊपर बन रही झील ने एक बार फिर लोगों के जेहन में 2013 की आपदा की यादें ताजा कर दी हैं। हम आपको एक्सक्लूसिव विडियो दिखा रहे हैं जिसमें आप देख सकते हैं कि केदारनाथ के ऊपर कैसे झील का खतरा फिर मडरा रहा है देखें एक्सक्लूसिव विडियो केदारनाथ के ऊपर कैसे झील का खतरा फिर मडरा रहा है-
दरअसल केदारनाथ में सेवाऐं दे रही सिक्स सिग्मा टीम के डाक्टर केदारनाथ के ऊपर घूमने गये थे, जहाॅ उन्हे ग्लेशियरों के बीच एक झील नजर आई, इस दौरान सिक्स सिग्मा के डाक्टरों ने उसका विडियो भी फोटो भी ले लिए और जिला प्रशासन को पूरी सूचना भेज दी, जिसके बाद केदारनाथ जिला प्रशासन ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून को केदारनाथ के ऊपर झील बनने के बारे में पूरा अलर्ट भेजा और झील की वैज्ञानकिक परीक्षण के लिए कहा।
वैसे आपको बतादेें कि 2013 में आई आपदा चोरावाड़ी झील से ही निकली थी, चोरावाड़ी झील को गांधी सरोवर भी कहा जाता है, आपदा के बाद चोरावाड़ी झील पूरी तरह से फट गयी थी ओर अब उसका कोई नामोनिशान नही है, लेकिन अब छह साल बाद केदारनाथ में शिविर में गए चिकित्सकों ने देखा कि केदारनाथ से ऊपर ग्लेशियर में झील बन रही है, ऐसे में उन्होंने रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को तत्काल इसकी सूचना दी, कई लोगों द्वारा अभी भी उसे चोरावड़ी झील बताया जा रहा है, लेकिन भूवैज्ञानिक डा. डीपी डोभाल ने साफ कर दिया है कि वो चोरावाड़ी झील नहीं है, केदारनाथ के ऊपर नई झील ग्लेशियर में बनी है, जो कि केदारनाथ से करीब पांच किमी. दूर है, जबकि चोरावाड़ी झील दो किमी. ही दूर थी।