चीड़ के पेड़ों का उन्मूलन जरूरी है।
------------------------------------------------------------हरीश थपलियाल।
पहाड़ में चीड़ के पेड़ पर्यायवरण के लिए खतरनाक हैं। चीड़ में मौजूद हर चीज ज्वलन्तशील हैं,चाहे इसकी पत्तियां, छिलका (बगोट,bark) चाहे फिर चीड़ का फल छैंती हो ये सभी चींजे बेहद ही खतरनाक हैं। पहाड़ों में जल रहे जंगलों में आग लगने का कारण यही है। चीड़ का ये फल आग लगते वक्त लुढ़क कर आग में घी डाल रहा है। सबसे ध्यान देने वाली बात ये है कि BIODIVERSITY के लिए ये चीड़ का पेड़ मुफीद नही है। ये दुष्ट पेड़ दूसरे पेड़ों के लिए दुश्मन हैं जिससे जंगलो में हिरन,खरगोश आदि जंगली जानवरों को भोजन नही मिल पा रहा है। जंगली जानवरों का असल मे भोजन यही है खासतौर पर जब बाघ को जंगलो में खरगोश ओर हिरन नही मिलेंगे तो वो आबादी की ओर बढेगा ही...! नार्थ ईस्ट में आग क्यों नही लगती इसलिए कि वहां पर चीड़ के जंगल नही हैं। वहाँ जंगल है तो फलों के ! केलों का जंगल है वहां पर सोचो ! सरकार पहाड़ो में चीड़ के पेड़ों का उन्मूलन अवश्य करें।
और हाँ पहाड़ो में निवास कर रहे लोगों से हाथ जोड़कर आग्रह है कि अपने घर के आसपास ओर अपने जंगलो में भीमल,तोंण,डैंकण,खड़की,केला आदि के पेड़ों को अधिक से अधिक लगाएं। ताकि जंगली जानवरों को भी अपना भोजन मिल सके, शान्ति और सुरक्षित पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध पहाड़ बच सके।।। ध्यान रहे चीड़ से जंगलो में सुलग रही आग आने वाले दिनों में मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध होगी। देख ही रहे हो पहाड़ो में तापमान 38 से 40 पँहुच चुका है।