तीर्थयात्री ज्योति दाधीच को स्थानीय युवाओं का जवाब- लूट नही है साहब! अपनी मेहनत का मेहनताना लेते हैं--



राजेश नेगी
केदारनाथ व चारधाम यात्रा में महंगाई, लूट, अव्यवस्था, जाम जैसे कई मुद्दो पर अपना सन्देश लिख सरकार के साथ ही स्थानीय लोगों को पानी पी पी कर कोसने वाली राजस्थान की तीर्थयात्री ज्योति दाधीज को स्थानीय यूवाओं ने सोशल मिडिया में ही कैंपन चला कर करारा जवाब दिया है, स्थानीय यूवआंे ने केदारनाथ यात्रा में तीर्थयात्रीयों को सेवा देने के लिए होने वाली दिक्कतों का विवरण देते हुए ’’लूट नही है साहब! अपनी मेहनत का मेहनताना लेते हैं’’ नाम से कैपन चलाया हुआ है जिसे हजारो लोग शेयर व लाईक कर रहे हैं, सुबह तक तीर्थयात्री ज्योति दाधीच के मैसेज सोशल मीडिया में तैर रहे थे लेकिन मामला पूरी तरह से पलटता जा रहा है और अब सोशल मीडिया में तीर्थयात्री ज्योति दाधीच को ही तरह तरह की बातें सुनाई जा रही हैं, अब आपको दिखाते हैं कि क्या मैसे है जो सोशल मीडिया में स्थानीय युवाओं ने चलाया है-
केदारनाथ पहुंचने पर तीर्थ  यात्री को लगता है कि यहां चीजे इतनी महंगी कैसै  हो जाती है!  आप गौर से समझे केदारनाथ जाने के लिए घोड़ा खच्चर चाहिए होता है और खच्चर का मूल्य है  जाने  का 2500/ रू  केदार वापसी 1500/ उसमे 300/ रूपये टैक्स
300/ रूपसे रास्ते का  #घास #गुड व #चना 300/ रात का व 300/ सुबह  । 1200 रूपये 38 km प्रतिदिन घोडा चलाने वाले उन जाबाजो को जो प्रतिदिन लोगो को धाम तक पहुचा रहे है कुल मिलाकर =2100रूपये खर्चा #अब #जरा #गौर #कीजिये #कैसे #2गुनी हो जाती है कीमत एक घोडे में 6 पेटी पानी की बोतल जा सकती हैं अब आप को  समझा दे! पानी की एक पेटी में 12 बोतलें और 6  पेटी में 72 बोतल है यानी कि लीटर पानी 2500÷72=35.714 केवल किराया है और 18 रूपये खरीद कुल मिलाकर 53 रूपये खऱीद है अब अगर वह 60 रपये मै12000 फिट पर  आपको मुहया कर रहा है तो कहा लूट है
#इसी प्रकार गरम पानी को लेकर भी लोगों की काफी शिकायतें रहती केदारनाथ में गर्म पानी की बाल्टी ₹80 की मिल रही है मिलेगी ही जनाब पानी को गर्म करने का के लिये -1 #डिग्री #तापमान मै केदारधाम गैस से पानी गर्म कर के देना भी अपने आप मै तपस्या है किसी के कंधे पर किसी की पीठ में केदारधाम जाना आसान है लेकिन जरूरत की चीजों को केदारनाथ पहुंचाना अपने आप में एक महाभारत है केदारधाम में आप  आधुनिक सुविधाओं की इच्छाएं तो रखते हैं पर उनका सही मूल्यांकन आप नहीं कर पाते! वहां पर गरीब तीर्थयात्री #जौ का #सत्तू लेकर भी तीर्थ करता है
आप सब से बिनम्र निवेदन है चीजो को समझे #लोगो की #जीतोड मेहनत को #लूट का नाम दे कर अनावश्यक रूप से स्थानीय लोगो की छवि धूमिल ना करे ।

अब आपको राजस्थान तीर्थयात्री ज्योति दाधीच का वो सन्देश बताते हैं जिसको लेकर ये पूरा हंगामा हुआ
8जून 2019 उत्तराखण्ड संस्मरण.....
जरूर आये उत्तराखण्ड परन्तु,,,......
ज्योति दाधीच
चारधाम यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से निवेदन ह की फिलहाल उत्तराखण्ड यात्रा स्थगित ही रखे।चारधाम यात्रा के लिए सदैव सितम्बर अक्टूबर में ही प्लान बनाये तो उचित रहेगा । अगर फिर भी यात्रा के लिए निकल चुके ह तो पीने का पानी और खाने के लिए साथ मे जरूर रखे।कई बार जाम की स्थिति जंगल मे होने से दूर दूर तक न पीने को पानी मिलेगा न खाने को ओर अगर किस्मत से मिल भी जाये तो पानी की बोतल 30-40-50 तक वसूल रहे ह दुकानदार जिन पर कोई कंट्रोल तक नही ।हम कालीमठ तुंगनाथ यात्रा पर निकले पहली बार रिकॉर्ड तोड़ वाहनों की भीड़ पूरे जीवन मे कभी नही देखी जितना इस बार देखने को मिली ह। कई किलोमीटर जाम को पार कर जैसे तैसे   ऋषिकेश पार कर वैकल्पिक मार्ग पौड़ी से हम श्री नग पहुंचे ताकि ट्रैफिक ओर जाम से समय न गंवाए परन्तु आजकल शॉर्टेस्ट रूट्स भी अछूते नही ह भीड़ से हर कोई विकल्प ढूंढ रहा।
भारत का स्विट्जरलैंड माने जाने वाले चोपता तुंगनाथ की वेली भी 3 किलोमीटर तक पर्यटक वाहनों की पार्किंग से अटी पड़ी ह । उत्तराखण्ड की शायद ही कोई वेली बची हो जिधर से पर्यटक शॉर्टकट मारने की जुगत में न हो ।तुंगनाथ चंद्रशिला की पैदल कठिन ट्रेकिंग  से नीचे उतर कर जब हम गोपेश्वर से चमोली पहुंचे तो बद्रीनाथ मार्ग के लिए तो चमोली पेट्रोल पंप पर लम्बी कतार लगी थी डीजल पेट्रोल के लिए हमे पुलिस वालों ने 13 किलो मीटर आगे रास्ते मे डीजल ले लेने को कहा  ,जब 13 किलो मीटर पीपल कोटि पहुंचे तो पता चला कि न डीजल ह न पेट्रोल कब तक टैंकर आएगा नही पता।1 किलोमीटर लंबी लाइन सिर्फ डीजल पेट्रोल की लगी थी खेर हमने सोचा आगे 12-15 किलोमीटर हेलंग के आस पास पम्प से ले लेते ह परन्तु रेंगते वाहनों के रेले में बचा खुचा डीजल उड़ाते हेलंग पहुंचे तो होश उड़ गए एक तो हेलंग से जोशीमठ में 8 घण्टे से जाम अटका था ।ये जाम उन गाड़ियों की वजह से था जिनके डीजल पेट्रोल खत्म हो गये और गाड़िया लम्बी कतारों में लगा कर  लोग तंग हो रहे ।
पेट्रोल पंप रिक्त पड़े भारी ट्रैफिक की वजह से पेट्रोल डीजल के टैंकर इन दुर्गम स्थानों की आपूर्ति  नही कर पा रहे। घण्टो इंतजार के बाद वापस लौटने का कोई चारा ही नही रह गया क्योंकि मात्र eco sports में इतना ही डीजल बचा की चमोली वापस पहुंच कर stay करे।आखिर बेक 2 पैवेलियन होना शुरू हुए रात 9 बजे ,हमारी तरह सेकड़ो गाड़िया लौटने लगी ।अब स्थिति और बुरी हो गयी जितनी होटल्स खाली छोड़ कर निकले सब नो रूम्स हो चुके छोटे बड़े गांवों के होटल रेस्टोरेंट्स खंगालते परेशान होते पीपल कोटि पहुंचने पर खुशी हुई कि सिर्फ डीजल आया ह सो लम्बी लाइन में लगकर किस्मत से टैंक फुल करवाया ।किस्मत से इसलिए क्योंकि चमोली पम्प वाले तो 500रुपये का ही दे रहे प्रति वाहन ताकि सब को प्रसाद समान रूप से मिले।डीजल की समस्या सुलझा कर आगे बढ़ते रहे थके हारे निराश यायावरों की तरह परन्तु चमोली आकर घोर निराशा हुई किसी भी गेस्टहाउस में तिल मात्र भी जगह नही रही अब करे भी क्या अंततः जिस रास्ते तुंगनाथ से नीचे उतरे मजबूरन वापस गोपेश्वर की ओर चढ़ना शुरू किया क्योंकि चमोली से गोपेश्वर की ओर दूर से कोई गाड़ी ट्रैफिक नही दिख रहा था सम्भवतया वहां मदद मिल जाये।
आखिरकार गोपेश्वर चेकपोस्ट पर रुक कर पुलिस से सहायता मांगी की मार्ग की परिस्थिति बता कर भगवान भला करे उन जवानों का उन्होंने तत्काल गोपेश्वर   में किसी होटल वाले को फोन कर  हमे कमरा देने का  अनुग्रह किया,होटल मालिक स्वयम हमे गोपेश्वर चौराहे पर लेने पहुंचा वरना रात 2 बजे  हमें गोपेश्वर  में एक भी बन्दा नही मिलता जो सही सही होटल का अता पता बता सके। इसे खुशनसीबी समझ कर तुरन्त उत्तर हमारे भाई मुकेश जी ने तुरन्त उत्तराखण्ड छोड़ने   का फैसला किया बिना बद्रीनाथ ओली दर्शन के।जो रूट कर्णप्रयाग से कुमाऊँ रानीखेत  से दिल्ली निकलता वो रुट भी हमारी तरह रिवर्स ग्रह प्रत्यावतर्न को लौट रहे यात्रियों से आबाद हो चुका ।आखिरकार हम अपनी यात्रा का समापन श्री नगर  से वाया पौड़ी गढ़वाल,सतपुली ,कोटद्वार ,मेरठ होते हुए लौट रहे ह ।लगातार 1996 से अब तक मे 29 बार हर वर्ष में एक दो बार आती ही रही परन्तु मेरे प्रिय उत्तराखण्ड की ऐसी अवस्था देख मन खिन्न ओर व्यथित ह।बढ़ती भीड़ ओर यातायात दबाव के लिए सरकार नही सोचेगी तो पुनः कहीं आपदा न आ जाये भगवान सद्बुद्धि दे सरकार को  ईश्वर रक्षा करे पवित्र देवभूमि की। ओर दिनोदिन बढ़ते यातायात पर कठोरता से अंकुश लगाने के उपाय सरकार को करने चाहिए ।जब 6 माह यात्रा नही चलती तब पहले से सब तैयारियां करनी चाहिए।ओर खाने पीने की वस्तुयों पर कालाबाजारी पर प्रशासन को सख्त होना चाहिए।
व्यापारी वर्ग चांदी कूट रहा वही आम जन पुरोहित वर्ग भी निराश न क्योंकि इतनी भीड़ ह मन्दिर में यजमानः को पूजा करवाना तो दूर यजमानों को लेकर प्रवेश तक नही कर पा  रहे  प्रसासन पुलिस के सख्त रवैये से,ऐसे में साल भर की उनकी आजीविका पर संकट प्रतीत हो रहा ह ।बेतहाशा भीड़ से सिर्फ लुटेरा वर्ग(हेली सेवा,घोड़े,पालकी,होटल,रेस्टोरेंट)वाले खुश ह ।भगवान का कोई डर इन्हें नही।मेरी पोस्ट से मेरे कुछ उत्तराखण्डी भाइयो को बड़ी आपत्ति ह किन्तु जो सत्य ह में लिखूंगी ।वर्षो से इस प्रदेश से बड़ा लगाव व मोह रहा परन्तु साथ के लोग कितना गलत संदेश ले कर घर लौट रहे ।प्रशासन और सरकार की गलती से  ओर लालची  व्यापारियों की वजह से भोले भाले उत्तराखण्डियों  को यात्रियों द्वारा अभद्र भाषा मुझे ह्रदय से व्यथित करती रही ।
खैर में फिर फिर लौटती ही रहूंगी।
में फिर आउंगी देवभूमि जल्दी ही इस आशा के साथ कि सब कुछ जरूर ठीक हो जाएगा।जय देवभूमि ।
ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच
तीर्थराज पुष्कर ,राजस्थान।

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