मदद की दरकार: समाज की करी मदद करने वाले दिवंगत बिजेंद्र सिंह मेंगवाल के परिवार को अब समाज से मदद की दरकार..!

स्वर्गीय बिजेंद्र मेंगवाल
फोटो- स्वर्गीय बिजेंद्र मेंगवाल के माता-पिता व विधवा पत्नी कुसुम देवी अपने चार मासूम बच्चों के साथ



रामरतन पंवार
मदद की दरकार जखोली। रूद्रप्रयाग जिले के पट्टी बांगर के गेंठाणा गांव के निवासी, जखोली के क्षेत्र पंचायत सदस्य व जखोली के यूवा नेता दिवंगत बिजेंद्र सिंह मेंगवाल का 6 जून को कार दुर्घटना मे मृत्यु हो गयी थी। दिवंगत बिजेंद्र सिंह मेंगवाल बांगर एकता बिकास समिति के अध्यक्ष भी रहे, बिजेन्द्र सामाजिक कार्यो से लेकर गरीबों पिछड़ों की क्षेत्र पंचायत सदन में हकों की आवाज उठाने के लिए जाने जाते थे, यही कारण है कि उनकी आकस्मिक मौत से उनके गांव में ही नही बल्कि पूरे जखोली क्षेत्र में शोर की लहर है, बिजेंद्र मेंगवाल का यू अचानक सबको छोड़कर चले जाना सिर्फ बांगर पट्टी ही नहीं बल्कि संपूर्ण जखोली ब्लाक के लिए एक अपूर्ण क्षति है। दिवंगत बिजेंद्र सिंह मेंगवाल लोगों की मदद के लिए तो सबसे आगे रहते थे लेकिन अपने परिवार में भी उनकी दिक्कतें कम नही थी, परन्तु जब तक जीवित थे तो अपना परिवार की दिक्कतों का हल करना उनके लिए कोई बड़ी समस्या नही थी लेकिन अब जब बिजेन्द्र दिवंगत हो चुके हैं तो उनके परिवार की समस्याऐं भी सामने आने लगी है। 
दिवंगत बिजेंद्र सिंह मेंगवाल का शोकाकुल परिवार आज भी गहरे सदमे में है, बिजेंद्र मेंगवाल अपने पीछे चार मासूम बच्चे व पत्नी कुसुम देवी को छोड़ गये। दिवंगत बिजेंद्र मेंगवाल के पिता  कुंवर सिंह मेंगवाल एक लकवाग्रस्त है जो कि इस बिमारी के चलते लगभग 13 सालो से बिस्तर में लेटे हुए है। 
उसके माता-पिता का कहना है कि अब इन मासूमों की देखभाल किस तरह से होंगी आखिर एक बिमार व वृद कैसे परिवार का पालन-पोषण करेगा। परिवार के पालन-पोषण हेतु कहां से पैसा आयेगा अब मासूम बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी बुढ़े मां बाप के कंधो पर आ गयी, क्या अब कोई इस मासूम बच्चों व परिवार की मदद करने को आगे भी आयेगा या नही। इस बिकट परिस्थितियों मे सरकार के साथ ही समाज के ठीक-ठाक लोगों को भी बिजेन्द्र के परिजनों की सहायता के लिए आगे आना चाहिए। 

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