BREAKING: केेदारनाथ यात्रा मार्ग में यहाॅ-वहाॅ पड़े मृत घोड़े-खच्चर, उठ रहे बड़े सवाल!

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फोटो परिचय- एक खच्चर का मृत शरीर गौरीकुंड में प्रिपेट ऑफिस के पीछे कई दिनों से पड़ा है।
केदारनाथ। बाबा केदार में इस वर्ष रिकाॅर्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुच रहे हैं, यात्रा शुरू होने के मात्र 20 दिन में बाबा केदार के दर्शन 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु कर चुके हैं, यात्रा मार्ग में श्रद्धालुओं को पैदल केदारनाथ ले जाने के लिए करीब 5 हजार घोड़े-खच्चरों को लगाया गया है, लेकिन केदारनाथ मार्ग में इस बार भी घोड़े- खच्चरों की लगातार मौत हो रही है अबतक करीब 15 घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है, जिसके मृत शरीर पैदल मार्ग में यहाॅ वहाॅ पड़े होने के साथ ही मंदाकिनी नदी में भी डाले जा रहे हैं। 
हरीश चन्द्र
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चरों का मरना लगातार जारी है, जिसका एक बड़ा कारण पानी की अनउलब्धता व घोड़े-खच्चर संचालकों द्वारा समय पर पशुओं को पानी न देना भी है, गौरीकुंड से रामबाड़ा तक तकरीबन 5000 खच्चरों  पर मात्र 5 टँकी पानी की हैं, जिनका घोड़े खच्चरों को पर्याप्त पानी नही मिल पाता है। और इस समस्या के कारण कई घोड़े खच्चर बिना पानी के दम तोड़ रहे है। ओर वही दूसरी ओर पशुपालन बिभाग द्वारा भी बिमार घोड़े खच्चरों का ठीक प्रकार से ईलाज नही किया जा रहा है। दूसरी ओर देखा जाए तो सफाई व्यवस्था को लेकर भी बड़े सवाल घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद उठ रहे हैं, एक खच्चर का मृत शरीर गौरीकुंड में प्रिपेट ऑफिस के पीछे कई दिनों से पड़ा है वही पवित्र मंदाकिनी नदी में भी कई घोड़े खच्चरों के शव फेकें गये हैं, जिस पर रोक नही लग रही है, आलम यह है कि न ही इस समस्या पर शासन-प्रशासन गौर कर रहा है ओर न ही यात्रा प्रशासन। इस समस्या से घोड़े खच्चर वाले भी बहुत परेशान नजर आ रहे है। और गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के मन मे भी एक समस्या का विषय बना हुआ है। अगर आने वाले समय मे भी यही परेशानी केदारनाथ घाटी में नजर आती है तो इस समस्या से यात्रा सीजन पर भी बहुत गिरावटी आ सकती है।ओर जो घोड़े खच्चरों का मरना लगातार बना हुआ है ये ओर तेजी से बढ़ने लगेगा। इसलिये समस्त मजदूरों का कहना है कि शाशन प्रसासन को सबसे पहले केदारनाथ घाटी में इस समस्या का समाधान करना होगा।
वही घोडे-खच्चरों की कुप्रबन्धन के कारण हो रही मौतों से घोड़े-खच्चर संचालकों की भी कमर टूट रही है, दूसरी ओर देखा जाए तो यात्रा की दृष्टि से भी यात्रा मार्गो में पड़े घोड़े-खच्चरों के शव ठीक नही हैं, इससे यात्रीयों में भी यात्रा प्रशासन के प्रति देश भर में अच्छा सन्देश नही जा रहा है, ऐसे में यात्रा प्रशासन के साथ ही घोडे-खच्चर संचालकों को इस बड़ी समस्या का मिलबैठ कर हल निकालना जरूरी है, जो कि अबतक होता दिख नही रहा है। 

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