दशकों की मांग पर पहुची सड़क के खिलाफ सैडकों पर ग्रामीण।


राजेश नेगी/रुद्रप्रयाग।
गांव को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्र्तगत भले ही सड़कों का जाल बिछाया जा रहा हो, लेकिन ग्रामीणों को गांव में सड़क का सपना दिखाने क्या गाॅव सड़कों से जुड़ रहे हैं।

वर्ष 1980 से अपने गांव में सड़क पहुचने का सपना देख रहे ग्रामीणों के लिए पीएमजीएसवाइ ने प्रस्ताव बना वर्ष 2009 के बाद कई सर्वे किए, सर्वे के अनुसार इसमें बजणू, चामक, चमस्वाड़ा, चापड़, गड़विला और उत्स्यूं गावों को जुड़ना था, लेकिन अब जब सड़क बनने लगी तो चमस्वाड़ा के ग्रामीणों का आरोप है कि पीएमजेएसवाई ने जो सर्वे किया था उसमें उनका गाॅव शामिल था लेकिन विभाग द्वारा बिना सर्वे किए ही उनके गांव को छोड़ कई किमी दूर सड़क बनाई जा रही है, जबकि जिस सर्वे पर पीएमजीएसवाई काम कर रहा है वो सड़क लोनिवि द्वारा पहले द्वारा सर्वे कर प्रस्तावित की गयी थी, इससे उनका गांव सड़क से तो नही जुड़ा लेकिन सड़क के लिए जबरन खेतों को काटा जा रहा है।
4 दशक से अपने गांव में सड़क पहुचने के सपना देखते आ रहे ग्रामीण अब अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं, आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क मार्ग का काम रूकवा दिया, और जेसीबी पर भी कब्जे में ले लिया, पूरे मामले में पीएमजीएसवाइ के अधिकारीयों का कहना है कि वन विभाग की एनओसी न मिलने के कारण पूराने सर्वे पर काम नही हो पाया इसलिए अन्य गांवों को जोड़ने के लिए चमस्वाड़ा गांव के नीचे से सड़क ले जायी जा रही है, जिसके लिए पूरे मानकों का पालन किया गया है।
वर्षो से अपने गांव में सड़क पहुचने की आस में रहे ग्रामीण अब आक्रोशित है, ग्रामीणों का आक्रोश जायज भी है, नही तो वर्षों बाद पहुची सड़क के खिलाफ ग्रामीण सड़क पर नही उतरते।

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