रूद्रप्रयाग- मित्र पुलिस लेती सुध तो गरीब को मिल जाता मुआवजा।


रामरतन पंवार, जखोली। 
वाक्या जखोली के त्यूंखर गांव का है जहाॅ मित्र पुलिस न जाने क्यों एक गरीब ग्रामीण से क्यों खफा है कि उसकी एफआईआर 6 महीने ने नही लिखी, डीएम रूद्रप्रयाग के आदेश के बावजूद भी पुलिस दस्तावेज की काॅपी न होने के कारण बसन्त सिंह को आज तक मुआवजा नही मिला, ऐसे में तो हम यही कहेंगे कि मित्र पुलिस आखिर कब इस गरीब की सुध लेगी।
तहसील जखोली क्षेत्रांगत ग्राम पंचायत त्यूंखर मे 15 नवम्बर 2018 को घरेलू गैस सेलेंडर फटने से बंसत सिंह पुत्र गबर का आवासीय मकान जल कर राख हो गया था जिसमें उनके घर मे रखा किमती सामान व आवश्यक दस्तावेज भी आग की चपेट मे आ गये थे, जिसकी सूचना यथाशीघ्र तहसील जखोली व पुलिस चैकी जखोली को दूरभाष के माध्यम से दी गयी थी, घटना की सूचना प्राप्त होते ही तहसील प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी घटना स्थल पर पहुंच गये तथा घटना से संबंधित अपने स्तर से कार्यवाही कर गरीब को ढेरों आश्वासन देकर चले गये, लेकिन जखोली पुलिस चैकी प्रभारी को घटना की जानकारी देने के बावजूद भी पुलिस प्रशासन ने घटना वाले स्थान आना उचित नही समझा, जबकि ग्राम पंचायत त्यूंखर रेग्यूलर पुलिस के अन्तर्गत आता है न कि राजस्व पुलिस के पास।फिर भी राजस्व पुलिस ने अपना फर्ज निभाया, लेकिन मित्र पुलिस की गरीब को लेकर ये बेरूखी कहीं न कही पुलिस का कथनी और करनी में अन्तर को दर्शाता है, यही कारण रहा कि जानकारी के अभाव में बंसत सिंह घरेलू गैस सेलेंडर फटने से से हुई हानि के संबंध मे पुलिस चैकी जखोली मे प्रथम सूचना रिपोर्ट सही समय पर दर्ज नही करा पाये, जिस कारण से बंसत सिंह पुत्र गबर ने एफ आई आर दर्ज करवाने हेतु जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग के यहां शिकायती पत्र दिया ताकि उनको पुलिस से आवश्यक दस्तावेज मिल सके तथा वे अपने नुकसान का बीमा कम्पनी से बीमा ले सके, लेकिन छः माह बीत जाने के बावजूद भी आज तक पुलिस के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नही की गयी, कार्यवाही न होने के कारण पीड़ित परिवार को आज नुकसान की भरपाई हेतु इन्श्योरेन्स कम्पनी मुआवजा लेने से वंचित होना पड़ रहा, जबकि जिलाधिकारी ने पुलिस प्रशासन को यथाशीघ्र जांच के आदेश दिये गये थे लेकिन जिलाधिकारी के आदेश धरे के धरे रह गये, जो कि यह पुलिस प्रशासन के घोर लापरवाही का नतीजा माना जा रहा  है जबकि बसंत सिंह पुत्र गबर अभी भी पुलिस कार्यवाही का इंतजार कर रहे, हम आपको तीन तस्वीरें दिखाते हैं जिसमे पुलिस और बीमा कम्पनी के बीच ये गरीब परिवार अपने मुआवजे के कारण फंसा हुआ है-

फोटोप्रति- पीड़ित द्वारा डीएम रूद्रप्रयाग से लगाई गई गुहार।

फोटोप्रति- डीएम रूद्रप्रयाग द्वारा पुलिस को 15 दिनों में आवश्यक कार्यवाही के निर्देश। 

फोटोप्रति- एसपी कार्यालय द्वारा डीएम के निर्देश के बाद उक्त मामले को खुद से सम्बन्धित न होने की दी दलील। 

ऐसे में गरीब पीड़ित परिवार की समझ में नही आ रहा कि आखिर वो बीमा कम्पनी से मुआवजा के लिए आखिर करें तो क्या, बड़ा सवाल यह है कि अगर बीमा कम्पनी के लिए राजस्व पुलिस की रिर्पोट कोई मायने नही रखती तो राजस्व पुलिस ने मौके पर जाकर अपनी रिर्पोट आखिर बनाई क्यों, और पुलिस पूरे मामले को अपने से सम्बन्धित न होना बता रही है तो बीमा कम्पनी पुलिस में दर्ज एफआईआर की काॅपी क्यों मांग रही है, ऐसे में पीड़ित परिवार को आखिर न्याय मिलेगा तो कैसे।

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