रामरतन पंवार /जखोली
बिकासखंड जखोली के अन्तर्गत ग्राम पंचायत रायड़ी का रहने वाला एक परिवार सरकार से आवास दिलवाने हेतु जगह-जगह कार्यालयो के चक्कर काटने को मजबूर है, लेकिन जिले में कोई ऐसा अधिकारी जनप्रतिनिधि नही जो इस गरीब की सुध ले, जबकि जगदीश सिंह का परिवार वास्तव में सरकारी योजनाओ का हकदार है, ताजुब्ब तो ये देख कर होता है कि जो अधिकारी अपने आप होटलों में 1 दिन के ठहरने का 5 से 10 हज़ार रुपये देते हैं उन्होंने गरीब के घर की कीमत 1300 रुपये आकीं, पूरी बात को समझने के लिए मेरी ये रिपोर्ट पढ़िए।
दरअसल पूरा मामला रायड़ी गाँव का रहने वाले जगदीश सिह के परिवार का है जो वास्तव में गरीबी का डंक झेल रहा तथा मेहनत मजदूरी से अपने परिवार की पूर्ति करता है, जगदीश सिह बुटोला का कहना है कि मेरे पास जो वर्तमान समय में रहने के लिए मात्र एक छोटा मोटा झोपड़ी है, उसमे भी रायड़ी मे डैम की सुरंग का निर्माण करवाते समय ब्लाटिंग के दौरान बड़ी-बड़ी दरारे पड़ चुकी है, ताज्जुब की बात ये है कि जो अधिकारी अपने आप होटलों में 1 दिन के ठहरने का 5 से 10 हज़ार रुपये देते हैं उन्होंने गरीब के घर की कीमत 1300 रुपये आकीं, पीड़ित को एल0एन0टी0 ने मुआवजे के नाम पर मात्र 1300सौ रुपये ही दिये, जिससे कि गरीब परिवार अपने मकान की मरम्मत नही कर पाया, जगदीश सिह बुटोला का कहना है कि मै आवास हेतु प्राथॆना पत्र जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग मे भी दे चुका हूँ, यहां तक कि बार बार ग्राम प्रधान तथा पंचायत मंत्री से प्रधान मंत्री आवास योजना से सर्वे करने हेतु कहा कहाँ गया, लेकिन कोई मेरी बाता सुनने को तैयार नही है।जगदीश सिंह के बच्चे भी अभी नाबालिग है घर में जगदीश के सिवा कोई कमाऊ व्यक्ति भी नही जो कि वो अपने परिवार के लिए आवास बनाने मे सक्षम हो।
ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि सरकार के पास ऐसी कोई योजना नही बची जो एक गरीब को सुरक्षित छत मिल सके, क्या एक गरीब परिवार को आवास के लिए ऐसे ही दर दर की ठोकरे खाने मे मजबूर होना पड़ेगा, क्या जनपद मे कोई अधिकारी है जो कि जगदीश सिह बुटोला की मजबूरी को समझे।