रूद्रप्रयाग- गैरसैण आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमा वापस न लेने पर जन आन्दोलन की तैयारी।


लेखक- सत्यपाल नेगी, स्वतन्त्र लेखक/रूद्रप्रयाग। 

उत्तराखण्ड़ राज्य यू ही खैरात में हमें नही मिला था, उत्तराखण्ड़ आन्दोलन में शहीदों के शहादत और दशकों तक चले राज्य प्राप्ति के जन आन्दोलन के बाद ये पहाड़ी राज्य हमें मिला था, उत्तराखण्ड़ राज्य को बनाने के पीछे मूल भावना विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ और पहाड़ियों को अपनी किस्मत खुद अपने हाथों से लिखने, और अपनी पहाड़ और संस्कृति के संरक्षण, पलायन रोकने, पर्वतीय गांवों के विकास की थी, पहाड़ की राजधानी पहाड़ मे गैरसैण को बनाने की थी, लेकिन राज्य बनने के इतने सालों बाद भी न हम अपनी संस्कृति को बचा पाये, न पहाड़ से पलायन रोक पाये, न गैरसैण को राजधानी बना पाये ऐसे में आज उत्तराखण्ड़ का मूल निवासी अपने को ठगा महसूस कर रहा है। 

यूपी राज मेें जिनकी हैसियत जिला पंचायत बनने की नही थी वो आज विधायक/मंत्री और मुख्यमंत्री तक बन राज्य अन्दोलनकारीयों और उत्तराखण्ड़ आन्दोलन के शहीदों के शहादत के बाद मिले इस राज्य में मलाई खा रहे है, गैंरसैंण इस प्रदेश की मूल भावना है, यही कारण था कि उत्तराखण्ड़ राज्य मिलने से पूर्व ही राज्य आन्दोलनकारियो ने गैरसैंण में राजधानी का शिलान्यास कर दिया था, ऐसे में आज तक की सभी सरकारों और वर्तमान त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने राज्य आन्दोलनकारियों और शहीदों के सपनों के साथ घोखा और छलावा नही किया तो और क्या किया गैरसैण राज्यधानी पर हमेशा चुप्पी साधे रहने वाली बीजेपी सरकार अब आन्दोलनकारियों को भी चुप कराने के लिए मुकदमें तक दर्ज कर रही है, उत्तराखण्ड़ के शहीदों और राज्य आन्दोलनकारियों के सपने गैरसैण राजधानी की मांग करना क्या अपराध है लेकिन आज इसी प्रदेश में और इसी प्रदेश की सरकार ने गैरसैण आन्दोलनकारियों पर मुकदमा दर्ज कर दिखा दिया कि सरकार पहाड़ विरोधी और मैदानी विधायकों के प्रभाव में आकर गैरसैंण की मांग को दबाने के लिए इसे अपराध की ही श्रेणी में रख रही है। गैरसैण स्थाई राजधानी को लेकर आंदोलन करने वाले 38 पहाड़ी आंदोलनकारियों पर मुकदमा करना इस बात का प्रमाण दे रही है, त्रिवेंद्र सरकार की नीतियाॅ पहाड़ विरोधी हैं, बात पलायन रोकने की करते है, स्वास्थ सुविधाओं, शिक्षा, पेजयल, बिजली, सड़क देने की करते है, ओर लेकिन जब सरकार की ये बातें बार कोरी साबित होती है और लोग सड़कों पर उतरते हैं तो उन्ही की आवाज को दबाने की कोशिश सरकार मुकदमा लगाकर कर रही है। 
ऐसे में आन्दोलनकारी सरकार से मांग करते है और चेतावनी देते हैं कि उत्तराखण्ड सरकार व सीएम त्रिवेंद्र रावत शीघ्र गैरसैण राजधानी मांग को लेकर आपके द्वारा 38 आंदोलनकारियों पर लगाये गये मुकदमे वापस ले, अन्यथा एक बा फिर जन आन्दोलन के लिए सरकार तैयार रहे। 

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