अगस्त्यमुनि विकासखण्ड़ में मजबूत स्थिति में निर्दलीय! बीजेपी-कांग्रेस कीे बिगडत़ी दिख रही गणित..
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भले ही बीजेपी बाजी मारते हुए दिख रही हो लेकिन विकासखण्ड़ों में कांग्रेस ही नही बल्कि बीजेपी की स्थिति भी ठीक नजर नही आ रही है, जिले के सबसे बड़े विकासखण्ड़ अगस्त्यमुनि की बात करें तो यहां बीजेपी-कांग्रेस और निर्दलीय समेत कुल तीन उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार जिले के सबसे बड़े विकासखण्ड़ में राष्ट्रीय दलों की हालात पतली नजर आ रही है, ऐेस में आने वाली 6 नवम्बर को अगर निर्दलीय प्रमुख अगत्यमुनि के पद पर बाजी मार ले जाए तो कोई आश्चर्य की बात नही होगी।
अगस्त्यमुनि विकासखण्ड़ में प्रमुख पद के लिए बीजेपी ने कु0 आरती को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है, वही कांग्रेस ने भी प्रमुख पद पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए नारायण देई को अपना समर्थित उम्मीदवार बना मैदान में उतारा है, वही प्रमुख पद के चुनाव को त्रिकोणिय बनाने के लिए विजया देवी निर्दलिय मैदान में उतरी हैं, लेकिन राजनैतिक पंडितों और सूत्रों का कहना है कि इस समय की स्थिति में देखा जाए तक अगस्त्यमुनि सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों रेस से बाहर नजर आ रहे हैं, हालांकि चुनाव में कुछ कहा नही जा सकता कि पासे कब पलट जाऐं लेकिन अभी तो फिलहाल दोनों दल दहाई का आंकड़ा भी पार करते हुए नही दिख रहे हैं। अगस्त्यमुनि में दो विधानसभाऐं रूद्रप्रयाग और केदारनाथ पड़ती हैं जहां दोनों में अगल अगल बीजेपी और कांग्रेस के विघायक है, ऐसे में दोनों विधायकों की साख भी अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के प्रमुख पद पर दाव पर लगी है।
आखिर कौन बना रहा है निर्दलीय की गणित
अगस्त्यमुनि में राष्ट्रीय दलों के समीकरण आखिर कैसे बिगड़ रहे हैं ये तो स्पष्ट नही कहा जा सकता लेकिन कांग्रेस का एक घड़ा और बीजेपी के कुछ असंतुष्ट जरूर निर्दलीय उम्मीदवार विजया देवी को अन्दरखाने पूरी तरह से सर्पोट कर रहे हैं, राजनैतिक पंडितों और सूत्रों के अनुसार निर्दलीय विजया देवी के सम्पर्क में 25 से 26 के बीच क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं, सूत्रों के अनुसार निर्दलीय उम्मीदवार विजया देवी के सम्पर्क में बचनस्यू से 5 क्षे0प0स0, धनपुर से 3 क्षे0प0स0, डांडाखाल, नगरासू, घोलतीर और रतूड़ा, विजयकोट, मदोला, कमेड़ा, के क्षे0प0स0, अगस्त्यमुनि से सटी क्षे0पंचायतों के 5 से 6 सदस्य, और केदारघाटी क्षेत्र के करीब 4 सदस्य सम्मलित हैं, ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशीयों पर फिलहाल भारी पड़ती दिख रही है, ऐसे में देखना होगा कि दोनों राष्ट्रीय दल अब कौन सा तुरप का पत्ता फेंक हारी हुई बाजी को अपने पक्ष में करते हैं।
