रूद्रप्रयाग के इस प्राथमिक स्कूल व आंगनबाड़ी में बिना छृट्टी के ही लटके रहते हैं ताले! बैरंग लौटते हैं बच्चे...


रूद्रप्रयाग के इस प्राथमिक स्कूल व आंगनबाड़ी में बिना छृट्टी के ही लटके रहते हैं ताले! बैरंग लौटते हैं बच्चे...

प्राथमिक स्कूल व आंगनबाड़ी
प्राथमिक स्कूल व आंगनबाड़ी में बिना छृट्टी के ही लटके रहते हैं ताले!

रामरतन पंवार/रूद्रप्रयाग। 

पहाड़ की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली वैसे तो किसी से छुपी नही है लेकिन रूद्रप्रयाग जिले में डीएम मंगेश धिल्डियाल द्वारा प्राथमिक विघालयों में रखी जाने वाली पैनी नजर और पर्सनल इंटरेस्ट लेकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मुहिम चला रहे हैं लेकिन ये सब भी नाकाफी सिद्ध हो रही है, ऐसा ही कुछ देखने को मिला रूद्रप्रयाग जिले में बर्सिल ग्राम पंचायत के प्राथमिक विघालय तमिन्ड में जहां प्राथमिक विघालय व आंगनबाड़ी केन्द्र दोनों के बच्चों को बिना किसी छुट्टी के स्कूल और आंगनबाड़ी दोनों बन्द मिले, ऐसे में बच्चों को बैरंग लौटना पड़ा, ग्रामीणों का कहना है कि आयदिन इस तरह के हालात यहां देखने को मिलते हैं लेकिन कोई भी कार्यवाही नही होती। 




पूरा मामला आज गुरूवार का ही है, ग्रामीणों के अनुसार जब प्राथमिक विघालय प्राथमिक विघालय तमिन्ड व आंगनबाड़ी केन्द्र तमिन्ड के बच्चें अन्य दिनों की तरह दूरदराज से अपने स्कूल में पहुचे तो उन्हें स्कूल व आंगनबाड़ी दोनों बन्द मिले, काफी देर इन्तजार के बाद भी जब कोई भी स्कूल व आंगनबाड़ी का ताला खोलने नही पहुचा तो बच्चों को बैरंग ही अपने घर लौटना पड़ा, आपको बतादें कि प्राथमिक विघालय तमिन्ड में लक्ष्मी बिष्ट शिक्षिका हैं जो कि किसी परिचित की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी पर गई हुई हैं, वही आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगिता देवी भी किसी बैठक में गयी हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा पहली बार नही हुआ है बल्कि ऐसा कई बार पहले भी हो चुका है कि बिना छुट्टी के ही स्कूल व आंगनबाड़ी बन्द रहे। 




ऐसे में इसकी सूचना दोनों ने अपने विभाग को दी होगी, लेकिन विभाग द्वारा इस परिस्थिति में स्कूल व आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने के लिए कोई व्यवस्था नही की गयी, और अगर की गयी है तो फिर स्कूल में ताले क्यों लटकें हुए है, सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही है लेकिन फिर भी बच्चों को सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में इस तरह ताले लटके नजर आ रहे हैं, ऐसे में सरकारी शिक्षा व्यवस्था से लोगों का मोह भंग न हो तौ क्या हो बड़ा सवाल है। 

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