हरीश थपलियाल/ उत्तरकाशी।। करवाचौथ के लिए शहर के बाजार सज गए है। बाजार में विगत वर्ष की भांति नई वैरायटी के आइटम बाजार में आ गए है। बाजार में रौनक दिखाई दे रही है। दुकानों पर खरीददार भी नजर आ रहे हैं। दुकानों के बाहर करवा भी सज गए हैं। दुकानदारों को त्योहार पर अच्छी बिक्री की उम्मीद है।
अक्टूबर त्यौहार का महीना है। शरद पूर्णिमा के बाद कई त्यौहार मनाए जाएंगे। जिसकी शुरुआत करवा चौथ से होगी। सुहाग और सजने-संवरने से जुड़ा त्योहार दुकानदारों के लिए खास होता है। महिलाएं इस दिन व्रत रहती हैं, तो खूबसूरत बनने को कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। महिलाओं के कपड़े, ज्वैलर्स और सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े दुकानदारों को उम्मीद बंधने लगी है। मंगलवार को उत्तरकाशी शहर की कपड़ा और ज्वैलर्स की दुकानों पर महिलाओं ने खरीददारी की। महिलाओं ने लाल रंग के अलावा दूसरे रंग की साड़ी को खरीदने में प्राथमिकता दी, वहीं ज्वैलर्स की दुकानों पर बड़ी चीजें खरीदने के बजाय बिछिया, पाजेब और नाक की लौंग आदि खरीदने को प्राथमिकता दी। सोना महंगा होने से अभी दुकानदारों को बड़े आर्डर नहीं मिल रहे हैं। वहीं करवा खरीदने में भी महिलाओं की भीड़ पहुंचने लगी है।
गर्भवती महिलाएं गाइनैकॉलजिस्ट से सलाह लेकर ही रखें व्रत
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अब तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई जो यह बता सके कि प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत रखना सेफ है या नहीं। लेकिन चूंकि करवा चौथ के दौरान पानी भी नहीं पिया जाता और अगर गर्भवती महिला दिन भर प्यासी रहे तो उसे डिहाइड्रेशन हो जाएगा जिससे शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे को भी डेली न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी गाइनैकॉलजिस्ट से सलाह मशविरा लेने के बाद ही रखें करवा चौथ का व्रत।
क्या है करवा चौथ व्रत की मान्यता
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कथा मिलती है कि प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी। एक बार उसका पति नदी में स्नान करने गया था। उसी समय एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। इसपर उसने मदद के लिए करवा को पुकारा। तब करवा ने अपनी सतीत्व के प्रताप से मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया और यमराज के पास पहुंची। करवा ने यमराज से पति के प्राण बचाने और मगर को मृत्युदंड देने की प्रार्थना की। इसके बाद इस पर यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, समय से पहले उसे मृत्यु नहीं दे सकता। तभी करवा ने यमराज से कहा कि अगर उन्होंने करवा के पति को चिरायु होने का वरदान नहीं दिया तो वह अपने तपोबल से उन्हें नष्ट होने का शाप दे देगी। इसके बाद करवा के पति को जीवनदान मिला और मगरमच्छ को मृत्युदंड।
पूजा और चंद्रर्शन का समय
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पूजा का मुहूर्त शाम : 5:50 से 7:06
व्रत समय: सुबह 6:21 से रात 8:18 बजे तक
उपवास का समय : 13 घंटे, 56 मिनट है।
चांद निकलने का समय : 8:18 बजे
अक्टूबर त्यौहार का महीना है। शरद पूर्णिमा के बाद कई त्यौहार मनाए जाएंगे। जिसकी शुरुआत करवा चौथ से होगी। सुहाग और सजने-संवरने से जुड़ा त्योहार दुकानदारों के लिए खास होता है। महिलाएं इस दिन व्रत रहती हैं, तो खूबसूरत बनने को कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। महिलाओं के कपड़े, ज्वैलर्स और सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े दुकानदारों को उम्मीद बंधने लगी है। मंगलवार को उत्तरकाशी शहर की कपड़ा और ज्वैलर्स की दुकानों पर महिलाओं ने खरीददारी की। महिलाओं ने लाल रंग के अलावा दूसरे रंग की साड़ी को खरीदने में प्राथमिकता दी, वहीं ज्वैलर्स की दुकानों पर बड़ी चीजें खरीदने के बजाय बिछिया, पाजेब और नाक की लौंग आदि खरीदने को प्राथमिकता दी। सोना महंगा होने से अभी दुकानदारों को बड़े आर्डर नहीं मिल रहे हैं। वहीं करवा खरीदने में भी महिलाओं की भीड़ पहुंचने लगी है।
गर्भवती महिलाएं गाइनैकॉलजिस्ट से सलाह लेकर ही रखें व्रत
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अब तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई जो यह बता सके कि प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत रखना सेफ है या नहीं। लेकिन चूंकि करवा चौथ के दौरान पानी भी नहीं पिया जाता और अगर गर्भवती महिला दिन भर प्यासी रहे तो उसे डिहाइड्रेशन हो जाएगा जिससे शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे को भी डेली न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी गाइनैकॉलजिस्ट से सलाह मशविरा लेने के बाद ही रखें करवा चौथ का व्रत।
क्या है करवा चौथ व्रत की मान्यता
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कथा मिलती है कि प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी। एक बार उसका पति नदी में स्नान करने गया था। उसी समय एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। इसपर उसने मदद के लिए करवा को पुकारा। तब करवा ने अपनी सतीत्व के प्रताप से मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया और यमराज के पास पहुंची। करवा ने यमराज से पति के प्राण बचाने और मगर को मृत्युदंड देने की प्रार्थना की। इसके बाद इस पर यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, समय से पहले उसे मृत्यु नहीं दे सकता। तभी करवा ने यमराज से कहा कि अगर उन्होंने करवा के पति को चिरायु होने का वरदान नहीं दिया तो वह अपने तपोबल से उन्हें नष्ट होने का शाप दे देगी। इसके बाद करवा के पति को जीवनदान मिला और मगरमच्छ को मृत्युदंड।
पूजा और चंद्रर्शन का समय
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पूजा का मुहूर्त शाम : 5:50 से 7:06
व्रत समय: सुबह 6:21 से रात 8:18 बजे तक
उपवास का समय : 13 घंटे, 56 मिनट है।
चांद निकलने का समय : 8:18 बजे

