11सौ वर्ष पुरानी कुंभ की छड़ी मुबारक यात्रा पहुची उत्तरकाशी! सांप्रदायिक सद्भावना का देती है संदेश!
हरिद्वार के माया देवी मंदिर से रवाना हुई प्रसिद्ध छड़ी यात्रा ऋषिकेश से यमुनोत्री धाम पंहुचने के बाद मंगलवार को उत्तरकाशी के काशी विश्वनाथ मंदिर पँहुची। यहां डीएम आशीष चौहान, एसपी पंकज भट्ट एसडीएम सदर देवेंद्र नेगी ने जूना अखाड़े संतो का भव्य स्वागत किया। बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में सभी संतो ने भगवान शंकर की पूजा अर्चना की।
देखें विडियो- उत्तरकाशी पहुची छड़ी मुबारक यात्रा का स्वागत।
पूजन के दौरान अखाड़ों के महंतों ने विश्वनाथ मंदिर में आकर मंगलाचरण किया। श्री महंत प्रेम गिरी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के देवालय शांति प्रदान करते हैं। यह छड़ी यात्रा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। कुछ कारणों से काफी समय से रुकी हुई थी। यह हर्ष का विषय है कि यात्रा एक बार फिर से प्रारंभ की गई है। उन्होंने कहा कहा कि छड़ी यात्रा की परंपरा 1100 वर्ष पुरानी है। कुंभ के अवसर पर इसे फिर से प्रारंभ किया गया। अब यह यात्रा प्रतिवर्ष निकाली जाएगी।
जिला प्रशासन की माने तो सोमवार को छड़ी यात्रा का रात्रि विश्राम पायलट बाबा आश्रम में होगा। मंगलवार सुबह पवित्र छड़ी यात्रा गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी। यह पवित्र छड़ी यात्रा श्री महंत प्रेम गिरी ,दारपुरी और पुष्पेंद्र गिरि के नेतृत्व में चार धाम भर्मण पर हैं। 25 दिन की यात्रा पर कुल 60 संत रवाना हुए हैं। यात्रा का पहला प्रवास ऋषिकेश में हुआ था। अनेक स्थानों का भ्रमण करने के बाद यह छड़ी यात्रा आने वाली पांच नवंबर को संपन्न होगी।
दिन भर चलने के बाद प्रतिदिन यात्रा नियत स्थान पर विश्राम लेगी। यात्रियों के लिए विश्राम स्थलों की सरकार ने व्यवस्था की है। 8वीं शताब्दी में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार के लिए इस यात्रा की शुरुआत की गई थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के श्री महंत प्रेम गिरी ने बताया कि ‘छड़ी यात्रा की परंपरा को ब्रिटिशकाल के दौरान रोक दिया गया था। उस दौरान तीर्थयात्रा पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे। अखाड़ा परिषद ने निर्णय लिया कि एक बार फिर से हम इस परंपरा की शुरुआत करेंगे। इस छड़ी यात्रा से प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
