एक्सक्लूसिव- मूल निवासी नही लड़ सकते चुनाव! बिजनौरी बन सकते हैं इस बार रूद्रप्रयाग के इस गांव के प्रधान!

एक्सक्लूसिव- मूल निवासी नही लड़ सकते चुनाव! बिजनौरी बन सकते हैं इस बार रूद्रप्रयाग के इस गांव के प्रधान! 
बिजनौरी बन सकते हैं इस बार रूद्रप्रयाग के इस गांव के प्रधान
रामरतन पंवार/रूद्रप्रयाग। 
अब इसे सिस्टम की नाकामी मानिए या खूबसूरती लेकिन ये सच है कि रूद्रप्रयाग के एक गांव में वर्तमान स्थिति ये बन गयी है कि यूपी के बिजनौरी अगर चाहें तो इस गांव के प्रधान बन सकते हैं, बड़ी बात ये है कि ये स्थिति इस कारण से नही आयी कि गांव के लोगों ने पलायन कर दिया हो और बिजनौर से सैकड़ों लोग यहाॅ आकर बस गये हों, बल्कि ये सब मुमकिन हो पाया है आरक्षण व्यवस्था के कारण। जिसके कारण यहां के मूल निवासी प्रधान का चुनाव इस बार नही लड़ सकते। 


जी हां हम बात कर रहे हैं रूद्रप्रयाग जनपद के फाटा में पड़ने वाले ग्राम पंचायत रविग्राम की, आरक्षण सूची प्रकाशन के बाद ग्राम पंचायत रविग्राम में इस तरह के हालात बन गये हैं, कि ग्राम का कोई स्थाई नागरिक चुनाव लड़ ही नही सकता, आरक्षण का ऐसा रूप देख इस गांव की चैतरफा चर्चा हो रही है, गांव के मूल निवासी चकित हैं कि ये उनके साथ कैसा न्याय हो रहा है, जो इस बार प्रधान भी यूपी से आयात करना पड़ेगा। 
पढिए कैसे बने ऐसे हालात- 
दरअसल ग्रामीण विजय जमलोकि के अनुसार रूद्रप्रयाग के फाटा में पड़ने वाले ग्राम पंचायत रविग्राम में तीन राजस्व ग्राम आते है, इस गांव में एक भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति या परिवार मूल निवासी नही है, यहाॅ पर मूल रूप से तीन ही जाति रहती है, जमलोकि, चैहान और तिन्दोरी जिसमें से जमलोकि ब्राहमण और चैहान और तिन्दोरी राजपूत जाति हैं, लेकिन यहाॅ कोई भी अनुसूचित जाति का परिवार या व्यक्ति उत्तराखण्ड़ का निवासी नही है। 


ग्रामीण जमलोकि के अनुसार गांव में एक स्वास्थ्य केन्द्र है जहाॅ पर कर्मचारी नौकरी करने आते जाते रहते है, इसी तरह वर्ष 2011 में यूपी के बिजनौर निवासी एक कर्मचारी अपने परिवार के साथ स्वास्थ्य विभाग में चर्तुथ श्रेणी (स्वच्छताकर्मी) के पद पर तैनात हुआ, उनके साथ उनका 14 सदस्य परिवार भी यही स्वास्थ्य विभाग की पुरानी बिल्डिग में रहने लगा, पूरे परिवार का नाम वोटिंग लिस्ट में भी सम्मलित हो गया था। इसी तरह कुछ अन्य लोग भी हैं जो ग्रामसभा क्या उत्तराखण्ड़ के मूल निवासी भी नही है, ऐसे लोगों की संख्या करीब 25 है, बस फिर जनगंणना के आधार पर इस बार ग्राम पंचायत रविग्राम की प्रधान की सीट आरक्षित हो गयी, जिसके बाद भले ही ग्रामीणों ने इस पर पंचायतराज विभाग में आपत्ति दर्ज करवाई है। लेकिन क्या सीट सामान्य हो पायेगी ये सभी की चिन्ता है। भले ही अभी इन परिवारों की तरफ से प्रधान बनने की इच्छा या अनइच्छा को लेकर कुछ कहा नही जा सकता लेकिन ये पूरा मामला चर्चा का विषय जरूर है। 
पूरे मामले में बीजेपी नेता व निवर्तमान जि0प0स0 महावीर पंवार का कहना है कि ये रूद्रप्रयाग के रविग्राम का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज गांव के मूल निवासियों इस स्थिति में खड़ा होना पड़ रहा है कि गांव का मूल निवासी गांव का प्रधान तक नही बन सकता, अगर इसमें कुछ परिवर्तन नही हुआ और बिजनौर निवासी गांव के प्रधान बनते है, तो उनकी इस गांव के व ग्रामीणों के प्रति क्या संवेदना होगी। 

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