प्रस्तावित इको सेंसेटिव जोन बनाए जाने को लेकर उठने लगे विरोध सुर, बैठक कर ग्रामीणों ने बनाई आंदोलन की रणनीति
पहाड़ी खबरनामा एक्सक्लूसिव
महेश पंवार/रायवाला।
राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण क्षेत्रों को इको सेंसिटिव जोन बनाए जाने के प्रस्ताव के बाद इसका विरोध भी होने लगा है। ग्रामीणों को जैसे ही पार्क प्रशासन की ओर से जारी एक नोटिस मिला ग्रामीण आग बबूला हो गए। ग्रामीणों का कहना है कि इको सेंसिटिव जोन बन जाने से उनको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसको लेकर ग्रामीण उग्र आंदोलन की रणनीति बना रहे है।
जंगली जानवरों का आतंक, पार्क नियमों के कारण क्षेत्र के विकास मंे बाधा और बाढ़ सुरक्षा कार्यों में रूकावट जैसी समस्याओं से दो चार हो रहे राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीणों के सामने एक और बड़ी समस्या पैदा होने वाली है। जी हां हम उस नोटिस की कर रहे हैं जो पार्क प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को दिया गया है। जिसमें लिखा है कि राजाजी पार्क की सीमा पर इको सेंसेटिव जोन के निर्धारण के लिए 26 व 27 अगस्त को मोतीचूर वन विश्राम भवन में जन सुनवाई होनी है। इस बैठक में प्रतीतनगर, गौहरीमाफी, हरिपुरकलां, खांडगांव, रायवाला, वैदिक नगर, साहबनगर व ठाकुरपुर गांव के लोगों को आमंत्रित किया गया है। आपको बता दें कि इन क्षेत्रों को इको सेंसेटिव जोन में शामिल किया जाना है।
शुक्रवार को प्रतीतनगर, गौहरीमाफी, रायवाला और हरिपुरकलां के ग्रामीणों ने बैठक की और इको सेंसेटिव जोन बनाए जाने का विरोध किया। गौहरीमाफी के ग्रामीणों का कहना था कि पार्क नियमों के कारण वह पहले ही परेशान है। सड़क निर्माण, तटबंध निर्माण से लेकर कई विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। निर्वमान उप प्रधान दीवान सिंह चैहान का कहना था कि सेंसेटिव जोन का सभी क्षेत्रवासियों को एकजुट होकर विरोध करना होगा। उन्होने कहा कि जरूरत पड़ी तो इसके लिए आंदोलन की भी तैयारी की जाएगी। हरिपुरकलां में निर्वतमान ग्राम प्रधान सतेंद्र धमांदा की अध्यक्ष्ता में बैठक आयोजित हुए और सेंसेटिव जोन का विरोध किया। ग्रामीणों ने आंदोलन की रणनीति पर भी चर्चा की। इको विकास समिति प्रतीतनगर के अध्यक्ष राजेश जुगलान का कहना था कि इस मुददे को लेकर पार्क अधिकारियों से वार्ता की जाएगी और उनको क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया जाएगा। निवर्तमान ग्राम प्रधान राखी गिरि का कहना था जबरन पार्क कानून जनता पर लागू कर देना उचित नही है। यदि जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ आंदोलन भी किया जाएगा।
