पंचायत राज संशोधन एक्ट में दो बच्चों वाला मामला को हाईकोर्ट में चुनौती! कल से सुनवाई
राजेश नेगी।
नैनीताल। उत्तराखण्ड पंचायती राज संशोधन एक्ट 2019 को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। पंचायत जन अधिकार मंच व मनोहर लाल ने इस एक्ट को हाईकोर्ट में दो अलग अलग याचिकाओं में चुनौती दी है। दायर की की दोनों याचिकाओं को हाईकोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया गया है और कल इस मामले पर हाईकोर्ट की दो अलग-अलग बेंच सुनवाई करेंगी।
जैसा कि विदित है कि उत्तराखण्ड़ में राज्यपाल की मंजूरी के बाद पंचायतों में पंचायती राज संसोधन एक्ट लागू किया जा चुका है। और इस बार होने वाले पंचायत चुनाव इसी एक्ट के आधार पर होने है। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले नैनीताल के कोटाबाग के मनोहर लाल का कहना है कि इस एक्ट में दो बच्चों से ज्यादा वाले के चुनाव लड़ने की बाध्यता जो रखी है वह गलत है। याचिका में कहा गया है कि अगर संशोधन आज किया है तो इसको आज से ही लागू किया जाना चाहिए। एक्ट लागू होने से पहले अगर किसी के तीन बच्चे हैं तो उसको चुनाव लड़ने की अनुमति मिलनी चाहिए।
वही याचिका में यह भी कहा गया है कि 10वीं तक शिक्षित होने को अनिवार्य करना भी गलत है और उसे भी सरकार ने बिना अध्ययन के लागू किया है क्योंकि कई गांव खाली हो गए हैं जिसके चलते पहाड़ों में पढ़ा-लिखा उम्मीदवार मिलना मुश्किल हैं।
वही दूसरी याचिका दायर कने वाले पंचायत जन अधिकार मंच ने भी एक्ट में कई खामियां होने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट याचिका दाखिल की है। मंच के संयोजक और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि यह पंचायतों को कमजोर करने की साजिश है।
पंचायत जन अधिकार मंच के संयोजक जोत सिंह बिष्ट बिष्ट का कहना है कि कि नया कानून लागू होने से पंचायतों के अनुभवी नेता भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और उनमें नए लोग ही जाएंगे। इसकी वजह से अधिकारी और राज्य सरकार इन पंचायतों पर हावी हो जायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह बेरोजगारों से छल है। अब बेरोजगार युवा नौकरी मांगने के बजाय पंचायत की राजनीति की ओर बढ़ेंगे और अपनी युवावस्था में मिलने वाले मौके गंवा देंगे।
