हरीश थपलियाल।
इन दिनों उत्तरकाशी के यमुनाघाटी का मोरी विकास खंड दैवीय आपदा की चपेट में हैं। हफ्ता भर बीतने के बाद भी रेस्क्यू टीम युद्धस्तर पर काम कर रही है। जानकारी के अनुसार NDRF के 20,SDRF-70 क्यूआरटी- 10, आपदा प्रबंधन-40, होमगार्ड-20, पीआरडी के 40 समेत मोरी और पुरोला थाने के जांबाज पुलिस जवान आपदा प्रभावित गांवों में ग्रामीणों की स्थिति सामान्य करने में जुटे हुए हैं। जिसकी निगरानी खुद डीएम आशीष चौहान और आईपीएस पुलिस कप्तान पंकज भट्ट कर रहे हैं।
पहाड़ की कठिन परिस्थियां और वहां तैनात जवान..किसी भी सूचना पर सब कुछ छोड़कर तुरंत रेस्क्यू के लिए तैयार होना पड़ता है। ऐसे खाकी जवानों को देखकर ही गर्व होता है। ऐसी ही कठिन परिस्थियों से लड़कर मित्र पुलिस और NDRF और SDRF के जवानों ने कुछ ऐसा किया कि देशभर में तारीफ हो रही है।। कुशल रेस्क्यू के लिए इन जांबाजों ने पुलिस विभाग का मान बढ़ाया है। दरअसल बीते 18 अगस्त की सुबह मोरी क्षेत्र में कुदरत का ऐसा कहर बरपा की जिसमें 15 लोगों की जान कुदरत ने ली साथ ही दर्जनों लोग अभी लापता हैं।
ऐसे में उत्तरकाशी में तैनात पुलिस और SDRF के जांबाजों ने जबरदस्त रेस्क्यू ऑपरेशन किया। जो अभी भी जारी है। दरअसल पहाड़ की कठिन परिस्थियों और ऐसे हालात में बचने की बहुत कम संभावना होती है। इस बीच एसपी पंकज भट्ट को इस बात की जानकारी हासिल हुई। इसके बात SDRF, पुलिस की टीम बिना मौका गंवाए एक्शन में आ गई। एसपी पंकज भट्ट आपदा प्रभावितों के बीच शुरू से लेकर अभी तक डटे हुए हैं। उन्होंने मोरी में हुई भीषण आपदा का हवाला देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी प्राकृतिक आपदा के प्रति सचेत रहें और लोगों को भी जागरूक करें। उन्होंने कहा कि भूकंप, बाढ़, तूफान आदि में नष्ट घर-संपत्ति की क्षतिपूर्ति की जा सकती है परंतु जानी नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। इसलिए लोग प्राकृतिक आपदा के प्रति जागरूक हो।
एसपी भट्ट ने कहा कि आपदा किसी को बताकर नहीं आती। आपदा में फंसे लोगों को बचाना सबसे बड़ा धर्म है। उनका यह भी कहना था की किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों को बचाने में अहम भूमिका निभानी चाहिए। जीवन में कुछ करने की चाह हो तो ये मायने नही रखता कि आप कहां हो, कौन से पद पर हो और आपकी पृष्टभूमि कैसी है बल्कि आपके मजबूत इरादे, और सेवाभाव से आपको समाज में अलग पहचान मिल जाती है। मोरी में NDRF, SDRF, ITBP, पुलिस,PRD, होमगार्ड के जाँबाज कुछ इसी तरह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारियों और जांबाज जवानों की मेहनत के बूते उम्मीद है कि जल्द ही ग्रामीणों की जीवन शैली पटरी पर लौट आएगी।
आपदा प्रभावित गांव।
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आराकोट, माकुडी, मोल्डा, सनेल, टिकोची और दुचाणु में कई मकान ढह गये।

