सतयुग में बने बाबा केदार के कोठा भवनों का पहली बार हो रहा जीर्णोद्धार.. जानिए पूरी खबर
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एतिहासिक कोठा भवन के जीर्णोद्धार |
रिपोर्ट- हरीश चंद्र ऊखीमठ।
बाबा केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में स्थित एतिहासिक कोठा भवन अब जल्द ही आपको अपने प्राचीन ऐतिहासिक सुन्दर स्वरूप के साथ जीर्णोद्धार के बाद नजर आयेगे, ये कोठा भवन अपने प्राचीन वास्तुशैली और सुन्दर रहस्यमयी बनावट के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय हैं, प्राचीन समय में निर्मित इन कोठा भवन के निर्माण के बाद पहली बार कोठा भवन के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है, इससे इस प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
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फोटो- ऊखीमठ में ओंकारेष्वर मन्दिर के मुखिया द्वार व खोली का गणेश का हो चुका निर्माण |
बाबा केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में स्थित एतिहासिक कोठा भवन के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है, जिसमें सबसे पहले ओंमकारेश्वर मंदिर के मुख्या द्वार व खोली का गणेश के पुराने स्वरूप के अनुसार ही जीर्णोद्धार कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। ओर अब सतयुग में बने कोठा भवनों का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होने वाला है।
ऐतिहासिक कोठा भवनों के जीर्णोद्धार कार्य पर क्या कहते है बद्री-केदार मंदिर समिति के कार्याधिकारी
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एन0पी0 जमलोकी मन्दिर समिति के कार्याधिकारी |
मन्दिर समिति के कार्याधिकारी एन0पी0 जमलोकी ने बताया कि अबतक मन्दिर में मुख्य द्वार और खोली के गणेश का लगभग आधा निर्माण कार्य हो चुका है, बरसात खत्म होते ही मुख्य ऐतिहासिक कोठा भवन का पुर्ननिर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा। मन्दिर समिति के कार्याधिकारी एन0पी0 जमलोकी ने बताया कि ऐतिहासिक कोठा भवन निर्माण के लिए 2 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है, लेकिन जरूरत पड़ने पर बजट को बढाया जायेगा। ओंमकारेश्वर मंदिर में कोठा भवन का निर्माण उसी प्राचीन वास्तुशैली के अनुसार किया जायेगा, जिस जिस शैली से प्राचीन समय में कोठा भवन का निर्माण हुआ था, कोठा भवन की ऐतिहासिक वास्तुशैली से कोई भी छेड़छाड़ या बदलाव नही किया जायेगा। मन्दिर के मुख्या द्वार और खोली का गणेण पर भी उसी प्राचीन कलाकारी को हूबहू वैसा ही रखा जायेगा।
आखिर क्या है बाबा केदारनाथ के ओंकारेश्वर मंदिर के कोठा भवन का इतिहास व महत्व।
ओंमकारेश्वर मन्दिर पंच केदार का शीतकालीन गद्दीस्थल है यहाॅ मंदिर के कोठा भवन में पंचकेदारो का शृंगार विग्रह विराजमान रहता है। बाबा केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में स्थित एतिहासिक कोठा भवन के इतिहास को देखा जाए तो इसके प्राचीनतम इतिहास ही इसके महत्व को चार चाॅद लगा देता है, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरूद्र और वाणासुर की पुत्री ऊषा का विवाह भी ओंकारेश्वर मंदिर के कोठा भवन में ही हुआ था, आज भी कोठा भवन में इस विवाह का प्रमाण प्राचीनतम विवाह वेदी (मण्डप) यहाॅ विद्यमान है, भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरूद्र और वाणासुर की पुत्री ऊषा के इस विवाह मण्डप को देखने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु कोठा भवन में आते हैं।श्रीकृष्ण के पौत्र यदुवंश शिरोमणि प्रद्युमन के पुत्र अनिरुद्ध ने बाणासुर की बेटी उषा जब यहाॅ विवाह किया था। और इस प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण और शंकरजी का बहुत बड़ा घमासान युद्ध भी हुआ था।
मान्यता यह भी है कि इसी कोठा भवन में मां सती ने पार्वती मां का रूप धारण था। ऐसे में कोठा भवन में श्रद्धालु देवी सती के दर्शन करने भी आते हैं। बाबा केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में स्थित एतिहासिक कोठा भवन के अंदर 1008 जगतगुरु रावल की गददी स्थल भी हैं। कोठा भवन के अंदर बारह भैरव की दिव्य मूर्तियां भी विराजमान है। कहते है महाराजा मांनधाता ने सतयुग मे ऊखीमठ में आकर कठिन तप किया और उनके कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यही पर उन्हे अपने दिव्य दर्शन दिये थे।