नही थे पढ़ाई के लिए पैसे! आज हैं डिप्टी कमिश्नर...

नही थे पढ़ाई के लिए पैसे, आज हैं डिप्टी कमिश्नर

हरीश थपलियाल। घर में कोई आमदनी नही,ऊपर से बड़ा बेटा तीन छोटे भाई संघर्ष चलता गया किसी तरह पांचवी धनपुर प्राईमरी स्कूल से की, पढ़ाई जारी रखते हुए उत्तार चढ़ाव के बीच चिन्यालीसौड़ इंटर कॉलेज से होनर्स के साथ एग्रीकल्चर में 12 वीं की। रोशन भाई को चिंता सताने लगी कि कृषि में बीएसी करनी है उस समय स्कूल मुजफ्फरनगर हुआ करता था। ये कोई 89 90 की बात होगी। पिता को आगे की पढ़ाई के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया कि हमारे पास इतने पैसे नही। स्कूल के अध्यापक यादव गुरु जी, पंडित गुरु जी चाहते थे बालक पढ़ाई में बड़ा होशियार है।


लेकिन रोशन भाई ने मन ही मन ठाना था कि मुझे संघर्ष खत्म करने हैं तो इसके लिए पढ़ाई ही जारी रखनी होगी वरना 12 वीं पास लड़के को तब भी नौकरी मिल जाती खैर डिग्री में दाखिला लिया छोटू राम कृषि महाविद्यालय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मुजफ्फरनगर,  6 महीने रूड़की में अपने अध्यापक के संरक्षण में रहे उसके बाद तमाम प्रकार की दिक्कतें सामने आने लगी, जब रोशन भाई ने दाखिला लिया तो पिता ने भी हाथ पीछे नहीं खींचे कर्जा लेकर उन्हें शुरुआती दौर में खर्चा दिया, लेकिन रोशन भाई की चिंताएं ओर बढ़ने लगी। 
उन्होंने  खर्चे को लेकर पिता से कहा अब मुझे मत भेजना पैसे घर में इतना बड़ा परिवार है कैसे चलेगा ? ओर रोशन भाई ने पार्ट टाइम मुजफ्फरनगर में एक कपड़े की दुकान में नौकरी करनी शुरू की। भारी संघर्षो के बीच किसी तरह अच्छे अंको के साथ कृषि में बीएससी पूरी हुई, आर्थिक तंगी के कारण आगे एमएसी नही कर पाए, अब पढ़ाई तो कर ली थी लेकिन मन में ये था कि कोई ठीक ठाक नौकरी मिल जाये तो मेरे छोटे भाईयों को मेरी तरह भटकना न पड़े हालांकि भाईयों की अपनी मेहनत थी, लेकिन रोशन भाई ने रास्ता तैयार कर दिया था। फिर उत्तराखंड राज्य बना तो नौकरी की संभावनाएं भी बढ़ गई, तो सचिवालय में नौकरी मिल ही गई धीरे धीरे स्थितियाँ सुधरने लगी।  राज्य बनने के बाद पीसीएस के पहले बैच को  2005 में नियुक्ति मिली, ओर रोशन लाल जी ने  एसिस्टेंट कमिश्नर सेल टैक्स जॉइन किया तो घर परिवार रिश्तदारों, मित्रों का भी मान बढ़ गया। और आज रोशन लाल जी स्टेट सेल टैक्स में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात है।


संघर्ष की कहानी सबकी अपनी अपनी होती है। और अच्छे मुकाम पर भी पँहुचते हैं। लेकिन जीवन मे जो जरूरी है वो है एक बेहतर इंसान बनना।
 रोशन लाल जी से मेरी मुलाकात हुई तो मैने देखा मैं एक बेहतर इंसान से बात कर रहा हूँ। उनके भीतर जो सौम्यता मिली, उन्होंने चाय मंगाई मेने कहा सर आप भी लीजिये न उन्होंने कहा जब चाय पीनी थी तब मिली नही तो अब मैं नही पीता, तो मन ही मन मेरे आंसू निकल आये, उनके संघर्ष की हकीकत जान कर।
उनका व्यवहार मुझे अपना बना गया जो मेरे लिए किसी प्रेरणा से कम नही है। उन्हें जब ये पता लगा कि मैं उनके गृह जनपद उत्तरकाशी से हूँ। तो वो अपने कई मित्रों के नाम मुझे बताने लगे जो उन्हें आज भी याद है वे मुझसे कमस कम 15 साल बड़े होंगे। सबसे पहले उन्होंने मुझसे कहा आप जिस गांव से आते हो वहां मेरा एक दोस्त मदन बिजल्वाण रहता था, वो कहाँ होंगे चूंकि मुझे पता नही था इसलिए अन्य दोस्तों के नाम बताने लगे मुकेश गुसाईं, संजय कुकसाल, दिनेश नौटियाल, समरवीर बिष्ट,यशवंत बिष्ट,सुनील राणा सब मेरे कॉलेज के साथी थे। चूंकि रोशन लाल जी चुपल्या गांव के रहने वाले हैं।


आज के देखा देखी आपाधापी के दौर में  कोई टाइम बताने को राजी नही है। रोशन लाल जी एक बेहतर इंसान हैं, उनकी जितनी तारीफ करूँ वो कम पड़ जाएगी।

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