मंत्री जी ! खाओ गंगा की सौगंध क्या लक्ष्मण झूला पुल बनेगा ?
देहरादून। लक्ष्मण मन झुला पुल में 80 के दशक में दबाब था, नए पुल की मांग होने लगी थीं। धनारी पट्टी उत्तर काशी से 1975 में आये नारायण सिंह रावत , 1983 में धरने पर बैठ गए थे। 11 वें दिन उनके धरने को तुड़वाने पर्वतीय विकास मंत्री श्री चंद्र मोहन सिंह नेगी स्वर्ग आश्रम पहुँचे। रावत जी को नेगी जी के सामने अड़ गए कि, आप गंगा जल लेकर सौगन्ध खाओ कि पुल बनेगा। मंत्री नेगी जी ने वैसा ही किया , उन्हो घोषणा की यहाँ पर झूला पुल बनेगा।
कागजो में यह शिवा नंद पुल है , लेकिन इसे आम भाषा मे राम झूला पुल कहते हैं। लख़नऊ जाकर उन्होंने इस पर काम किया। तब नेता कमिटमेंट के पक्के होते थे। चंद्र मोहन सिंह का विभाग बदल कर पर्यटन कर दिया गया। लेकिन वे इस मांग को लेकर ईमानदारी से लगे रहे। उनके पर्वतीय विकास मंत्री यह स्वीकार हो गया था। उन्होंने मुलायम सिंह यादव जो विपक्ष के नेता थे उनका साथ लिया।
1986 में यह उत्तर प्रदेश पी डब्लू डी ने 97 लाख स्वीकृत किया। इसको महिमानंद , चैत राम कुड़ियाल, श्री शूरवीर सिंह पंवार के पास काम था। टिहरी जिले के नरेंद्रनगर डिवीजन ने यह बनाया। क्योंकि यहीं से यह बनना था। सामने पौड़ी सलाण था। उंगली यो पर दुकानें थीं। जो सिर्फ अप्रैल, मई, जून जुलाई आधा में चलती थी। क्योंकि यहाँ से लक्छ्मण झूला पुल था। वो भी 2 किलोमीटर दूर। 3 महीने का सीजन था स्वर्ग आश्रम का।
यह तो तय हो गया था कि, पुल तो राम झूला बनेगा, लेकिन उस पार बिलड़ा जी की जमीन थीं। जो उन्होंने अपने दादा बसंत कुमार बिलड़ा के नाम रखी थीं। उन्ही के नाम पार्क है। उनकी मूर्ति है। पोते का नाम था बसन्त कुमार बिलड़ा, बसन्त के पिता घनश्याम दास बिलड़ा थे। बसन्त जी चले गए। उनकी बेटी मंजू श्री खेतान अब स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट चलाती हैं। बिलड़ा परिवार बड़ा धार्मिक था।
बसन्त कुमार बिलड़ा ने स्थानीय लोगों की मांग पर उस पार की जमीन दे दी कि यह सभी के लिए है। स्वर्ग आश्रम में राम झूला वाली साइड में जो पुल का स्तंभ खड़ा है वह बिलड़ा जी जमीन पर है। बिलड़ा जी को जोंक नामक गाँव के लोगों ने कीमत या दान यह जमीन दी थीं। स्वर्ग आश्रम कुछ साल पहले तक जोंक गांव में था। नगर पंचायत बनी तो यह गांव शहर की सूरत में पहचाने जाने लगी। क्योंकि यहाँ बहुत आश्रम बन चुके थे।
नई दिल्ली से एक पंजाबी परिवार से, 1975 के दरमियान यहाँ संस्कृत पढ़ने एक बालक आया। जो सुख देवा ट्रस्ट के अधीन काम करने लग गया। उसने अपने गुरुओं का इतना विस्वास जीत लिया। जिसका नाम चिदा नंद सरस्वती पड़ गया। उसने एक सीमेंट का गंगा में शिव बनाया, और हर श्याम को गंगा आरती करने लगा तो उसके भक्त हर वीवीआइपी ,मुख्यमंत्री होने लगे।
चंद्र मोहन सिंह नेगी जब यहां पर्वतीय विकास मंत्री थे तब चिदा नंद एक कोने में एक चपरासी, लिपिक की तरह था। उन्होंने यमकेश्वर तहसील बनाई। राम झूला से आगे की शिवालय तक सड़क बनाई। यमकेश्वर का बहुत विकास किया। चंद्र मोहन सिंह नेगी जी के पिता श्री जगमोहन सिंह नेगी भी उत्तर प्रदेश में खाद्य मंत्री थे। उन्होंने पहाड़ से स्वत्रन्त्रता आंदोलन की अगुवाई की। वह बहुत निष्ठा वान नेता थे। गांधी जी के करीबी थे।
जिस साल वह यूपी में खाद मंत्री बने हिंदुस्तान में अकाल पड़ गया था। यद्यपि पहाड़ अपनी उपजाऊ फसल से परिपूर्ण था, लेकिन जगमोहन जी ने पहाड़ में अतिरिक्त खाध भी भिजवाया। जगमोहन , चन्द्र मोहन जी का गांव स्वर्ग आश्रम से 40 किलोमीटर दूर है। गांव वालों ने उनके घर को एक संग्रहालय बनाया है। लक्ष्मण झूला पुल पर जब , टेक्नोलॉजी ने रोक लगा दी है तब राम झूला पुल की याद आ जाती है। इसके इतिहास पर भी गौर करने की जरूरत हो जाती है। राम झूला पुल( शिवा नंद पुल ) को बनाने वाले पार्वती य विकास मंत्री श्री चन्द्र मोहन सिंह नेगी जी हैं।।
साभार: स्वंतंत्र पत्रकार शीशपाल गुसांईं
