जब बुजुर्ग महिला ने डीएम से कहा बेटा मैं टिहरी की हूँ, जज से भी नही डरती !


हरीश थपलियाल।।।। राजनीतिक मंच हो या फिर सरकारी दफ्तर कुर्सी मोह किसे नहीं होता। हर कोई ऊंची कुर्सी पर बैठने को बेताब है। ऊंचाई पर बैठने की अभिलाषा भला किसे नहीं होती। परन्तु समय-समय पर पद बदलता है तो कुर्सियां भी बदलना स्वाभाविक है। कुर्सियां मिलना- छिन्ना अब शायद आम हो चुका है।।।
दरअसल कार्यालयों में बैठे बाबूओं की सांठ-गांठ के चलते आम लोगों के काम प्रभावित होते हैं या यूं कहें कि बिना लिए- दिए कई बार जनहित के मामलों को खामोसी बक्शे में डाल दिये जाता हैं। ओर ऑफिसों में बैठे ये ढीठ बाबू खामोश हो जाते हैं। और अपने अधिकारियों को गुमराह किया करते है।।  इन सभी पहलुओं को अक्सर तब महसूस किया जाता है जब जनहित के कार्यक्रम चलाए जाते ओर ऑफिसियल लापरवाही की वजह से मौके पर डीएम या बड़े राज नेताओं की खरी खोटी सुननी पड़ती है। कई बार मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायकों की जनसुनवाई कार्यक्रम में ये देखा गया। हालांकि ऐसा नही है कि सभी बाबू लोग इस कार्यों में लिप्त है, लेकिन अक्सर इस जमीनी हकीकत को सभी जानते हैं मगर सामने कोई नही आता ? कई विभागों के अधिकारी भी ऐसा चाहते हैं कि एक हाथ दे एक हाथ ले ! लेकिन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को एक ही चश्मे से भी नही आँकां जाना चाहिए।।  बुधवार को चिन्यालीसौड़ के नाग-थली  मणि गांव में बहुदेश्य  शिविर में ऐसी तकनीकी बारीकियों की देखा गया है।।। जिसकी वजह मौके पर अधिकारियों को डीएम ने फटकार भी लगाई।।। ओर लापरवाही बरतने पर CDPO, ओर PMGSY के जेई की सैलरी रोकने के निर्देश दिए।।।   आम ग्रामीणों को इससे कोई लेना देना नही होता है की जनहित के कार्य कानूनी तौर तरीके, सार्वजनिक हित ओर कुछ ओपचरिक्ताओं से गुजरना पड़ता है।।। लेकिन यह भी स्पष्ठ है कि ग्रामीणों को कई बार इन्ही कानूनी तरीकों का हवाला देते हुए ग्रामीण अपने अधिकारों से भी पीछे हठ जाते हैं, इसका मुख्य कारण वैसे कम जानकारी भी है। शिविर के दौरान कई फरियादियों ने डीएम आशीष चौहान से कहा कि  अधिकारी न तो हमारा फोन उठाते हैं न ही उन्हें कोई संतोषजनक जवाब दिया जाता है।।। ग्रामीण ने डीएम से यह तक कह डाला कि कागजों में तो विकास खड़ा कर दिया जाता जिसकी वजह से गांव में विकास नही हो पाता।।। ग्रामीण कृपाल सिंह, दयाल सिंह ने बताया कि आए दिन  मूलभूत समस्याएं लोगों के सामने मुंह खोले खड़ी हैं। प्रशासन को लाख शिकायत करने और राजनेताओं के आगे गुहार लगाने से न तो इन समस्याओं का हल हो पा रहा है और न ही कोई सुनने को तैयार है।।।। शिविर के दौरान दो बुजुर्ग ग्रामीण  डीएम के आगे गिड़गिड़ाने लगे कि हमारी कोई नही सुनता डीएम साहब ! जिसमे एक बुजुर्ग महिला थी। बुजुर्ग महिला ने डीएम से कहा बेटा मैं किसी से नही डरती न जज न डीएम से ! मैं पुरानी टिहरी की हूँ।।। डीएम आशीष चौहान ने बुजुर्ग महिला को विश्वास दिलाया कि आपकी जायज मांग को जल्द ही पूरा किया जाएगा।।।
लेकिन कुछ भी हो विभागों के अधिकारियों को अब सख्त होने की जरूरत है, ताकि ऐसी नौबत ही न आये की  आम ग्रामीण डीएम या जनप्रतिनिधियों से कर्मचारियों के ढीठ-पने की शिकायत कर सकें।।।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष प्रकाश चंद रमोला ने क्षेत्रवासियों को हर सम्भव मदद करने का भरोसा दिलाया।।।

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