Special : चमोली का एक इंजीनियर, जिसने पकोड़े तलने के लिए NIT से MTech छोड़ दिया....

चमोली का एक इंजीनियर, जिसने पकोड़े तलने के लिए एनआईटी से एमटेक छोड़ दिया....

फोटो- चमोली के पीपलकोटी में अपने पकोड़े की दुकान में सागर शाह
फोटो- चमोली के पीपलकोटी में अपने पकोड़े की दुकान में सागर शाह
राजेश नेगी
चमोली। वैसे पकोड़े तलना कोई बुरी बात नही ओर ये बात स्वयं पीएम मोदी  (PM Modi) और बीजेपी भी कह चुकी है लेकिन आज पहाड़ी खबरनामा आपको ऐसे शख्स की कहानी बता रहा है जिसने पकोड़े तलने के लिए एनआईटी से एमटेक  ( MTech) छोड़ दिया, एनआईटी NIT से एमटेक MTech करना किसी भी इंजीनियरिंग के छात्र के लिए जहाॅ गर्व की बात हो सकती है वही चमोली जिले के पीपलकोटी के सागर शाह को एनआईटी से एमटेक से ज्यादा अच्छा कैरियर अपने पुस्तैनी व्यवसाय पकोड़े तलने में लगा।
चमोली जिले के पीपलकोटी के सागर शाह ने अपने ही जिले चमोली के इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। सागर शाह ने बीटेक के बाद गेट की परीक्षा भी पास की, गेट में सागर शाह का 8 हजार रैंक के करीब आया। अच्छी रैंक के कारण सागर को देश के किसी भी राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त संस्थान या एनआईटी में एमटेक में आसानी से दाखिला मिल जाता लेकिन सागर शाह ने इसके बजाय अपना फैमली व्‍यवसाय यानी पकोड़ी तलने को चुनकर अपना कैरियर बनाने की ठानी यानी सागर शाह का एनआईटी से एमटेक करने से बेहतर अपना पकौड़ा तलने का व्यवसाय लगा इसीलिए सागर शाह ने एनआईटी में दाखिला नहीं लिया और आज वह अपनी दुकान में पकौड़े तल रहा है. सुनकर अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच है और इसके पीछे एक वजय भी है। 

आखिर इंजीनियर सागर क्यों तल रहा है पकोड़ा

उत्तराखण्ड़ का चमोली जिले के बारे में सभी को पता है, चमोली जिले में भारत के चारधाम में से सर्वश्रेष्ठ श्री बद्रीनाथा धाम है, ऐसे में सागर के दुकान जिस स्थान पीपलकोटी में पड़ती है वो बद्रीनाथ धाम के रास्ते में है, चारधाम यात्रा शुरू होने पर यानी अप्रैल माह से नवम्बर माह तक यात्रा मार्ग में तीर्थयात्रीयों का भारी आवागमन होता है, ऐसे में सागर की पकोड़े की दुकान भी काफी चलती है, जिससे उसके परिवार की अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है, यात्राकाल में दुकान चलाने के लिए कई लोगों की भी जरूरत होती है, ऐसे में सागर को लगता है कि एमटेक कर किसी की नौकरी करने के बजाय वह अपनी ही दुकान चलाकर कई ओर लोगों को भी रोजगार दे सकता है।
पकोड़े तलने के लिए एनआईटी से एमटेक  ( MTech) छोड़ दिया,
फोटो- चमोली के पीपलकोटी में अपने पकोड़े की दुकान में सागर शाह
 सागर का कहना है कि पहले दुकान उसके पिता और ताऊ चलाते थे जो अब बुढे हो गए हैं, ओर इस उम्र में अपने पिता ओर ताऊ को घण्टों काम करता देखकर उसे बुरा लगता है, इसलिए सागर ने फैसला किया कि वह एमटेक की दो साल की पढ़ाई करने के बजाय अपनी दुकान संभालेगा, जिससे उसके पिता और ताऊ को थोड़ी राहत मिल सके, सागर का यह फैसला पढे लिखे लोगों को अजीब लग सकता है क्योंकि एनआईटी में एडमिशन पाने के लिए इंजीनियरिंग के छात्र सालों प्रयास करते हैं। जब जाकर एनआईटी में एडमिशन मिलने का सपना पूरा हो पाता है वो हर किसी का नही। 
पीपलकोटी के सागर शाह ने अपने पहले ही प्रयास में बिना किसी कोचिंग के गेट की परीक्षा पास कर ली थी. लगभग एक महीने पहले आए रिजल्ट में उसकी रैंक 8000 के लगभग रही. सागर ने बताया कि रैंक के हिसाब से उसे किसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एमटेक में एडमिशन मिल जाता लेकिन, उसने एडमिशन नहीं लिया. फिलहाल वह पैसे कमाना चाहता है, इसलिए आगे की पढ़ाई उसे भारी लग रही है.
खैर सागर की सोच भी बुरी नही है लेकिन आज के जमाने में मोटी तनख्वाह की नौकरी को ही सफलता का पैमाना माना जाता है। सागर उन युवाओं के लिए भी नजीर हैं जो कि पढ़ लिख कर घर में खाली बैठ हेकड़ी झाड़ते है लेकिन किसी भी मेहनत के काम को करना अपने शान के खिलाफ समझते है, काम कोई भी हो बुरा नही हो सकता बस नजरिया सागर से सिखने की जरूरत है। 

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