हरीश थपलियाल।।। उत्तराखंड बनने के बाद इस छोटे से राज्य में एक लकीर खींच दी गई वो लकीर है पहाड़ ओर मैदान की ? खींची गई इस लकीर के चलते इस राज्य के बुरे हाल हैं। इसका बड़ा उदाहरण सामने आया है। केदारनाथ के एसडीएम गौरव चटवाल का त्यागपत्र।।
हालांकि गौरव चटवाल त्याग पत्र मामले की वजह कुछ भी रही हो मगर इसके यदि कोई दोषी हैं तो ! वो सिर्फ इस राज्य मुखिया ओर ब्यूरोक्रेट्स हैं।।। उत्तराखंड यूपी से पृथक होने का मूल उद्देश्य ये था कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यहां का विकास होगा। किंतु हुआ यूं की यूपी से चली आ रही परंपरा यहाँ आज भी बरकरार है। यहां पर पहाड़ो में दर्जनों ऐसे पीसीएस अफसर हैं जिन्होंने आज तक कभी पहाड़ नही चढ़ा यह कोई PCS अफसरों की बात नही बल्कि यहां ज्यादातर महकमों का यही हाल है। लेकिन सबसे ज्यादा पुलिस विभाग और पीसीएस अफसर इस बात से मायूस हैं कि यहां काबिलियत नही देखी जा रही। उत्तराखंड में 18 सालों से सरकार में रहे सफेदपोश नेताओं ने अपने निजी स्वार्थ के लिए कई अफसरों को अपने संरक्षण में रखा जिसका खामियाजा पहाड़ के लोगों को भुगतना पड़ा।।। पहाड़ी जिलों में सालों से कई तहसीलें ऐसी हैं जहां एसडीएम की तैनाती न कि जा सकी।।।
लेकिन सफेदपोश लोगों की इच्छाशक्ति ओर नेतृत्व विहीन विजन के चलते यहां खास अफसरों पर इनकी मेहरबानी है।
नेताओं ने इस राज्य में भेदभाव की ऐसी लकीर खींची कि यहां तीन जिले ही काम के बताये जाते हैं जिनमें प्रमुख तौर पर हरिद्वार, देहरादून ओर उधमसिंह नगर शामिल हैं। सूत्रों की माने तो इन जिलों में पीसीएस अफसर लाखों दे कर पोस्टिंग पाते हैं।।।।। हालांकि इसमें एकलौता राजस्व विभाग नही है यही हाल पुलिस विभाग का भी है।।।। प्रदेश में दर्जनभर ऐसे पीसीएस अफसर हैं जो आज तक नेताओं की खींची लकीर पर खरें उतरें है।
ओर इसके सूत्रधार यहाँ के नेता रहें हैं जिन्होंने अफसरों की लीडरशिप का गलत इस्तेमाल किया है।
समय-समय पर कई मामलों का खुलासा भी होता रहा है मगर इसमें अफसर तो नपे मगर नेताओं का बाल भी बांका न हुआ ।।।।। और कई पीसीएस अफसरों ने तो जेल की हवा तक खाई।।। लेकिन सफेदपोश लोगों ने आउटडोर से बैटिंग की है।।।। लेकिन इतना साफ है।। राजस्व विभाग में एसडीएम, ओर पुलिस में थानाध्यक्ष ही तपते हैं और नपते हैं ! अब सवाल ये की क्या सालों से जमे पीसीएस अफसरों को सरकार पहाड़ भेज पाएगी या ऐसे ही पहाड़ मैदान का खेल चलता रहेगा।।। सिस्टम में विडंबना यह है कि यहां पहाड़ में पोस्टिंग पाने वाले अधिकारियों को तव्वजो नही दी जाती।। लेकिन
इससे आप अधिकारियों को मायूष करने का काम कर रहे हो। इसका कारण यह होगा कि अधिकारी मायूषी के कारण जनहित के कार्यों में रुचि नही लगा। इसका परिणाम यह होगा कि पब्लिक डोमेन में सरकार की छवि धूमिल होगी। IAS हो या PCS काबिलियत के अनुसार पोस्टिंग दीजिये।।।
ताकि देवभूमि का तमगा लेकर प्रचलित यह पहाड़ी प्रदेश अन्य राज्यों की भांति विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।।।