स्पेशलः योगा के सबसे बड़े सन्त महर्षि महेश योगी! वो बाबा जो भक्तों को उड़ना सिखाने का दावा करते थे...

एक ऐसा बाबा जो दुनिया का सबसे अमीर बाबाओं में शुमार था, एक ऐसा सख्स जो भारत को पहला अन्तराष्ट्रीय स्तर का सन्त बना, एक ऐसा बाबा जिसने योग ओर आध्याम में दुनिया में वो मुकाम हासिल किया आज भी बाबा रामदेवश्री श्री रविशंकर जैसे सन्त हासिल नही कर सके, एक ऐसा चर्चित बाबा जिसने राम के नाम पर विदेश में अपनी अलग मुद्रा निकाल ली, ओर एक बाबा जो अपने भक्तों को उड़ना सिखाने का दावा करता था, और अन्त में एक ऐसा बाबा जिसने झटकों में ऋषिकेश स्थित अपने अरबों के आधुनिक आश्रम शंकराचार्य नगर को पलक झपकते ही त्याद दिया था, जी हाॅ हम बात कर रहे हैं भावातीत ध्यान योग के प्रेणतासन्त महर्षि महेश योगी, वैसे उनका परिचय इतना ही काफी है कि ऋषिकेश को आज जो दुनिया भर में योग की राजधानी की ख्याति मिली है वो महर्षि महेश योगी की ही देन है, आज पूरी दुनिया आज अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है, दुनिया में योग को पहचान दिलाने वाले महापुरूषों में सबसे पहला नाम महर्षि महेश योगी का आता है, आज आपको बताते है महर्षि महेश योगी के बारे में- 


महर्षि महेश योगी
संजय शर्मा/ऋषिकेश। 
ऋषिकेश। महर्षि महेश योगी किसी पहचान के मोहताज नही, साठ के दशक में महर्षि महेश योगी पश्चिम के मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों समेंत दुनिया की तमाम बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरू होने के कारण महर्षि महेश योगी दुनिया भर के सबसे चर्चित सन्त बन गये, पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, महर्षि महेश योगी ने अनुभवातीत ध्यान के जरिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए, टेलीविजल के माध्यम से दुनिया भर में योग और आध्यात्म का प्रचार करने वाले वे पहले सन्त थे, महर्षि महेश योगी ने साठ के दशक में योग साधना और ध्यान के लिए ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में शंकराचार्य नगर नाम से चोरासी कुटी की स्थापना की थी 60 के दशक में अन्र्तराष्ट्रीय नगर में चोरासी गंुबदनुमा कुटियों का निर्माण किया गया, वर्ष 1968 में इंग्लैंड का मशहूर बीटल्स ग्रुप आया था, इस दौरान ग्रुप ने यहां रहकर 47 विश्वप्रसिद्ध गाने तैयार किए थे, बीटल्स गुप के ऋषिकेश प्रवास के दौरान पूरी दुनिया की की नजर योग, आध्यात्म और ऋषिकेश पर पड़ी, दुनिया योग को योग को समझने के लिए आतुर हुई, महर्षि महेश योगी की ख्याति के साथ ही योग, चोरासी कुटिया और ऋषिकेश को योग की अन्तराष्ट्रीय राजधानी के रूप में पहचान मिली, वर्ष 1985 में राजाजी के सीमाकन के बाद महर्षि महेश योगी की चोरासी कुटिया बन्द हो गयी, महर्षि योगी विदेश चले गये, जहां उन्होने योग दुनियाभर में योग के प्रचार-प्रसार कर करोड़ों अनुयायी बनाये। 
देखें विडियो- भारत में योग का एतिहासिक दिन जब बीटल्स गुप ऋषिकेश आश्रम पहुचा तो पूरी दुनिया में योग व महर्षि महेश योगी की चर्चा हुई

महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था, उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था, उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की, उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की, महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी, बाद में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने महेश वर्मा को बाल ब्रह्मचारी की उपाधि देकर उन्हें महर्षि महेश योगी का नाम दे दिया, योग और ध्यान के दुनिया में चमचमाते सितारे महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित अपने घर में पांच फरवरी 2008 को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया, मृत्यु से एक माह पूर्व 11 जनवरी को महर्षि योगी ने ये कहते हुए अपने आपको सेवानिवृत्त घोषित कर दिया था कि उनका काम पूरा हो गया है और अपने गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा कर दिया है।
चोरासी कुटी
ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में शंकराचार्य नगर नाम से चोरासी कुटी  

महर्षि का ऋषिकेश आश्रम 

महर्षि महेश योगी ने इन पॉप स्टार्स को अध्यात्म और ध्यान में पारंगत बना देने का वादा किया था, सरकार ने 1957 में आश्रम की जमीन को महर्षि को लीज पर दिया था, लेकिन 1970 के दशक के मध्य महर्षि व उनके शिष्यों ने इस आश्रम को छोड़ दिया, निर्जन पड़े इस आश्रम को जंगल ने धीरे धीरे अपनी गोद में ले लिया, अब ये राजाजी पार्क के अन्र्तगत आ गया है, जहाॅ अब पार्क प्रशासन ने इसे पर्यटकों ओर महर्षि के अनुयायियों के लिए खोल दिया है। बीटल्स ने 18 एकड़ में फैले इस आश्रम में तीन महीने तक आध्यात्मिक एकांतवास की योजना बनाई थी, लेकिन उनकी योजना काफी अफरातफरी की शिकार हो गई थी । 

पश्चिमी देशों में लोकप्रियता

महर्षि महेश योगी पर कई पुरस्कार जीतने वाली फिल्म बना चुके बीबीसी के यावर अब्बास ने एक बार ऋषिकेश स्थित उनके आश्रम में उनसे बात की थी, यावर अब्बास ने पूछा कि क्या कारण है कि वे और उनका ध्यान-योग पश्चिमी देशों में बहुत लोकप्रिय है लेकिन भारत में उन्हें मानने वाले ज्यादा नहीं हैं, महेश योगी का जवाब था, ष्इसकी वजह यह है कि यदि पश्चिमी देशों में लोग किसी चीज के पीछ वैज्ञानिक कारण देखते हैं तो उसे तुरंत अपना लेते हैं और मेरा ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन योग के सिद्धांतों पर क़ायम रहते हुए पूरी तरह वैज्ञानिक है., नीदरलैंड्स स्थित उनका विशाल घर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, 90 के दशक में ब्रिटेन और यूरोप के चुनाव में नेचुरल लॉ पार्टी के उम्मीदवारों की बड़ी चर्चा रही क्योंकि वे योग-ध्यान की बातें करते थे और महर्षि महेश योगी की मान्यताओं के करीब थे। 

उड़ना सिखाने वाले बाबा

महर्षि महेश योगी इस बात के लिए के लिए सुर्खियों में आए थे कि उन्होंने अपने भक्तों को उड़ना सिखाने का दावा किया था, महर्षि का दावा था कि फ्लाइंग योगा की उनकी थ्योरी पूरी तरह से शोध के बाद विकसित की गई है, उन्होंने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) के जरिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे, ये महर्षि योगी के ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) का ही एक हिस्सा था. इसमें उनके भक्त फुदकते हुए उड़ने की कोशिश करते थे, श्फ्लाइंग योगाश् को महर्षि ने श्ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिद्धी प्रोग्रामश् का नाम दिया था और इसे ध्यान चिकित्सा के तौर पर प्रायोजित किया था। 
नीदरलैंड्स में महर्षि महेश योगी की संस्था का मुख्यालय

नीदरलैंड्स में महर्षि महेश योगी की संस्था का मुख्यालय

पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने हो रहे थे. ये आज के दौर में मशहूर बाबा रामदेव और दूसरे योग गुरुओं से पहले की बात है, वो महर्षि महेश योगी ही थे जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुँचाने का श्रेय दिया जाता है. 5 फरवरी, 2008 को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था, साठ के दशक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु हुए और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए।


महर्षि महेश योगी का संगठन

साल 2008 में जारी हुई उनकी संस्था से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिकमहर्षि महेश योगी ने 150 देशों में पाँच सौ स्कूल, दुनिया में चार महर्षि विश्वविद्यालय और चार देशों में वैदिक शिक्षण संस्थान खोल रखे थे, महर्षि महेश योगी का संगठन वैसे पर लाभ न अर्जित करने वाला संगठन था लेकिन साल 2008 की इसी रिपोर्ट में उनके संगठन के पास दो अरब पाउंड यानी तकरीबन 160 अरब रुपयों की संपत्ति होने की बात कही गई थी, साल 2008 की 11 जनवरी को महर्षि योगी ने ये कहते हुए रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी कि उनका काम पूरा हो गया है और उनका गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा हो गया है। 
’राम’ नाम की एक मुद्रा
महर्षि महेश योगी ने ’राम’ नाम की एक मुद्रा भी चलाई थी 
राम नाम की मुद्रा
महर्षि महेश योगी ने ’राम’ नाम की एक मुद्रा भी चलाई थी जिसे नीदरलैंड्स ने साल 2003 में कानूनी मान्यता दी थी, ’राम’ नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट थे, इस मुद्रा को महर्षि की संस्था श्ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीसश् ने साल 2002 के अक्टूबर में जारी किया गया था. नीदरलैंड्स के कुछ गाँवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चलने लगे थे. इन दुकानों में कुछ तो बड़े डिपार्टमेंट स्टोर श्रृँखला का हिस्सा थे, अमरीकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी श्रामश् मुद्रा का प्रचलन था. वैसे 35 अमरीकी राज्यों में ’राम’ पर आधारित बॉन्डस शुरू किए गए थे। 

महर्षि महे योगी को महर्षि क्यों कहा जाता है...

एक बार जब महर्षि महेश योगी ऋषिकेश में बनाए गए अपने अत्याधुनिक आश्रम में थे तो बीटल्स के सदस्य हेलिकॉप्टर से वहाँ पहुँचे थे, हालांकि बीटल्स म्यूजिक ग्रुप का महर्षि योगी से जल्दी ही मोह भंग हो गया लेकिन तब तक उनका साम्राज्य दिल्ली से अमरीका तक फैल चुका था, जब वे अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे तो कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि उन्हें महर्षि क्यों कहा जाता है, और उनका जवाब था, मैं लोगों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिखाता हूँ जो लोगों को जीवन के भीतर झांकने का अवसर देता है. इससे लोग शांति और खुशी के हर क्षण का आनंद लेने लगते हैं, चूंकि पहले सभी महर्षियों का यही संदेश रहा है इसलिए लोग मुझे भी महर्षि कहते हैं। 

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