फोटो- गांव पहुचने पर आईएएस दीपक रावत को हुआ स्वागत। |
राजेश नेगी/पहाड़ी खबरनामा।
उत्तराखण्ड़ के तेजतर्रार आईएएस अफसर और हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत आज अपने पैतक गांव लोली धनपुर पहुचे, आपको बतादें कि आईएएस दीपक रावत रूद्रप्रयाग के लोली धनपूर गांव के मूल निवासी हैं, दीपक रावत बचपन में कई बार अपने पैतृक गांव लोली आये हैं लेकिन आईएएस बनने के बाद पहली बार दीपक रावत अपने गांव पहुचे हैं, आज दोपहर 3 बजे जैसे ही हरिद्वार डीएम डीएम रावत अपने पिता राम सिंह रावत के साथ जैसे ही अपने पैतृक गांव लोली पहुचे, ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
पूर्जा अर्चना के लिए वर्षो बाद पहुचे हैं अपने पैतृक गांव लोली।
पूर्जा अर्चना के लिए वर्षो बाद पहुचे हैं अपने पैतृक गांव लोली।
आईएएस दीपक रावत अपने पिता राम सिंह रावत के साथ अपने पैतृक गांव लोली पूर्जा-अर्चना में सम्मलित होने आए हैं, आज गांव पहुचने के बाद अपने रिस्तेदारों दीपक रावत अपने रिस्तेदारों से मिले और फिर रात्री विश्राम के लिए होटल रूद्रा में चले गये, जहाॅ से सुबह 8 बजे फिर दीपक रावत अपने गांव लोली जायेंगे और पूजा अर्चना में सम्मलित होंगे, उसके बाद रूद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल से भी उनका मिलने का कार्यक्रम है, और कल 7 मई को भी दीपक रावत रात्री विश्राम रूद्रा होटल में ही करेंगे, जिसके बाद 8 मई को वो हरिद्वार के लिए निकल जायेंगे।
आईएएस दीपक रावत भले ही वर्षो बाद अपने गावं आये हों लेकिन गांव में उनके दो चाचाओं के परिवार रहते है, आपको बतादें कि दीपक रावत के पिता राम सिंह रावत चार भाई थे, चारों भाईयों में राम सिंह रावत सबसे बडें हैं, उनके सबसे छोटे चाचा रणवीर सिंह रावत की काफी साल पहले मौत हो चुकी है, उनकी एक लड़की है जिसकी शादी हो चुकी है और अब उनकी चाची गांव में ही रहती है, वही दूसरे चाचा बलबीर सिंह रावत भी गांव में ही रहते हैं, दीपक रावत के एक और चाचा सुरेन्द्र सिंह रावत परिवार सहित ऋषिकेश में रहते हैं।
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बचपन में आए थे गांव पर अबतक नही भूले कुछ।
दीपक रावत के गांव के निवासी दर्शन सिंह रावत का कहना है कि दीपक रावत जब 10-12वीं में पढ़ते थे जब गांव आए थे लेकिन आईएएस बनने के बाद भले ही वो अब गांव आये हों लेकिन आज भी उन्हे गांव का सभी रास्ते और स्थितियाॅ मालूम हैं, वो अपने गांव के कई लोगों को भी जानते है।