उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय पिछले 17 वर्षों से उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में टॉपरों की फैक्ट्री |
IAS अफसर ओर इंजीनियर बन कर देश सेवा करना चाहते हैं टॉपर छात्र-छात्राएं शताक्षी तिवारी, सक्षम नौटियाल।
हरीश थपलियाल |
शताक्षी तिवारी मूल रूप से पौड़ी की रहने वाली है। शताक्षी की माता स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाईजर के पद पर ओर टिहरी के कंडीसौड़ में तैनात है। और पिता एमएनसी कंपनी में बिजनेस ऑफिसर हैं। उत्तराखंड में बेटी के टॉपर आने से शताक्षी के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा। शताक्षी देहरादून में IIT को तैयारी में जुटी है।
सक्षम नौटियाल के उत्तराखंड में टॉपर आने की सफलता से माता पिता सहित गांव के लोग खुश हैं सक्षम के के पिता सरकारी स्कूल में अध्यापक है माता गृहिणी है। सक्षम की इस सफलता पर खुशी का इजहार करते हुए परिजनों ने भगवान को शुक्रिया कहा। सक्षम ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व शिक्षकों को दिया है। सक्षम ने कहा कि वह आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा करना चाहता है।
थोड़ा पढ़ा और ज्यादा समझा
सक्षम नौटियाल ने कहा कि टॉपर बनने के लिए फॉर्मूला आसान है। पढ़ाई के साथ समझना भी जरूरी है शताक्षी ने कहा कि बोर्ड परीक्षा के लिए थोड़ा पढ़ा, ज्यादा समझा और टॉपर आ गई, छात्रा ने मैथ व साइंस में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये है।
मोबाइल और टीवी से दूर रहें।।
12 वीं की स्टेट टॉपर छात्रा ने कहा कि कड़ी मेहनत के कारण सफलता मिली। पांच से सात घंटे हर रोज पढ़ाई करती थीं। मोबाइल व टीवी से काफी दूर रही। यही कारण रहा कि को बोर्ड परीक्षा में 4490 अंक हासिल किए हैं। छात्रा की इस सफलता पर अभिभावकों ने बताया कि आगे की पढ़ाई IIT की कोचिंग कर तैयारी करना चाहती है।
पढ़ाई में रमना है जरूरी
टॉप 25 में शामिल छात्र-छात्राओं का कहना है कि सफलता के लिए कोचिंग नहीं पढ़ाई में रमना जरूरी है। साथ ही छात्रों ने बताया कि प्रधानाचार्य नत्थी लाल बंगवाल के मार्गदर्शन में तैयारी करते रहे परिणाम घोषित होने के बाद छात्र-छात्रों ने 'पहाड़ी खबरनामा' से बातचीत में बताया कि बोर्ड परीक्षा की तैयारी शुरुआत से ही शुरू कर दी थी। कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम आज एग्जाम में देखने को मिल रहा है।
टॉपर फैक्टरी है सरस्वती विद्या मंदिर इन्टर कॉलेज
वर्तमान समय में मैट्रिक और इंटरमीडिएट का रिजल्ट को देखें तो विद्या मंदिर विद्यालय के छात्रों ने लगातार सफलता का परचम लहराकर इस उद्देश्य को सफल बनाया है। बानगी यह है कि 17 वर्षों से बोर्ड परीक्षा में इस विद्यालय के छात्रों ने सफलता का परचम लहराया वह निरंतर जारी है। संसाधन विहीन इस विद्यालय के छात्र प्रत्येक वर्ष मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में सफलता का परचम लहराने के बाद अन्य प्रतियोगी परीक्षा में अपना लोहा मनवा रहे हैं। परंतु इस विद्यालय में आज भी संसाधन का घोर अभाव है। आजतक इस विद्यालय को अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। छात्रों को पठन-पाठन और खेलकूद को लेकर पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिल सकी।
उद्देश्य में सफल, संसाधन में विफल
उद्देश्य में सफल, संसाधन में विफल
बताते चलें कि आज भी इस विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए सुविधाओं का अभाव है। उन्हें सही तरीके से रहने की व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। तो उन्हें खेलने के लिए मैदान तक नहीं है। ओर विद्यार्थियों के लिए कोई अलग से व्यवस्था भी नहीं की गई है। परंतु आज भी उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में विद्यालय के छात्र बड़ी संख्या में सफलता का परचम लहराते हैं।
ये भी बता दें कि यहाँ पड़ा रहे आचार्यों का वेतन मामूली है इसका शिक्षा की गुणवत्ता पर भी व्यापक असर पड़ता है। परंतु यहां के आचार्यो की अपने कार्य के प्रति जवाबदेही इतनी प्रगाढ़ है कि आज भी यह पूरी तन्मयता के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं और प्रतिवर्ष विद्यालय से बड़ी संख्या में टॉपर्स निकलते हैं।