भगवान बद्रीनाथ के खुले कपाट |
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पौराणिक धाम बदरीनाथ का महत्व
पौराणिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार बद्रीकाश्रम केदारखण्ड में स्थित है, जो कि भगवान शिव की भूमि मानी जाती है, एक बार जब भगवान विष्णु बदीनाथ पहुचे तो उन्हे यह जगह बहुत पसन्द आई, उन्होने मन ही मन भगवान शंकर से इस स्थान को लेने की ठान थी, जिसके बाद शिशु के वेश में भगवान विष्णु ने भगवान शंकर और पावती जी को प्रसन्न किया और इस पावन जगह को अपना वैकुण्ड धाम बनाया, बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा किया गया था लेकिन एसमय ऐसा आया जब यहाॅ मौजूद भगवान विष्णु की मूर्ति को आक्रमणकारियों की दृष्टि से बचाने व धर्म की रक्षा के लिए नारद कुण्ड में छुपा दिया गया था, जिसके बाद आदिगुरू शंकराचार्य ने भगवान विष्णु की मूर्ति को नारद कुण्ड से निकालकर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर प्रतिस्पादित किया, और इस धाम को भारत के चारधाम में से सर्वोच्च धाम की मान्यता दी।
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