रायवाला: जांच अधिकारी के सामने पंचायत सदस्यों और ने काटा हंगामा. . .

raywala, dehradun
गड़बड़ी की शिकायत की जांच करने आये एडीओ पंचायत के सामने जमकर हंगामा
जांच अधिकारी के सामने पंचायत सदस्यों और ने काटा हंगामा

महेश पंवार/रायवाला.................✎
रायवाला :प्रतीतनगर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने हाइवे चौड़ीकरण से प्रभावित लोगों को रोजगार के लिए दुकानों के निर्माण व आवंटन में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। पंचायत सदस्यों ने गड़बड़ी की शिकायत की जांच करने आये एडीओ पंचायत के सामने जमकर हंगामा किया और दुकानों के आवंटन के लिए खुली लाटरी करवाने की मांग की।
मंगलवार को दुकानों के निर्माण के सम्बंध में शिकायतकर्ता नंद किशोर कंडवाल द्वारा की गई शिकायत की जांच हुई। एडीओ पंचायत ने दोनों पक्षो को सुना। वहीं इस दौरान कई पंचायत सदस्यों दुकानों की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका आरोप था कि ग्राम प्रधान ने नियम कानून ताक पर रख दिए हैं। न दुकान बनाने व न आवंटन की जानकारी सदस्यों को दी गयी। लाटरी कराए बगैर ही दुकानों का निर्माण व इनके आवंटन भी कर दिया गया है।

संदेह के घेरे में जांच अधिकारी की भूमिका - 

जांच अधिकारी ने तीन दुकानों के आवंटन पर तो रोक लगा दी लेकिन बाकी तीन दुकानों के सम्बंध में चुप्पी साध ली। वहीं जांच अधिकारी के प्रधानपति के साथ होटल में लंच करने पर भी लोगों ने सवाल उठाए हैं।

यह है मामला : 

हरिद्वार-दून हाइवे के चौड़ीकरण के दौरान रायवाला बाजार के 90 दुकानदार प्रभावित हुए। ग्राम पंचायत प्रतीतनगर ने ग्राम सभा में उपलब्ध पंचायती जमीन पर 26 दुकानें बनाकर प्रभावित लोगों को देने का प्रस्ताव तैयार किया ताकि जरूरतमंद लोगों को राहत मिल मिल सके। प्रभावितों की संख्या अधिक व दुकानों के संख्या कम होने की वजह से आवंटन के लिए लाटरी सिस्टम तय किया गया।
इसमें सबसे पहले लाटरी सिस्टम से किराएदारों का चयन करना और फिर चयनित प्रत्येक दुकानदार से दो लाख रूपये धरोहर राशि लेकर दुकानों का निर्माण कार्य शुरू होना था। नियमानुसार इसकी सूचना समाचार पत्र, पंचायत की बैठक व सूचना पट के माध्यम से प्रत्येक प्रभावित दुकानदार को दी जानी थी जिससे कि सभी लाटरी प्रक्रिया में भाग ले सकें और पारदर्शिता बनी रहे।

यहां हुई गड़बड़ी :

 प्रतीतनगर पंचायत ने जिला पंचायत राज अधिकारी के आदेशों को ताक पर रख कर लाटरी कराए बगैर ही छह दुकानें बना दी। इनमें से तीन का आवंटन भी कर दिया गया। वहीं जब पूर्व उप प्रधान नंद किशोर कंडवाल ने सूचना अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी तो लोक सूचना अधिकारी इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि इनके निर्माण के लिए बजट कहां से आया। खास बात यह है कि सूचनाएं भी अलग-अलग व भ्रामक दी गयी हैं। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि कुछ चहेतों से गुपचुप रूप से धरोहर राशि लेकर दुकानें बनाई गई हैं। वहीं बैंक रिकार्ड में पंचायत के खाते से प्रधान पति के नाम से 20 लाख रूपये निकाले जाने की बात भी सामने आई हैं। जबकि पंचायत में किसी भी निर्माण कार्य का पैसा कार्यदायी संस्था या पंजीकृत ठेकेदार के नाम पर भुगतान होना चाहिए था।

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