रायवालाः दुकानों के निर्माण और आवंटन की जांच की उठी मांग, जनप्रतिनिधि जायेंगे कोर्ट।

दुकानों के निर्माण और आवंटन की जांच की उठी मांग

पीएमओ शिकायत के बाद भी नही हुई कार्यवाही. . . . . .  . . . . . . ..

महेश पंवार
हाईवे चौड़ीकरण के दौरान हुए प्रभावितों और गांव के शिक्षित बेरोजगारों के लिए बनायी जा रही दुकानों के मामले में अब पंचायत सदस्यों के साथ साथ प्रभावितों ने भी मामले की जांच किए जाने की बात कही है। पंचायत सदस्यों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच किए जाने और दुकानों का आवंटन नियमानुसार किया जाए। कुछ पंचायत सदस्यों का यह कहना है यदि मामले की जांच न हुई तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

 

पहले समझिए आखिर था क्या पूरा मामला

रायवाला- गौरतलब है कि हरिद्वार-दून हाईवे चौड़ीकरण की वजह से प्रभावित हुए रायवाला बाजार के व्यापारियों, गांव के शिक्षित बेरोजगारों के लिए प्रतीतनगर ग्राम सभा में 26 दुकानें बनायी जानीं थीं। इसके लिए पंचायत ने बैठक कर प्रस्ताव बनाया। जिसके बाद पंचायत जिला पंचायत राज अधिकारी ने पंचायत को नियमों के तहत का निर्माण कर आवंटन करने के लिए आदेश जारी किए। जिसमें दुकानों के लिए सबसे पहले लाटरी सिस्टम से किराएदारों का चयन करना और फिर चयनित प्रत्येक दुकानदार से दो लाख रूपये धरोहर राशि लेकर दुकानों का निर्माण कार्य शुरू किया जाना लिखा था। नियमानुसार इसकी सूचना समाचार पत्र, पंचायत की बैठक व सूचना पट के माध्यम से प्रत्येक प्रभावित दुकानदार को दी जानी थी जिससे कि सभी लाटरी प्रक्रिया में भाग ले सकें और पारदर्शिता बनी रहे।

वहीं पूर्व उप प्रधान नंदकिशोर कंडवाल ने इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो उनको बताया गया कि दुकानें 14वें वित्त से बनायी जा रही हैं। पंचायत जिला पंचायत राज अधिकारी के इन आदेशों को ताक पर रख कर लाॅटरी कराए बगैर ही दुकानें बना दी गयीं और कुछ दुकानों का आवंटन कर भी दिया गया है। शिकायतकर्ता नंदकिशोर कंडवाल का कहना है कि उन्होने मामले की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक कर दी है लेकिन कोई अधिकारी मामले की जांच करने को तैयार नही है। कंडवाल का कहना है कि पंचायत ने गुपचुप रूप से धरोहर राशि लेकर दुकानें बनाई और चहेतों को आवंटित कर दी। मेरा उदेश्य दुकानों के निर्माण और आवंटन में हो रही धांधली की जांच करवाना है। मै दुकानों के निर्माण और आवंटन के खिलाफ नही हूं, लेकिन आवंटन नियमानुसार होना चाहिए। वहीं खास बात यह है कि सूचना के अधिकार में एक ओर जहां यह कहा जा रहा है कि दुकानों का निर्माण 14वें वित्त से किया जा रहा है, तो वहीं एक अन्य सूचना के अधिकार में दी गयी जानकारी में यह भी जानकारी दी गयी है कि दुकानों का निर्माण और आवंटन  नियमानुसार ही किया जाएगा। शिकायतकर्ता को दी गयी जानकारी में यह भी बताया गया है कि जिला पंचायत राज अधिकारी के आदेश में किसी प्रकार का बदलाव नही किया गया है और दुकानों का निर्माण और आवंटन नियमानुसार ही किया जाएगा।
पूरे मामले में क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व अधिकारी
मै पंचायत सदस्या हूं लेकिन पंचायत की मासिक बैठक की जानकारी मुझे नही दी जाती है। दुकानों का जो प्रस्ताव हुआ था उसमें लाॅटरी के माध्यम से गांव के प्रभावित और शिक्षित बेरोजगारों के लिए दुकानें बनायी जानी थीं। दुकानों के निर्माण और आवंटन को लेकर मुझे कोई जानकारी नही दी गयी है। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, यदि ऐसा नही होता है तो इसके लिए उनको न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाना पड़े तो वह तैयार हैं।
भारती खंडेलवाल, पंचायत सदस्या प्रतीतनगर।
मैं हाइवे प्रभावित हूं, राजमार्ग चैड़ीकरण के दौरान मेरी दुकान टूटी थी जिसके बाद मेरे पति सदमें में आ गए थे और उनका देहांत हो गया था। प्रस्ताव के दौरान पंचायत ने कहा था कि प्रभावितों और बेरोजगारों को दुकानें दी जाएंगी। पंचायत बिना लाॅटरी के ही दुकानें सक्षम और संपन्न लोंगों को दुकानें दे रही है। यदि नियम के अनुसार दुकानें आवंटित नही की गयी तो वह इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे।
मधु डबराल, हाइवे प्रभावित।
दुकानों को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं उससे पंचायत की छवि खराब हो रही है। दुकानों का आवंटन लाॅटरी के माध्यम से किया जाना था, पंचायत सदस्य होने बाद भी मुझे इसकी जानकारी नही है। पता चला है कि दुकानों को आवंटन किया जा चुका है यदि ऐसा किया गया है तो इसकी जांच होनी चाहिए और आवंटन नियमानुसार ही किया जाए।
मोहिनी पंवार, पंचायत सदस्य प्रतीतनगर।
मामले मेंरे संज्ञान में आया है, एक सप्ताह के भीतर मामले की जांच कर उच्चाधिकारियों को सौंप दी जाएगी। यदि प्रधान पति द्वारा पंचायत के खाते से पैसे निकाले गए है तो यह गंभीर विषय है। इसकी जांच कर आवश्यक कार्यवाई की जाएगी।
श्यामलाल जोशी, एडीओ पंचायत।

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