बैकिंगः रूद्रप्रयाग-चमोली बार्डर उखीमठ क्षेत्र में देर रात भूकम्प के झटके, पढें पूरी खबर. . .

Earthquake
उखीमठ क्षेत्र में देर रात भूकम्प के झटके
(हरीश चन्द्र/उखीमठ)
देर रात करीब 1 बजकर 8 मिनट पर रूद्रप्रयाग-चमोली के बार्डर में स्थित उखीमठ के कई क्षेत्रों मे भूकम्प के झटके महसूस किए गये, केदारनाथ धाम में भी लोगों में भी कई लोगों ने भूकम्प के हल्के झटकें महसूस किए, हांलाकि भूकम्प के झटकों से किसी भी नुकसान की सूचना नही है, लेकिन भूकम्प के इन हल्के झटकों ने लोगों में काफी देर तक दहशत भर दी, एएनआई ने भी भूकम्प के झटकों की पुष्टि अपने ट्वीटर हैंडल से की है, भूकम्प करीब 3.8 रिक्टर स्केल  था, भूकम्प के झटके महसूस करते ही कई लोग घरों से बाहर आ गये, बाद में लोग अपने अपने घरों में लौट गये, हाल ही में दो महीने पहले भी केदारघाटी और उखीमठ में भूकम्प के झटके महसूस किए गये थे, हिमालय में होने वाली हलचल के कारण केदारघाटी व उखीमठ में गाहे-बाहे हल्के भूकम्प के झटके आते रहते हैं। 

क्यों आते हैं हिमालय में ज्यादा भूकंप

भारत लगातार भूगर्भीय बदलावों से गुजर रहा है. भारतीय प्लेट हर साल एशिया के भीतर धंस रही है. यह सब हिमालयी क्षेत्र में हो रहा है. इन्हीं अंदरूनी बदलावों की वजह से वहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है, जमीन के भीतर मची उथल पुथल बताती है कि भारत हर साल करीब 47 मिलीमीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है. करोड़ों साल पहले भारत एशिया में नहीं था. भारत एक बड़े द्वीप की तरह समुद्र में 6,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक तैरता हुआ यूरेशिया टेक्टॉनिक प्लेट से टकराया. करीबन साढ़े पांच करोड़ साल से पहले हुई वह टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हिमालय का निर्माण हुआ. हिमालय दुनिया की सबसे कम उम्र की पर्वत श्रृंखला है।
भारतीय प्लेट अब भी एशिया की तरफ ताकतवर ढंग से घुसने की कोशिश कर रही है. वैज्ञानिक अनुमान है कि यह भूगर्भीय बदलाव ही हिमालयी क्षेत्र को भूकंप के प्रति अति संवेदनशील बनाते हैं. दोनों प्लेटें एक दूसरे पर जोर डाल रही है, इसकी वजह से क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहती है, हिमालय के नीचे 300 मीटर की गहराई में काली मिट्टी है, जो कि प्रागैतिहासिक झील का अवशेष है, जिसकी वजह से भूकंप ज्यादा तीव्रता वाले आते हैं. अध्ययनों से यह जाहिर हुआ है कि यहां मिट्टी के द्रवीकरण की वजह से बड़ा भूकंप आने का खतरा बना रहता है।

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