बेरोजगारों को बीड़ी का बंडल देकर उगा रहे भांग की खेती, प्रशासन बेखबर !! नार्कोटिक्स ब्यूरो पर भी उठ रहे सवाल ?

उत्तरकाशी स्थित गाजणा पट्टी के आधा दर्जन से अधिक गांवों में इन दिनों खेतों में अवैध रूप से उगाई गई भांग की फसल लहलहा रही है। प्रतिबंध के बावजूद गांवों में की जा रही भांग की खेती बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन गांवों के कई बेरोजगार चरस के अवैध धंधे से जुड़कर रातों रात धन्नासेठ बन रहे हैं। लेकिन अभी तक राजस्व विभाग की ओर से ऐसा कोई अभियान शुरू नहीं किया गया है। जिससे अवैध रूप से उगाई जा रही भांग की खेती को नष्ट किया जाय। हाल ही मैं नार्कोटिक्स ब्यूरो की टीम दिल्ली से उत्तरकाशी अवश्य पँहुची मगर गाजणा पट्टी की ओर टीम का ध्यान न गया, या कुछ और वजह रही।।। सूत्रों की माने तो क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने संबंधित टीम पर मिली भगत के आरोप भी लगाए, लोगो की माने तो मिली भगत न होती तो नार्कोटिक्स टीम गाजणा के गांव में उग रही भांग की खेती को नष्ट न करती !!
बताया जा रहा है कि धौंतरी स्थित स्थानीय प्रशासन की शह पर क्षेत्र में अवैध भांग की तस्करी हो रही है। तरीके से अवैधनतीजा यह है कि भांग के कारोबार में वर्चस्व की लड़ाई भी शुरू हो गई है। बताते चलें कि डुंडा ब्लॉक के सिरी,भैंत,ठाडी कमद,कुमारकोट,भड़कोट,बागी, समेत आसपास के गांवों और तोकों में पिछले कई सालों से भांग की अवैध खेती की जा रही है। ग्रामीण अपने खेतों के आसपास भांग उगाते हैं और बाद में इसी भांग से चरस तैयार कर उसे गुपचुप तरीके से बाजार तक पहुंचा देते हैं। सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली की यहां लंबे समय से हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ खरीददार पँहुच रहे हैं। बाइट न लेने की शर्त पर भांग की खेती करने वाले एक ग्रामीण ने बताया कि भांग के पेड़ों से चरस निकालने का काम खासी मेहनत वाला होता है लिहाजा कुछ ग्रामीण स्वयं तो कुछ ग्रामीणों ने इस कार्य के लिए गांव के ही बेरोजगारों को दैनिक मजदूरी पर रखा हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में भांग के सेवन से कई नौजवान पागल भी हो चुके है।  सूत्र बताते हैं कि जिन लोगों को भांग से चरस निकालने के काम में लगाया गया है उन्हें मजदूरी के अलावा दोपहर का खाना और आखिरी हाथ की चरस भी दी जाती है। इन गांवों में कई बेरोजगार युवा आजकल इसी काम में लगे हुए हैं। 

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